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राम और जानकी की पहली मुलाकात की गवाह फुलहर आज आएगी बरात

मधुबनी। मिथिलांचल को वैसे ऋषि मुनियों की धरती कहा जाता है। खासकर हरलाखी प्रखंड रामायण काल से जुड़े होने के नाते अहम है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 12:15 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 06:14 AM (IST)
राम और जानकी की पहली मुलाकात की गवाह फुलहर आज आएगी बरात
राम और जानकी की पहली मुलाकात की गवाह फुलहर आज आएगी बरात

मधुबनी। मिथिलांचल को वैसे ऋषि मुनियों की धरती कहा जाता है। खासकर हरलाखी प्रखंड रामायण काल से जुड़े होने के नाते अहम है। एक दिसंबर को नेपाल के जनकपुर में आयोजित होने वाले श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव पर हरलाखी के लोग खास तैयारी रखते हैं। पांच साल पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित होने वाले अयोध्या से जनकपुर तक मर्यादा पुरोषोत्तम श्रीराम की बरात बुधवार को हरलाखी प्रखंड के विशौल स्थित विश्वामित्र स्थान व गिरजा महारानी स्थान फुलहर में आगमन होगा। फुलहर ही वह जगह है जहां स्वयंवर से पहले श्रीराम की भेंट सीता से हुई थी। कहा जाता है कि यहीं राजा जनक की फुलवाड़ी थी।

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इसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है। विश्वामित्र स्थान विशौल को पंडाल व फूल मालाओं से सजाया गया है। आसपास के हजारों श्रद्धालु इस यात्रा के स्वागत के लिए मौजूद रहेंगे। बरात में 200 संत समेत करीब 500 लोग अयोध्या से शामिल रहेंगे। विशौल में बरातियों का मिथिला पंरपरा अनुसार स्वागत किया जाएगा। बरातियों को भोजन कराया जाएगा। करीब दो घंटे के विश्राम के बाद बराती आगे के लिए विश्व हिन्दू परिषद के राजेंद्र सिंह पंकज के नेतृत्व में प्रस्थान करेगी। विशौल से जनकपुर तक काफिला के साथ आएगी बरात

अयोध्या से आई बरातियों का काफिला कल्याणेश्वर से विशौल स्थान के बाद उमगांव, फुलहर, गंगौर, केरवा, साहरघाट, बलवा, बासुकी, बिहारी, मधवापुर, मटिहानी में रात्री विश्राम के बाद 28 नवंबर को जलेश्वर, पिपरा के बाद जनकपुर मारवाड़ी सेवा समिति पहुंचेगी। 29 को जनकपुर में बारात स्वागत, तिलकोत्सव व समधी मिलन होगा। 30 को संध्या मारवाड़ी सेवा समिति में ही मटकोर कार्यक्रम में बराती शामिल होंगे। इसके बाद एक दिसंबर को बरबीघा मैदान में धनुष महायज्ञ व विवाहोत्सव में शामिल होने की कार्यक्रम रखा गया है। दो दिसंबर को रामकलेवा में गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कार्यक्रम है। तीन दिसंबर को जनकपुर से प्रस्थान कर बर्डीवास, वीरगंज, रक्सौल, मोतिहारी, गोपालगंज, कुशीनगर, गोरखपुर होते हुए चार दिसंबर को बरात अयोध्या पहुंचेगी। बरात के लिए मिथिला के तिलकोर व खमहाउर का विशेष व्यंजन

श्री सीताराम विवाह महोत्सव में शामिल होने वाले बरातियों के स्वागत की तैयारी में जुटे विश्वामित्र आश्रम के महंत ब्रजमोहन दास ने बताया कि बराती यहां पहुंचने से पूर्व बुधवार की सुबह बासोपट्टी से चलकर राजा जनक के द्वारा स्थापित कल्याणेश्वर महादेव स्थान में बालभोग का प्रसाद ग्रहण करेंगे। कल्याणेश्वर स्थान से निकलने के बाद उमगांव हटवरिया नहर के रास्ते करीब 10 बजे सुबह विशौल आश्रम में बरातियों का आगमन होगा। जहां नागरिक समाज के द्वारा मिथिला के परंपरा के अनुसार बरातियों का पाग-दोपटा व अंगवस्त्र से स्वागत किया जाएगा। तदुपरांत सभी बरातियों को मिथिला के पारंपरिक बर-बड़ी, तिलकोर व खमहाउर समेत दर्जनों पकवान के साथ भोजन कराया जाएगा। उन्होंने कहा 27 नवंबर को विशौल में बरात की स्वागत के लिए सड़क की साफ सफाई व रंगोली बनाकर स्वागत करने समेत अन्य सभी बिदु पर तैयारी कर ली गई। महंत ने बताया कि यहां बारात की अगवानी के लिए स्वयं जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास सहित जनकपुर के अन्य संत भी मौजूद रहेंगे। बरात आगमन से लेकर विदा करने तक सहयोग में राम बच्चन यादव, मुखिया मदन राम, राम विलास राउत, चुन चुन झा, राम स्नेही महतो, लाल मिश्र रमन, तेज नारायण कामत, विवेक मण्डल, संजीव पंजियार, भोगेन्द्र साहनी, राम चन्द्र साहू सहित दर्जनों की संख्या में ग्रामीण सहयोग कर रहे हैं। विवाह पंचमी पर जनकपुर में होने वाले कार्यक्रम

विवाह पंचमी के दिन मित्र राष्ट्र नेपाल के जनकपुर में आयोजित श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव की तैयारी के विषय में जानकारी देते मधुबनी जिला के हरलाखी प्रखंड अंतर्गत स्थित महर्षि विश्वामित्र आश्रम विशौल के महंत एवं विश्व हिदू परिषद के केंद्रीय मार्ग दर्शक मंडल के सदस्य ब्रजमोहन दास ने बताया कि जनकपुरधाम में पांच दिवसीय विवाहपंचमी महोत्सव को लेकर 29 नवंबर से ही विभिन्न तरह का कार्यक्रम शुरु हो जाएगा। अयोध्या से विदा हुई विवाह महोत्सव के लिए बरात भी 28 नवंबर को ही जनकपुरधाम पहुंचने का कार्यक्रम है। एक दिसम्बर को भगवान श्री सीताराम का स्वयंवर होगा। उन्होंने बताया कि 29 को अयोध्या से आई बरात का स्वागत, तिलकोत्सव समधी मिलन का कार्यक्रम है। 30 नवंबर को कन्या पूजन एवं शाम में भगवान के विवाहोत्सव का मटकोर होगा। एक दिसम्बर को धनुषयज्ञ, जयमाला, राम जानकी की झांकी का पूरे जनकपुर शहर में भ्रमण एवं रात्रि में विवाहोत्सव का कार्यक्रम है। महंत ने बताया कि विवाहपंचमी महोत्सव भारत नेपाल का सांस्कृतिक एवं भावात्मक एकता का एक अनुष्ठान माने जाते हैं। इसे दोनों देश के नागरिक सामूहिक रूप से मनाते हैं।


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