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    उच्चैठ भगवती मंदिर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 28 Sep 2019 11:05 PM (IST)

    मधुबनी। जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल अंतर्गत उच्चैठ गांव में मां दुर्गा प्राचीन काल से विराजमान हैं। शारदीय नवरात्र में उच्चैठ भगवती दरबार में श्रद्धालुओ ...और पढ़ें

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    उच्चैठ भगवती मंदिर

    मधुबनी। जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल अंतर्गत उच्चैठ गांव में मां दुर्गा प्राचीन काल से विराजमान हैं। शारदीय नवरात्र में उच्चैठ भगवती दरबार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। सालों भर जिला व राज्य सहित पड़ोसी देश नेपाल से भारी संख्या में भक्तों का आना लगा रहता है। इतिहास

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    यहां स्थापित मां दुर्गा की सुखासन मुद्रा में प्रतिमा की किसने व कब स्थापना की इसका विवरण उपलब्ध नहीं है। इनकी पूजा कर कालिदास महाविद्वान बने इसकी जनश्रुति प्रचलित है। मंदिर के बगल में कालिदास चौपाड़ि नामक एक डीह आज भी मौजूद है। इस भगवती की पूजा जनकपुर जाने के समय श्रीराम द्वारा किए जाने की बात भी कही जाती है। वर्तमान मंदिर का निर्माण गत शताब्दी के चौथे शतक में हुआ था। मंदिर का गुंबद ऊपर की ओर चौकोर है। गर्भ गृह में प्रवेश व निकास एक ही द्वार से होता है। प्रवेश द्वार से पहले बरामदा है। चारों ओर बरामदा भी है। मंदिर का रंग लाल है।

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    उच्चैठ भगवती सबकी सुनती हैं। भगवती दरबार से कोई निराश होकर नही जाते। यहां की मिट्टी को लोग बच्चों के अक्षरारंभ कराने को ले जाते हैं। विश्वास है कि यहां की मिट्टी से अक्षरारंभ कराने से संतान महाकवि कालिदास जैसा विद्वान होगा। शारदीय नवरात्र में यहां देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं।

    - जय कुमार गिरी, पुजारी

    फोटो 28 एमडीबी 30

    उच्चैठ भगवती मंदिर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रतिदिन भगवती का भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस अनुष्ठान में भारी संख्या में भक्त उपस्थित रहते हैं। शारदीय नवरात्र में चुनरी चढ़ाने को भीड़ लगी रहती है। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए दर्शन की विशेष व्यवस्था की जाती है।

    - डा. राधा मोहन मिश्रा, शिक्षक

    फोटो 28 एमडीबी 32