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    मुंगेर के नीतीश का पर्यावरण के लिए 'अच्छा काम', पूरे जिले में हो रही वाहवाही; देखते-देखते जुड़ गए 300 लोग

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 07:03 PM (IST)

    Bihar News प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि साफ हवा और साफ पानी अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। बिहार के मुंगेर में गंगा किनारे बसे गांव शिवकुंड में रहने वाले नीतीश कुमार ने 19 साल पहले पर्यावरण संरक्षण का काम शुरू किया और तब से वे इस काम में जुटे हुए हैं।

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    नीतीश की प्रेरणा से जन्मोत्सव पर पौधा लगाते लोग। सौजन्य : स्वयं

    केएम राज, जमालपुर (मुंगेर)। प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षित कर स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है। क्योंकि साफ हवा, साफ पानी अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। यही वजह है कि इसके संरक्षण को लेकर कुछ लोग इस कदर जुट जाते हैं कि यह उनके जीवन का मूल उद्देश्य ही बन जाता है।

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    पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से किए गए कार्य का लाभ भी सभी को मिलता है। ऐसे में इसमें जनसहभागिता भी खूब मिलती है।

    ऐसा ही कुछ हो रहा है बिहार के मुंगेर में जहां गंगा किनारे बसे गांव शिवकुंड में रहने वाले नीतीश कुमार ने 19 साल पहले पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम करना शुरू किया तो कभी रुके ही नहीं।

    अब हाल यह है कि गांव हो या शहर उनके द्वारा रोपित औषधीय पौधों का लाभ हर किसी को मिल रहा है। ऐसे में अब 300 के करीब लोग उनके साथ मिल कर पर्यावरण को बचाने के लिए काम करते हैं।

    पहाड़ी क्षेत्र में पौधे लगाने के बाद गैबियन से उसे सुरक्षित करते परिवार के साथ नीतीश। सौजन्य : स्वयं

    एक साधु से मिली प्रेरणा

    • नीतीश कुमार बताते हैं कि वह पहले काफी अस्वस्थ रहते थे। 2005 में वह हरिद्वार गए तो वहां एक साधु को अपनी समस्या बताई। साधु ने उन्हें पेड़ लगाने की सलाह दी।
    • कहा कि स्वच्छ हवा में सांस लो, बीमारी दूर हो जाएगी। वहां से लौटकर उन्होंने पौधारोपण शुरू किया और अविश्वसनीय रूप से उनकी बीमारी ठीक हो गई।
    • इसके बाद 2006 में उनकी जमालपुर रेल कारखाना के रेल अस्पताल में फार्मासिस्ट के रूप में उनकी नौकरी लग गई।
    • शहर में रोज लोगों को बीमार पड़ते देख। उन्होंने रेलवे की खाली जमीन पर पौधे लगाने शुरू कर दिए। इसके लिए नेपाल की सरकार ने 2019 में उन्हें पर्यावरण योद्धा का सम्मान दिया।
    • अब तक नीतीश 3000 पौधे लगाकर उन्हें वृक्ष बना चुके हैं। इनमें से बड़ी संख्या में औषधीय गुणों वाले पौधे भी हैं। जिनकी वह देखरेख भी करते हैं।

    गोरैया के रहने के लिए घोंषला वितरित करते नीतीश। सौजन्य : स्वयं

    16 प्रकार के पौधे लगाते हैं

    नीतीश बताते हैं कि जब उन्होंने पौधारोपण करने के लिए अभियान शुरू किया तो यह संकल्प भी लिया कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए वह आजीवन हरे कपड़े ही पहनेंगे।

    नीतीश 'पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं-आओ हम सब मिलकर पेड़ लगाएं, सबको देनी है यह शिक्षा-पर्यावरण की करो सुरक्षा" की सीख हर किसी को देते हैं। नीतीश के इस अभियान से प्रेरणा लेकर 300 से अधिक लोग पौधे लगाने के काम में जुट चुके हैं।

    पटना में पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित होते नीतीश। सौजन्य  : स्वयं

    मुंगेर जिले के शिवकुंड व जमालपुर से होता हुआ उनका अभियान लखीसराय, बांका, जमुई, भागलपुर एवं विदेशी धरती नेपाल में भी पहुंचा।

    नीतीश की लगन को देखकर कई रेलकर्मियों के स्वजन भी उनकी सहायता में जुड़ गए। एक रेलकर्मी की पत्नी पिंकी पांडेय उनके द्वारा लगाए गए पौधों की देखरेख करती हैं।

    नीतीश अपने वेतन से लगाए गए पौधों के चारों ओर गैबियन (बाड़) भी लगाते हैं। नीतीश बताते हैं कि आध्यात्मिक और औषधीय गुणों से भरपूर पौधे ही वे लगाते हैं।

    पीपल, नीम, आम, बेल, महुआ, कदंब, तुलसी, मौलश्री, बरगढ़, आंवला सहित 16 प्रकार के पौधे वह लगाते हैं। उनके साथ कई शिक्षक और सरकारी कर्मचारी भी अब जुड़ कर पर्यावरण संरक्षण के लिए उनकी मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

    अब गौरेया संरक्षण की शुरू की मुहिम

    नीतीश कुमार पर्यावरण संरक्षण के लिए न सिर्फ पौधे रोप कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने गौरेया संरक्षण को लेकर भी मुहिम शुरू की है।

    उनके अभियान से शिवकुंड गांव की दर्जनों महिलाएं जुड़ी हुई हैं। ये गौरेया के रहने के लिए पेड़ों पर घरौंदे बनाकर रख रही हैं।

    नीतीश का मानना है कि गौरैया ही एक ऐसा पक्षी है जो जैव विविधता और पारिस्थितक तंत्र से पौधों की वृद्धि में सहायक होता है।

    पर्यावरण को लेकर उनके प्रयासों के लिए उन्हें राष्ट्रीय एवं अतंराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी मिल रहा है। नीतीश को कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

    नीतीश शादी-विवाह, जन्मदिवस, जयंती व पुण्यतिथि के अवसर पर लोगों से पौधे लगाने की अपील करते हैं।

    नीतीश के सहयोगियों द्वारा लगाया जा रहा पौधा। सौजन्य : स्वयं

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