विद्यापति लोक भाषाओं के रचनाकार : विधायक
मिथिला के संस्कृत की विश्व में एक अलग पहचान है महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि रचनाकार थे।
मधुबनी। मिथिला के संस्कृत की विश्व में एक अलग पहचान है महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि रचनाकार थे। मिथिला की संस्कृति के जागृति के बिना विश्व का कल्याण संभव नहीं है। मिथिला मैथिली के विकास व भाषा की संवृद्धि के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेगा। उक्त बातें बेनीपट्टी के विधायक भावना झा ने मिथिलांचल सर्वांगिण विकास संस्थान द्वारा श्री लीलाधर उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित तीन दिवसीय 32वां मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह के प्रथम दिन शुक्रवार की रात दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन के बाद कही। उन्होंने कहा कि मिथिला आज विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा बिखेर रही है। महाकवि विद्यापति मिथिला के संस्कृति की पहचान के साथ ही विद्यापति की रचनाएं समाज से कुरीतियों को दूर करने में सहायक सिद्ध हुई । मिथिला में भगवान व विद्वान की कमी नहीं है। महाकवि विद्यापति की रचना आज भी प्रासंगिक है। मुख्य अतिथि सतीश साजन ने कहा कि भारतीय दर्शन के छह स्तंभों में चार स्तंभों का मिथिला में जन्म हुआ है। महाकवि विद्यापति ऐसे कवि हुए जिन्होंने अपनी लोक भाषा में रचना कर मैथिली भाषा का सम्मान कायम रखा। दुनिया की संस्कृत में मिथिला की संस्कृति सबसे पुरानी है। मिथिला विद्वानों का गढ़ माना जाता है। महाकवि विद्यापति जनकवि थे साथ ही उनके द्वारा गीतों में उस समय समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति गीतों के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया। कवि विद्यापति की रचना आज भी प्रासंगिक है। मिथिला की संस्कृति विश्व स्तर पर श्रेष्ठतम है। कार्यक्रम में संस्थान के अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन ने कहा कि महाकवि विद्यापति मिथिला ही नहीं बल्कि राष्ट्र के विभूति हैं। मिथिलांचल में अनेक विद्वान हुए जो स्मरणीय भी है लेकिन महाकवि विद्यापति ऐसे विद्वान हुए जिनको लेकर सभी वर्गों के लोग एक साथ मिल बैठकर उनकी रचना की चर्चा करते हैं। कवि विद्यापति की रचना हमारे समाज में आज भी प्रासंगिक है। उद्घाटन भाषण के बाद विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। डा. चंद्रमणि झा की अध्यक्षता में हुई कवि सम्मेलन में रामेश्वर निशांत, फूलचंद्र झा, चंद्रेश, हरिश्चंद्र झा, सुभाष चंद्र झा, चंद्रमोहन झा पड़वा, सतीश साजन, विनय विश्व बन्धु, ऋषि वशिष्ट, दयाशंकर, आनंदमोहन झा सहित कई कवियों ने अपने कविता के माध्यम से श्रोताओं को लोटपोट करते रहे। समारोह के तीसरे सत्र में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां धरोहर सांस्कृतिक मंच मधुबनी के कलाकार रमेश रंजन, खुशबू, काजल दत्ता, पायल दत्ता, पूजा कुमारी, ममता कुमारी सहित कई कलाकारों ने अपने सुमधूर गीतों से श्रोताओं को भरपूर मनोरंजन कर झूमाते रहे। आगत अतिथियों को पाग-दोपटा व फूल की माला से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में श्याम ¨सह, बैद्यनाथ झा, अवधेश कुमार ¨सह, वशिष्ट कुमार झा, मिहीर झा, सीयाराम सदाय, प्रो. ब्रह्म कुमार झा, डा. एमटी रेजा सहित कई लोगों ने विचार प्रकट किया।
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