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    ..अब पांच घातक बीमारी से बच्चों का रक्षा करेगा पेंटावैलेंट

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    Updated: Mon, 08 Dec 2014 07:38 PM (IST)

    मुंगेर, संवाद सूत्र : शिशु मृत्यु-दर कम करने को लेकर अब पांच वर्ष तक के शिशुओं को पेंटावैलेंट वैक्सी ...और पढ़ें

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    मुंगेर, संवाद सूत्र : शिशु मृत्यु-दर कम करने को लेकर अब पांच वर्ष तक के शिशुओं को पेंटावैलेंट वैक्सीन दी जाएगी। पेंटावैलेंट वैक्सीन पांच घातक बीमारियों से शिशु को बचाने में कारगर है। इससे शिशु को गलघोटू, काली खांसी, टिटनेस, हेपटाइटिस बी और हिमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप बी जैसे जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है। मालूम हो कि पेंटावैलेंट टीका हिमोफिलस एवं इंफ्लुएंजा टाइप बी से होने वाले गंभीर रोगों जैसे निमोनिया,मैनिंजाइटिस, सेप्टिसेमिया, एपिग्लोटाइटिस और सेप्टिक आर्थाइटिस आदि की रोकथाम करता है। सोमवार को सदर अस्पताल के प्रशिक्षण कक्ष में स्वास्थ्य केन्द्र के प्रबंधकों एवं बीसी को पेंटावैलेंट की जानकारी दी गयी है। मौके पर डब्लूएचओ के एसएमओ डॉ.सरोज जमील ने बताया आगामी 7 दिसंबर से जिले में बच्चों को पेंटावैलेंट टीका देना का कार्य शुरु हो जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य केन्द्र के प्रबंधक सचेत रहे।

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    क्या है हिब

    प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अताउररहमान बताते हैं कि हिमेफिलिस इंफ्लुएंजा टाइप बी का संक्षिप्त नाम है हिब। यह एक बैक्टीरिया है। जिसके कारण जोड़ों में सूजन, खून में रोगजनक बैक्टीरिया, फेफडें में सूजन, मैनिंजाइटिस जैसी बीमारियां होती है।

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    कैसे फैलता है हिब

    जब एक संक्रमित बच्चा खांसता या छींकता है, तो उसकी लार की बूंदों से अन्य बच्चों में यह संक्रमण फैलता है। जिन खिलौनों सा अन्य चीजों को बच्चे अपने मुंह में डाल लेते है, उनसे साथ-साथ खेलने वाले अन्य बच्चों को भी हिब संक्रमण प्रभावित करता है।

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    किन बच्चों को संक्रमण का सबसे ज्याद खतरा है?

    पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को हिब अधिकतर प्रभावित करता है, 4 से 18 माह की आयु के बच्चे सबसे अधिक जोखिम में होते हैं।

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    कैसे पड़ेगा सूई

    6,10, और 14 सप्ताहों में डीपीटी, हेपटाइटिस बी, हिब रोग के टीके देने की समय सारणी एक ही है। दोनों बीमारी की अलग-अलग सुई लेने पर बच्चों को नौ सुई लगानी पड़ेगी। जबकि, पैंटवैलेंट सुई लेने पर तीन ही सुई में काम चल जाएगा।

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    हिन्दी नहीं जानते हैं स्वास्थ्य प्रबंधक

    टेटिया बम्बर के स्वास्थ्य प्रबंधक मो. अफाक हिंदी बोलना और हिंदी में बात करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। डीपीटी टीका किन बीमारियों से बचाने के लिए शिशु को दी जाती है। जब यह सवाल मीडिया कर्मियों ने स्वास्थ्य प्रबंधक से पूछा, तो वह फर्राटेदार अंग्रेजी में बोलने लगा। जब उनसे हिंदी में बताने को कहा गया, तो उन्होंने कहा कि हिंदी में मैं बात नहीं करता हूं। अप समझें, तो ठीक। नहीं समझे तो ठीक। ऐसे में राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर सरकारी विभागों के दावों की हकीकत बयां हो जाती है।