Bihar: आखिर क्यों दो बेटे दो किलोमीटर कंधे पर लादकर लाए पिता की लाश? मधुबनी का यह गांव इस वजह से है परेशान
Madhubani मधुबनी जिले के अखरहारघाट गांव के लोग जनप्रतिनिधियों की ओछी राजनीति के शिकार हैं जिसके कारण एक पिता के शव को कंधे पर लादकर दो किलोमीटर पैदल चलकर लाने पर दो पुत्र विवश दिखे। यह तस्वीर बिहार के मधुबनी जिला के अखरहरघाट गांव की है जहां पुल ध्वस्त होने के बाद सरकार के तमाम दावों की पोल खुलती दिख रही है।
मधवापुर (मधुबनी), संवाद सहयोगी: Madhubani News: मधुबनी जिले के अखरहारघाट गांव के लोग जनप्रतिनिधियों की ओछी राजनीति के शिकार हैं, जिसके कारण एक पिता के शव को कंधे पर लादकर दो किलोमीटर पैदल चलकर लाने पर दो पुत्र विवश दिखे।
यह तस्वीर बिहार के मधुबनी जिला के अखरहरघाट गांव की है, जहां पर सरकार के तमाम दावों की पोल खुलती दिख रही है। बताते चलें कि प्रखंड के भारत नेपाल सीमा पर स्थित अखरहरघाट गांव में जाने के लिए अंग्रेजों जमाने का पुल ध्वस्त हो चुका है।
अधिकारी-मंत्रियों से पुल के लिए लगा चुके गुहार
बावजूद हजारों की आबादी वाले गांव के लोग किसी तरह आवाजाही करते हैं। टेंपो अथवा एंबुलेंस तो दूर इस पुल से एक साइकिल अथवा बाइक भी ले जाना किसी खतरे से कम नहीं है। यह तस्वीर सरकार में बैठे लोग और जनप्रतिनिधियों के ऊपर काला धब्बा है।
पुल निर्माण को लेकर यहां ग्रामीण सांसद, विधायक, मंत्री अथवा जिलाधिकारी तक को आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मामला अबतक सिफर है। घटना को देखते हुए अखरहरघाट गांव के आक्रोशित लोग अब आंदोलन चलाने का मन बना रहे हैं।
नदी में उपलता मिला था शव
गौरतलब है कि भारत नेपाल सीमा के साहरघाट थाना क्षेत्र के अखरहरघाट के पास धौंस व जमुनी नदी के संगम में डूबने से साहरघाट निवासी 55 वर्षीय जूबी राउत की मौत हो गई थी। शव नदी में गुरुवार को उपलाता मिला था।
शव को पोस्टमार्टम के लिये अस्पताल ले जाना था। इसके लिये साहरघाट मुख्य सड़क तक करीब दो किमी शव को कंधे पर उठाकर बेटों को लाना पड़ा।
मृतक के बड़े पुत्र विकास कुमार ने बताया कि पुल ध्वस्त होने के कारण कोई भी गाड़ी घटनास्थल तक नहीं जा सकती है। काफी समय से लोग पुल की मांग कर रहे हैं। मगर उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बेनीपट्टी एसडीएम मनीषा कुमारी ने बताया कि इस तरह की घटना गंभीर बात है। उनके संज्ञान में पुल के जर्जर होने की जानकारी नहीं है। संबंधित विभाग के कार्यपालक अभियंता को भेजकर दिखवाया जाएगा कि किस स्तर पर पुल निर्माण का काम बाधित है। क्या विभागीय स्तर से कोई प्रस्ताव भेजा गया है या नहीं।
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