सद्भाव की मिसाल बने भारत-नेपाल के दो गांव, यहां सरहद को पाटते दिलों के रिश्ते
बिहार व नेपाल सीमा पर एक गांव है मधवापुर। यह नेपाल के गांव मटिहानी से केवल 20 मीटर दूर है। दोनों गांवों के लोगों के बीच गजब का सद्भाव दिखता है। आइए डालते हैं नजर।
मधुबनी [जेएनएन]। बिहार के नेपाल सीमावर्ती भारतीय क्षेत्र के मधवापुर और नेपाल के मटिहानी गांव के लोगों को देश की सरहद भी नहीं बांट पाती। दोनों गांवों की दूरी सीमा से महज 20 मीटर है। दोनों देश के ग्रामीणों के बीच ना भाषा की दीवार है, ना ही सीमा का बंधन। सड़क के बीच में स्थित पिलर देश को सीमा का एहसास कराते हैं, परंतु लोगों के दिलों में भेदभाव नहीं है।
मटिहानी में विवाह भवन नहीं है, इसलिए नेपाल के लोग सीमा पार मधवापुर स्थित रामजानकी विवाह भवन में आकर शादी करते हैं। दोनों तरफ के लोग मैथिली, हिंदी और नेपाली जानते हैं। अंतिम संस्कार, श्राद्ध भोज या फिर मांगलिक मौके पर लोग एक दूसरे के यहां भाग लेते हैं।
दिलों को जोड़ती 15 दिवसीय मिथिला परिक्रमा
मधवापुर चैम्बर ऑफ कामर्स के पूर्व महासचिव चेतन कुमार रश्मि कहते हैं कि मधवापुर सहित नेपाल के मटिहानी से लेकर जनकपुर तक मां सीता से संबंधित पौराणिक स्थल आज भी मौजूद हैं। मधवापुर-मटिहानी सीमा पर ही नेपाल क्षेत्र में सीता विवाह के समय मटकोर की रस्म पूरी की गई थी।
हर साल फाल्गुन प्रतिपदा से होने वाली 15 दिवसीय मिथिला परिक्रमा सदियों से दोनों देशों के नागरिकों के दिलों को जोड़ती रही है। स्थानीय रामबाबू साह ने कहा कि यहां रहने वाले भारतीय हों या नेपाल देश के नागरिक सीमा बाधक नहीं है। डॉ. राम बिहारी पूर्व कहते हैं कि जबसे होश संभाला, यही स्थिति देख रहे हैं।
एसएसबी व नेपाली पुलिस का सहयोग
एसएसबी के मधवापुर प्रभारी राकेश कुमार गोस्वामी, मधवापुर थानाध्यक्ष राजीव रौशन व नेपाल के मटिहानी थानाध्यक्ष गोपाल यादव ने कहा कि दोनों देश के अधिकारी व जवान नो मेंस लैंड पर सतत संयुक्त निगरानी करते हैं। हमारा काम तस्करी व आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों को पकडऩा है।
दोनों देश के बाजार एकदम सटे हुए हैं, दिनचर्या के जरूरी सामान की खरीद पर रोक नहीं है। इससे सामाजिक सद्भाव का निर्माण हुआ है। सीमा पर पूर्णतया शांति है। यह दो देशों के बीच सद्भाव की अनूठी मिसाल है।
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