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    वट वृक्ष की पूजा के साथ सुहागिनों ने की पति के दीर्घायु जीवन की कामना

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 30 May 2022 11:49 PM (IST)

    मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व वट सावित्री सोमवार को हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। पति की दीर्घायु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहागिनों ने व्रत रखा और वट सावित्री की पूजा की। वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों ने विधि पूर्वक वट (बरगद) की पूजा की और वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर परिक्रमा कर सौभाग्य की मंगलकामना की। इसके उपरांत व्रति महिलाओं ने पूरी श्रद्धा के साथ वट सावित्री की कथा सुनी।

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    वट वृक्ष की पूजा के साथ सुहागिनों ने की पति के दीर्घायु जीवन की कामना

    मधुबनी । मिथिलांचल में लोक आस्था का पर्व वट सावित्री सोमवार को हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। पति की दीर्घायु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहागिनों ने व्रत रखा और वट सावित्री की पूजा की। वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों ने विधि पूर्वक वट (बरगद) की पूजा की और वट वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटकर परिक्रमा कर सौभाग्य की मंगलकामना की। इसके उपरांत व्रति महिलाओं ने पूरी श्रद्धा के साथ वट सावित्री की कथा सुनी। शास्त्रों में वर्णित सावित्री सत्यवान की कथा इस लोकपर्व का आधार माना जाता है, जिसमें अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए सावित्री ने यम के नियम को भी बदलने पर मजबूर कर दिया था। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से पति की आयु लम्बी होती है। ---------------- सुबह से ही जुटने लगी व्रती : सुबह से ही वट सावित्री पूजा को लेकर सुहागिन महिलाओं में उत्साह था। सुबह से ही स्नान कर नए परिधानों में सज-संवर कर वट वृक्ष के निकट व्रति महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। कई जगहों पर पूजा-अर्चना के लिए महिलाओं को भीड़ अधिक होने के कारण प्रतिक्षा भी करनी पड़ी। यूं तो पूजा को लेकर अधिकांश लोगों ने रविवार को ही आवश्यक खरीदारी कर ली थी, लेकिन सोमवार की सुबह भी बाजार में फलों की बिक्री तेज रही। खासकर आम, लीची, केला, खीरा, मिठाई आदि की मांग बढ़ी रही। खरीदारी का सिलसिला दोपहर तक चलता रहा। ------------------ घरों के आंगन व छतों पर भी हुई पूजा : घर के बाहर वट वृक्षों के निकट महिलाओं की अत्यधिक भीड़ से बचने के लिए कई व्रतियों ने अपने घरों के आंगन या छतों पर ही पूजा की। आंगन में वट वृक्ष की शाखा को गमलों में लगाकर कई जगहों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की। इसके कारण सुबह से ही कई लोग वट वृक्ष की टहनियों की जुगाड़ में जुटें रहें। शहर में कई जगहों पर वट वृक्ष की टहनियों की बिक्री होती भी देखी गई। जानकारों की मानें तो अब यह पर्व भी बाजारवाद के असर से प्रभावित हो रहा है। --------------- नवविवाहिताओं के घर रहा उत्सवी माहौल : वट-सावित्री पूजा को लेकर खासकर नवविवाहिताओं के घर काफी चहल-पहल दिखी। नवविवाहिताओं के घर पूजा को लेकर उत्सवी माहौल रहा। इस बार के लगन में जिन युवतियों का विवाह हुआ, उनकी यह पहली पूजा थी। इस अवसर पर परंपरा के अनुसार विवाहिता के ससुराल से पूजा की सभी सामग्री भेजी जाती है जिससे नवविवाहिताएं पूजा करती हैं। पूजा के बाद परंपरा के अनुसार नवविवाहिताओं के घर फुला हुआ चना बांटा गया। चना लेने के लिए बच्चों व महिलाओं के झूंड का देर शाम तक घर आना जारी रहा। ------------------ शहर से लेकर गांवों तक रही चहल-पहल : पूजा को लेकर शहर से लेकर गांवों तक चहल-पहल देखी गई। शहर में कई जगहों पर वट वृक्ष की पूजा करने के लिए व्रति महिलाओं का हुजूम दोपहर बाद तक जुटा रहा। नगर थाना परिसर, रेलवे स्टेशन परिसर, महाराजगंज, तिरहुत कालोनी, विनोदानंद झा कालोनी, बसुआरा, कोतवाली चौक समेत विभिन्न जगहों पर वट वृक्ष की पूजा को महिलाओं की अत्यधिक भीड़ जुटी। शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी धूमधाम से वट सावित्री पूजा मनाई गई। -------------------

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