गैंगेटिक डॉल्फिन दिवस का वन विभाग ने किया आयोजन
मुंगेर । वन विभाग की ओर से सोमवार को डॉल्फिन दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद
मुंगेर । वन विभाग की ओर से सोमवार को डॉल्फिन दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों को डॉल्फिन की रक्षा का संकल्प दिलाया गया। वहीं, लोगों को बताया गया कि डॉल्फिन शुद्ध पर्यावरण के लिए आवश्यक है। बता दें कि बिहार में डॉल्फिनों की तादाद लगातार कम होती जा रही है।
बिहार सरकार ने डॉल्फिन संरक्षण के लिए प्रत्येक वर्ष पांच अक्टूबर का दिन ''''डॉल्फिन दिवस'''' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सबसे अहम बात यह है कि दुनिया के दुर्लभ प्राणियों में से एक विलुप्तप्राय गैंगेटिक डॉल्फिन को राष्ट्रीय जल जीव घोषित हुए 11 साल बीत गए हैं। फिर भी उनकी सुरक्षा अब भी वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है।
डॉल्फिनों की तादाद में लगातार आ रही कमी की वजह उनका लगातार हो रहा शिकार व गंगा का प्रदूषण बताया जा रहा है। वैसे सरकार अब डॉल्फिन को बचाने के लिए पटना सहित मुंगेर, भागलपुर को गैंगेटिक डॉल्फिन क्षेत्र में शामिल किया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा 2009 में ''''भारतीय वन्य जीव संरक्षण नीति'''' के तहत डॉल्फिन को सुरक्षा प्रदान करने के बाद भी बिहार की गंगा नदी में इसकी सुरक्षा के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
गंगा में जलस्तर घटने व उसमें गंदगी को लेकर पर्यावरण वैज्ञानिकों ने भी समय-समय पर चिता प्रकट की है। जलस्तर घटने के कारण डॉल्फिनों के शिकार की आशंका बढ़ जाती है।
उल्लेखनीय है कि इन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने वर्ष 1991 में बिहार में सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को ''''गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र'''' घोषित किया था। डॉल्फिन स्तनधारी जीव है, जो सिटेसिया समूह का एक सदस्य है। आम बोलचाल की भाषा में इसे सोंस और संसू व गंगा की गाय के नाम से भी जाना जाता है।
पूर्ण वयस्क डॉल्फिन की लंबाई दो से 2.70 मीटर तक होती है, जबकि इनका वजन 100 से 150 किलोग्राम तक होता है। मादा डॉल्फिन नर डॉल्फिन से अपेक्षाकृत बड़ी होती है। दोनों जबड़ों में 130 से 150 दांत होते हैं। डॉल्फिन के विकास के क्रम में इनमें चमगादड़ों की तरह बहुत ही सूक्ष्म ''''इको लोकेशन सिस्टम'''' का विकास होता है। इससे पहले डीएफओ नीरज नारायण ने हरी झंडी दिखा कर जागरुकता रैली को रवाना किया।
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