राजा पद्म सिंह के धरहरबा डीह का नहीं हो सका विकास
लदनियां प्रखंड के पद्मा गांव स्थित ऐतिहासिक स्थल धरहरबाडीह का स्वर्णिम इतिहास रहा है।
मधुबनी। लदनियां प्रखंड के पद्मा गांव स्थित ऐतिहासिक स्थल धरहरबाडीह का स्वर्णिम इतिहास रहा है। जो राजा शिव सिंह के शासन काल मे उनके भाई राजा पद्म सिंह का मिथिला का राजधानी रहा है। आज प्रशासनिक उपेक्षा के कारण पर्यटन स्थल सूची से वंचित है।जबकि इस संबंध में पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने अपने विधायक काल में विधानसभा में उठाया था। बिडंबना है कि सरकार प्रतिवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया। प्रशासन द्वारा उक्त स्थल को उद्धार के लिए सार्थक पहल नहीं की है। जिससे लोगों में असंतोष है। धरहरबा डीह का इतिहास मिथिला महात्म्य में उल्लेख है।
उल्लेखनीय है कि राजस्व कार्यालय में पद्मा गांव स्थित धरहबाडीह के खाता संख्या 563 खेसरा संख्या 3128 में अवस्थित है। जिसका रकबा 1.78 डी. है जिसमें 81 डी. भूमि बिहार सरकार के नाम से अंकित है। शेष जमीन रैयतों के नाम से पूर्व में वितरण कर दिया गया। 81 डी. जमीन स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है। जिसे उपजाऊ योग्य बना लिया है। जांच से पता चलेगा कि शेष भूमि किस आधार पर वितरण किया गया।
इस गांव के कई सपूत ने अपने लेखनी से पत्र पत्रिका में पद्मा गांव के इतिहास के सम्बंध में लिखा। जिसमें पद्मा का नामकरण राजा पद्म सिंह की पत्नी पद्मावती के नाम पर होने की बात कही है। उक्त डीह के बगल में गंगासागर एवं डंगराही पोखरा है जिसमें राजघराने के लोग जल क्रीड़ा करते थे। उक्त दोनों पोखरा को अतिक्रमित कर लोग उपजाऊ बना लिए हैं। शिकायत को भी प्रशासन नजर अंदाज कर देते हैं।
बिहार हिदी ग्रन्थ अकादमी पटना द्वारा प्रकाशित डॉ. बजरंग बर्मा द्वारा लिखित विद्यापति दर्शन नामक पुस्तक में स्पष्ट उल्लेख है कि राजा पद्म सिंह की रानी पद्मा थी।
उस समय प्रसिद्ध राजा चन्द्रकर के पुत्र अमृतकर ने अपना एस्टेट गजरथपुर से हटाकर पद्मा नामक स्थान पर ले गए। राजा शिव सिंह के अनुज पद्म सिंह बड़े दानी और पंडित थे। ऐसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा-संरक्षा की दिशा में सरकार की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं हो सका है। पूर्व में विधानसभा में उठाये गए सवाल पर तत्कालीन एसपी मंजू झा ने सीओ एवं थाना अध्यक्ष से संयुक्त जांच प्रतिवेदन मंगा। जांच प्रतिवेदन ससमय भेजा गया । बिडंबना है कि सरकार जांच प्रतिवेदन पर कोई प्रभावकारी कदम नहीं उठाया गया।
लक्ष्मीश्वर संग्रहालय के सहायक क्यूरेटर डॉ. शिवकुमार मिश्र ने कहा कि इस डीह का संरक्षण करना जरूरी है।
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