Bihar Munger Arms Smuggling: देसी पिस्तौल से लेकर AK-47 तक की तस्करी के लिए बदनाम, आतंकी से लेकर नक्सलियों तक जुड़े हैं तार
जम्मू-कश्मीर में आंतकियों को हथियार उपलब्ध करवाने के मामले में हाल ही में बिहार के 25 वर्षीय जावेद अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पिछले दिनों बिहार में मिली एके- 47 राइफल में जबलपुर का कनेक्शन आया था। ठीक वैसा ही हाल मुंगेर निर्मित पिस्टल को लेकर है।

मुंगेर, प्रशांत कुमार। देशभर में जहां कहीं भी सस्ती पिस्टल की डिमांड होती है अपराधी बिहार के तस्करों से संपर्क करते हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान बिहार से हथियार सप्लाई होने की बात सामने आई थी। अब बंगाल चुनाव में गिरोह के सक्रिय होने की बात सामने आ रही है। एक तरह से यहां मिनी गन फैक्ट्रियां चल रही हैं, जहां सस्ते में पिस्तौल सप्लाई हो रही है। बिहार के मुंगेर से लेकर आसपास के इलाकों में अवैध हथियारों के कारोबार के फैले जाल पर एक रिपोर्ट:
वैध माल को रोकना सिरदर्द: मुंगेर में अवैध हथियार निर्माण अंग्रेजों से लड़ने के लिए शुरू किया गया था। लेकिन आज मुंगेर का अवैध हथियार निर्माण व बिक्री का धंधा देश के सभी राज्यों के लिए सिरदर्द बन गया है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अवैध हथियार बनाने के लिए जो कच्चा माल है वो वैध ढंग से आता है और फिर उससे हथियार तैयार कर अवैध कारोबार का साम्राज्य खड़ा किया जा रहा है।
अंग्रेजों से लड़ने के लिए मुंगेर में स्थापित की थी बंदूक फैक्ट्री: अंग्रेजी हुकूमत के खौफ से पश्चिम बंगाल के नवाब मीर कासिम ने बंगाल से हटा कर मुंगेर को अपनी राजधानी बनाया था। अंग्रेजों से मुकाबले के लिए उनके सेनापति गुरगीन खान ने मुंगेर में बंदूक फैक्ट्री की स्थापना की थी। लोगों को हथियार निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया। बाद में अंग्रेजी शासनकाल में भी बंदूक फैक्ट्री का संचालन होता रहा। फैक्ट्री में काफी संख्या में लोगों को रखा गया। बाद में बंदूक फैक्ट्री बदहाली की कगार पर पहुंच गई। ऐसे में कारीगरों को काम मिलना बंद हुआ तो वे अवैध हथियार बनाने में जुट गए। देसी कट्टा, बंदूक से शुरू हुआ सफर नाइन एमएम और 7.62 एमएम पिस्टल तक पहुंच गया।
मुफस्सिल थाना क्षेत्र बना बड़ा केंद्र, छोटे गुर्गे पकड़े जाते हैं और असली मास्टर माइंड कोसों दूर: देखते ही देखते मुंगेर अवैध हथियार निर्माण और बिक्री का बड़ा हब बन गया। यहां मुफस्सिल थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा अवैध कारोबार होने लगा। बरदह गांव सहित आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का निर्माण शुरू हो गया। हथियार निर्माण से जुड़े लोगों ने तस्करी का नेटवर्क विकसित करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को कूरियर के रूप में जोड़ा। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह तक हथियार पहुंचाने के एवज में पैसे दिए जाते हैं। पुलिस की कार्रवाई में अक्सर कूरियर और हथियार निर्माण से जुड़े लोग ही पकड़े जाते हैं। असली मास्टर माइंड तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती है। पकड़े गए लोगों को जमानत पर जेल से बाहर निकालने के बाद उन्हें फिर से हथियार निर्माण और तस्करी के काम में जोड़ लिया जाता है। यही कारण है कि यह धंधा निर्बाध गति से पनप रहा है। कम लागत में अधिक मुनाफा ने इस अवैध धंधे को और विस्तार दिया है। अपराधों की दुनिया इन्हीं हथियारों के दम पर है।
लगातार छापेमारी के बाद हथियार तस्करों ने बदला ठिकाना: मुंगेर में पुलिस और एसटीएफ ने अवैध हथियार निर्माण और तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चलाए। पुलिस की कार्रवाई के बाद हथियार तस्करों ने अपना ठिकाना बदल लिया। मुंगेर के हथियार तस्करों ने पश्चिम बंगाल, पश्चिमी यूपी, झारखंड के सीमावर्ती इलाके में हथियार का निर्माण शुरू किया। जहां से हथियार को फनिशिंग और बिक्री के लिए मुंगेर लाया जाता है। कई बार हथियारों की खेप पकड़े जाने के बाद इसकी पुष्टि भी हुई है। मुंगेर से अवैध हथियारों की बिक्री के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि मुंगेर अवैध हथियारों की मंडी के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इस कारण हथियार के शौकीन हथियार खरीदने सीधे मुंगेर पहुंचते हैं। इस कारण मुंगेर में आसानी से हथियार बिक जाते हैं। वहीं, पुलिस की कार्रवाई के बाद हथियार के धंधे का विस्तार भी हुआ। पहले कासिमबाजार और मुफस्सिल क्षेत्र में ही हथियार का निर्माण और तस्करी का अवैध धंधा संचालित होता था। अब यह मुंगेर जिले के साथ ही भागलपुर, नवगछिया, खगड़िया, सहरसा, बेगूसराय आदि क्षेत्र में भी फैल चुका है। मुंगेर के कई हिस्सों में यह कुटिर उद्योग का रूप लेता जा रहा है।
नगालैंड के जरिये विदेशी हथियार पहुंचते हैं:
- मुंगेर में विदेशी हथियार भी पहुंचते रहे हैं। वर्ष 2014 में मुंगेर के नयारामनगर थाना क्षेत्र में ऑस्ट्रिया निर्मित ग्लॉक पिस्टल बरामद हुआ था
- जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि बरामद ग्लॉक पिस्टल ऑस्ट्रिया के एक पुलिस पदाधिकारी से चोरी की गई थी। इसी वर्ष कासिमबाजार थाना क्षेत्र में फ्रेंच पिस्टल बरामद हुआ था
- वर्ष 2016 में किशनगंज में चेक गणराज्य निर्मित ब्रेटा पिस्टल बरामद हुआ। इसका कनेक्शन भी मुंगेर से जुड़ा
- पूछताछ के दौरान यह बातें सामने आई थी कि नगालैंड के जरिये तस्कर विदेशी हथियार मुंगेर लाते हैं। इससे मुंगेर का अंतरराष्ट्रीय बाजार से रिश्ता भी सामने आता है
मुंबई में डी कंपनी से लेकर माओवादी तक के कनेक्शन मिले: मुंगेर के हथियार तस्करों के तार अपराधी गिरोह, माओवादी और आतंकी संगठन तक से जुड़ते रहे हैं। वर्ष 2007 में मुंबई में पुलिस ने वंशराज नामक व्यक्ति को पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने स्वीकार किया था कि वह मुंगेर से हथियार खरीद कर डी कंपनी को मुहैया कराता है। जांच में मुंगेर के रंजीत कुमार के खाते में मुंबई से दस दिनों में लाखों रुपये भेजे जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद मुंबई पुलिस मुंगेर पहुंची और रंजीत को गिरफ्तार कर लिया था।
वर्ष 2007 में एनआइए की टीम कश्मीर के आतंकी फैय्याज अहमद उर्फ साथव की टोह में मुंगेर पहुंची थी। साथव पर जम्मू कश्मीर में वर्ष 2005 में नकली नोट चलाने पर केस दर्ज किया था। जांच में यह बात सामने आई थी कि वह मुंगेर में नकली नोटों को खपाने और हथियार तस्करी का नेटवर्क विकसित करने की कोशिश कर रहा था। एक जुलाई 2016 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका की होली आर्टिजन ब्रेकरी में आतंकी हमला हुआ था। बंगलादेश की जांच एजेंसी ने दावा किया था कि आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन ने जिस एके 22 राइफल का इस्तेमाल किया था, उसे मुंगेर में ही मॉडिफाइ किया गया था। वहीं, ऋषिकुंड, धरहरा, हवेली खडपुर के पहाड़ी इलाके से दर्जनों बार अवैध मिनी गन फैक्ट्री पकड़ी गई। जांच में नक्सलियों के संरक्षण में हथियार निर्माण की बात सामने आई थी।
गन फैक्ट्रियों ने गृह मंत्रालय को लिखी चिट्ठी: अवैध हथियार के निर्माण और तस्करी के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इसके बाद भी यह धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब मुंगेर की बंदूक फैक्ट्री में पिस्टल, रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियार निर्माण शुरू होने की उम्मीद जगी है। बंदूक निर्माण से जुड़ी कई इकाई ने गृह मंत्रालय से छोटे हथियार निर्माण के लिए इजाजत मांगी है। सभी आवेदन गृह मंत्रालय में लंबित हैं। गृह मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद मुंगेर में छोटे हथियार का निर्माण शुरू होगा। वैध हथियार निर्माण में जब मुंगेर के कुशल कारीगरों को काम मिलने लगेगा, तो निश्चित रूप से अवैध हथियार निर्माण पर अंकुश लगेगा।
दिल्ली पुलिस ने बिहार को पत्र लिखकर दी थी नेटवर्क की जानकारी: मुंगेर की बनी अवैध पिस्टल व अन्य असलहों के तस्करों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो कई राज्यों में इसे ऑपरेट करता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले से पहले दिल्ली पुलिस ने भी कई बार मुंगेर की बनी पिस्टल के इस्तेमाल की बात कही है। इस संबंध में बिहार पुलिस को पत्र भी लिखा गया है। इसके बाद इसकी गंभीरता और बढ़ गई है। हालांकि कोई कारगर कदम नजर नहीं आ रहा है। छापेमारी में मिले थे 39 हथियार, 7.65 एमएम पिस्टल एसटीएफ की कार्रवाई में 25 जनवरी से पांच फरवरी, 2021 के बीच 24 अद्र्धनिर्मित समेत 39 अवैध असलहे बरामद किए गए हैं। इसमें सभी की सभी 7.65 एमएम की पिस्टल है। मुंगेर में मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़ भी हो चुका है। पुलिस को शक है कि इन्हें भी तस्करों के माध्यम से दूसरे राज्यों में भेजा जाना था।
जबलपुर ऑर्डिनेंस डीपो में भी सेंध: मुंगेर के हथियार तस्करों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के डीपो में भी सेंध लगा दी थी। जबलपुर से डीपो एके 47, इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियारों की तस्करी की जा रही थी। 29 अगस्त 2018 को जमालपुर के जुबली वेल चौक से तीन एके 47 राइफल बरामद किए गए थे। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। देखते ही देखते मुंगेर में 22 एके 47 बरामद की गईं। इसे लेकर दर्ज एक मामले की जांच एनआइए ने शुरू की। पूछताछ में आरोपितों ने मुंगेर से अब तक 70 से अधिक एके 47 राइफल लाए जाने की बात कही थी।
मुंगेर के एसपी मानवीजत सिंह ढिल्लो ने बताया कि अवैध हथियार निर्माण और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस: लगातार कार्रवाई कर रही है। लगातार मिनी गन फैक्ट्रियां पकड़ी जा रही हैं। हथियार निर्माण और तस्करी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए व्यापक पहल किए जाने की जरूरत है। जो कच्चा माल आता है, वह वैध है इसलिए रोक लगाना मुश्किल है। पुलिस की कार्रवाई के बाद ऐसे लोग दूसरी जगहों पर हथियार बनाने लगते हैं। ऐसे में सबसे पहले हथियार निर्माण और तस्करी से जुड़े लोगों के पुनर्वास के प्रयास करने होंगे। अवैध हथियार निर्माण के लिए आने वाले कच्चे माल के चेन को तोड़ना होगा।
5 फरवरी : गया से दो तस्कर, रेहान आलम व मो. सिकंदर गिरफ्तार । 7.65 एमएम के पांच पिस्टल, 10 मैगजीन, 61,680 रुपये बरामद।
3 फरवरी : खगड़िया से तीन तस्करों को पकड़ा गया। इसमें मालदा (बंगाल) के मो. अबू सलीम, खगड़िया के पिंटू यादव व रोशन कुमार शामिल थे। पिस्टल सहित अन्य हथियार बरामद।
2 फरवरी : मुंगेर के ऋषिकुंड पहाड़ी से मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन। चार अपराधी शिवम कुमार यादव, मोहन पासवान, मो. मेहबूब आलम, मो. तरबेज (सभी मुंगेर के) गिरफ्तार किए गए। पांच अर्धनिर्मित पिस्टल, पांच पिस्टल की बैरल, दो मैगजीन, चार अद्र्धनिर्मित मैगजीन आदि बरामद।
28 जनवरी : पटना सिटी का मुकेश कुमार पटेल और मो. दानिश गिरफ्तार । 7.65 की पांच देसी पिस्टल और 10 मैगजीन आदि बरामद।
25 जनवरी : नवगछिया में दो पकड़े गए। मुंगेर का अरविंद कुमार व नवगछिया का सोनू आलम गिरफ्तार किया गया। 7.65 एमएम की 20 अर्धनिर्मित पिस्टल बरामद हुई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।