खजौली के बेहटा स्थित शहीद स्मारक उपेक्षित
मधुबनी। महात्मा गांधी के अंग्रेज भारत छोड़ो के आह्वान ने खजौली के युवाओं में जोश भर दिया था। आजादी की लड़ाई में खजौली के छह युवाओं ने अंग्रेजों की गोली को सीना पर झेल कर तिरंगा को झुकने नहीं दिया और स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गए।
मधुबनी। महात्मा गांधी के अंग्रेज भारत छोड़ो के आह्वान ने खजौली के युवाओं में जोश भर दिया था। आजादी की लड़ाई में खजौली के छह युवाओं ने अंग्रेजों की गोली को सीना पर झेल कर तिरंगा को झुकने नहीं दिया और स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गए। मालूम हो कि 8 अगस्त 1942 को छह युवाओं की टोली जिसमें महाराजपुर के गणेश ठाकुर (14), मंगती के जयनंदन सिंह (28), हरपुर के नारायण मिश्र (25), नरार के नेवी यादव (35), ठाहर के भगवंत पासवान (20), हरिपुर के शिव झा (13) ने प्रखंड के बेहटा गांव में आजादी के लिए गुप्त बैठक कर रहे थे। जिसकी भनक लगते ही अंग्रेजों ने इन युवाओं पर हमला कर दिया। जिसमें शहीद जयनंदन सिंह व नेवी यादव मौके पर शहीद हो गए। बाद में छह युवाओं की टीम के शेष चार युवाओं ने भी आजादी की लड़ाई में शहीद हो गए। इन शहीदों की याद में बेहटा गांव में स्मारक का निर्माण किया गया था। यह स्मारक वर्षों से उपेक्षित है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस सहित अन्य मौकों पर स्मारक पर माल्यार्पण के लिए लोग आते हैं। लेकिन स्मारक के विकास पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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'आजादी की लड़ाई की याद आते ही फिर से देशभक्ति का जज्बा जागृत हो उठता है। बड़ी कुर्बानी के बाद मिली आजादी के सही मायनों को समझना होगा। देश के विकास की गति धीमी रहने से इसका समुचित लाभ देशवासियों को नही मिल सका है। देश को संवारने का दायित्व जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ युवाओं की भी होती है।'
- सोमन महतो, स्वतंत्रता सेनानी
'युवाओं को भ्रष्टाचार मुक्त देश के निर्माण के लिए गंभीरता से आगे आना होगा। युवाओं की तरक्की से जुड़ा है देश की तरक्की। हरेक लोगों को देश हित में कार्य करना होगा। देश सेवा में युवाओं की भागीदारी अहम होता है। युवाओं में देश प्रेम की भावना ही देश की गरिमा को आगे ले जाएगा। एकता के लिए समाज की एकजुटता जरूरी है।'
- वशिष्ठ नारायण झा, पूर्व सैनिक
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