बरसात में टापू में तब्दील हो जाता यह गांव, बेटे-बेटियों की शादी से कतराते लोग
मधुबनी। मधवापुर प्रखंड मुख्यालय मधवापुर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे अखरहरघाट गांव की तस्वीर आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदली है।
मधुबनी। मधवापुर प्रखंड मुख्यालय मधवापुर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे अखरहरघाट गांव की तस्वीर आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदली है। बरसात शुरू होते ही यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है। कमर तक पानी पार कर या नाव के सहारे ग्रामीण आते-जाते हैं। भारत-नेपाल सीमा पर धौंस, यमुनी एवं सिमरा नदी के संगम स्थल साहरघाट उतरी पंचायत के इस गांव में आज तक एक पुल नहीं बन सका। तीन दिशाओं से नदियों से घिरे इस गांव में ग्रामीण बेटे-बेटियों की शादी से कतराते हैं।
भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाले एनएच 104 में साहरघाट-अखरहरघाटसड़क जुड़ती है। यह सड़क पूर्व में जिला परिषद के अधीन थी। एक दशक पहले 2010 में इस सड़क को प्रधानमंत्री सड़क में परिवर्तित कर दिया गया। मगर, पुल का निर्माण नहीं हुआ। सुखाड़ के दिनों में तो लोग किसी तरह पुल के नीचे से आवागमन कर लेते हैं। मगर, बरसात में ग्रामीण, स्कूली बच्चे, सीमा पर तैनात एसएसबी जवानों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सुखाड़ के समय ईट, सीमेंट, बालू, छड़ आदि खेत के रास्ते मंगा ले तो ठीक। अन्यथा इस मौसम में घर बनाने का सपना धरा का धरा रह जाता है।
रिश्ते से लेकर सांसों की डोर टूटने का रहता खतरा : गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर रात में इलाज के लिए कहीं ले जाना हो तो समझ लीजिए मरीज की जान भगवान के भरोसे रहती है। बेटे-बेटियों का रिश्ता यहां करने से लोग कतराते हैं। अखरहरघाट निवासी राम शोभित महतो बताते हैं कि उनकी बच्ची की शादी जून में होनी थी। मगर, लगातार बारिश के कारण गांव के पानी से घिर गया। सड़क संपर्क भंग हो गया। शादी की तिथि आगे बढ़ानी पड़ी है। गांव के रामनंदन मंडल कहते हैं, बेटे कीशादी से एक सप्ताह पहले सड़क संपर्क भंग हो गया। लड़की वाले डेट आगे बढ़ाने को तैयार नहीं थे और शादी तोड़ दी। बेटे की शादी दूसरी जगह करनी पड़ी। कुशेश्वर मंडल कहते हैं, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को नाव से इलाज के लिए ले जाना पड़ता है। कभी-कभार देर होने से मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। वार्ड सदस्य रामकुमारी देवी, पैक्स अध्यक्ष किशोरी महतो, विलास महतो और कारी मुखिया कहते हैं कि लोग जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। पंचायत के मुखिया रामनरेश प्रसाद ने बताया कि कई बार सांसद व विधायक के अलावा उच्चाधिकारियों से पुल निर्माण के लिए गुहार लगा चुका हूं। मगर, आजतक ध्यान नहीं दिया गया।
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