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    Defence Ministry: रक्षा मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला, जमालपुर की रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट होगी बंद

    Updated: Fri, 28 Jun 2024 04:24 PM (IST)

    रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। जमालपुर की रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट को बंद किया जाएगा। रेलवेज ट्यूटोरियल आर्मी का गठन 1949 में हुआ था। वहीं जमालपुर रेजीमेंट 1950 में अस्तित्व में आया था। जमालपुर में इसे 969 रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट ट्यूटोरियल आर्मी कैंप नाम दिया गया। यह देश का छठां रेजीमेंट है। जमालपुर रेल कारखाना में कभी गोला-बारूद का भी निर्माण होता था।

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    जमालपुर की रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट होगी बंद (फोटो- जागरण)

    केएम राज, जमालपुर (मुंगेर)। जमालपुर स्थित 969 रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट ट्यूटोरियल आर्मी कैंप (टीए) को प्रशासकीय अधिकारी ने बंद करने का निर्णय लिया है। देश की सुरक्षा पर आंच आने की स्थिति में रक्षा मंत्रालय ने रेलवे से सामंजस्य बैठाते हुए रेलवेज ट्यूटोरियल आर्मी का गठन 1949 में किया था।

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    जमालपुर रेजीमेंट 1950 में अस्तित्व में आया था। जमालपुर में इसे 969 रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट ट्यूटोरियल आर्मी कैंप नाम दिया गया। यह देश का छठां रेजीमेंट है। इस रेजीमेंट में जमालपुर कारखाना में कार्यरत रेल कर्मियों को सेना का प्रशिक्षण दिया जाता था, ताकि समय आने पर यह काम आ सके। इस वर्ष मार्च में आखरी बैच का प्रशिक्षण हुआ।

    जमालपुर रेल कारखाना में कभी गोला-बारूद का भी निर्माण होता था। रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट बंद होने के साथ ही यहां का कैंटीन भी बंद हो जाएगा। जमालपुर स्थित कैंटीन से सेवानिवृत्त सैनिकों को फायदा होता था। रेल मंत्रालय ने इसके लिए रक्षा मंत्रालय से सहमति मिलने के बाद यह फैसला लिया है।

    जमालपुर, झांसी, कोटा, आद्रा, चंडीगढ़ और सिकंदराबाद में स्थित छह रेलवे इंजीनियरिंग प्रादेशिक सेना रेजीमेंट थी। पांच पहले ही बंद हो चुकी हैं। जमालपुर इकलौता रेजीमेंट बचा है। अब इसे भी बंद कर दिया जाएगा। यहां कर्नल, पदाधिकारी से लेकर जवानों की संख्या कुल 1500 थी। अब यह संख्या मत्र 50 रह गई है। सितंबर तक पूरा रेजीमेंट खाली करने का निर्देश दिया गया है।

    64 वर्षों में 20 हजार रेल कर्मी को सैन्य प्रशिक्षण

    जमालपुर रेलवे इंजीनियरिंग रेजीमेंट ट्यूटोरियल आर्मी कैंप में 1960 से 2024 तक लगभग 20 हजार रेल कर्मियों को सैन्य प्रशिक्षण दिया गया। इसमें न सिर्फ रेल कारखाना के कर्मचारी थे बल्कि देश के सभी 17 रेलवे जोन के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं।

    आखिरी बैच का प्रशिक्षण मार्च 2024 में संपन्न हुआ। 75 जवानों और रेलकर्मियों को इसमें प्रशिक्षण दिया गया। रेजीमेंट का इतिहास यह भी है कि यहां प्रशिक्षण लेने वाले लोग 1965 और 1971 के यद्ध में भी शामिल हुए थे।

    रेजीमेंट बनाने का उद्देश्य

    दरअसल, रेलवे प्रादेशिक सेना (प्रा.से.) इकाइयों की स्थापना प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत सहायक बल के रूप में 1949 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में रेल संचार की व्यवस्था करना तथा शांति के समय आपात (रेलवे हड़ताल आदि) स्थिति में आवश्यक रेल परिवहन व्यवस्था को बनाए रखना था।

    रेलवे इंजीनियर्स रेजीमेंट में मुख्य रूप से सेवारत रेल कर्मचारियों की तैनाती की जाती है। जवानों के साथ ही रेल कर्मचारियों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था।

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