नल-जल योजना के अभियुक्तों की गिरफ्तारी को चलेगा विशेष अभियान
मधुबनी। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना में विभिन्न अनियमितताओं को लेकर दर्ज प्राथमिकी के वैस
मधुबनी। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना में विभिन्न अनियमितताओं को लेकर दर्ज प्राथमिकी के वैसे अभियुक्त जो गिरफ्तारी से बचे हुए हैं, उनकी अब खैर नहीं। जिन अभियुक्तों की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, उसे गिरफ्तार करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। वहीं, उक्त योजना में अनियमितता बरतने, राशि गबन करने से संबंधित जिन मामलों में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, उन मामलों में भी प्राथमिकी दर्ज कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की जाएगी। इतना ही नहीं, जो मुखिया अपने दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतेंगे, उन्हें पदच्युत करने की भी कार्रवाई त्वरित गति से प्रारंभ की जाएगी। ताकि, ऐसे लापरवाह मुखिया को पदच्युत कर आसन्न पंचायत आम चुनाव में भाग लेने से वंचित किया जा सके। कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने पर जो मुखिया या उप-मुखिया पदच्युत किए जाएंगे, उन्हें पदच्युति की तिथि से पंचायत चुनाव में अगले पांच वर्षों तक भाग नहीं लेने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गत दिनों पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना की अद्यतन प्रगति की समीक्षा वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से जिला पंचायत राज पदाधिकारी, मधुबनी एवं प्रखंड स्तर के कर्मियों के साथ किया था। इस समीक्षा में अपर मुख्य सचिव को ज्ञात हुआ कि मधुबनी जिले में अभी भी 675 वार्डों में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का कार्य अपूर्ण है। अनेकों मामलों में ग्राम पंचायत के वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा अनावश्यक रुप से राशि हस्तांतरण करने में विलंब किया जा रहा है। अनेकों मामलें में ठेकेदार एवं वार्ड सदस्यों की मिलीभगत से राशि का गबन कर लिया गया है। वीसी के माध्यम से की गई समीक्षा में पाया गया कि उक्त योजना की स्थिति में कोई संतोषजनक सुधार नहीं हो रहा है। जिस कारण अपर मुख्य सचिव ने मधुबनी के जिला पदाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई के लिए कई निर्देश दिए हैं।
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विभागीय अपर मुख्य सचिव का निर्देश : - मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के जिन मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई है, उन सभी मामलों में अभियुक्तों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। जिन मामलों में सरकारी राशि का गबन कर लिया गया है एवं अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है, उन मामलों में प्राथमिकी दर्ज करके अभियुक्तों की गिरफ्तारी कराई जाए। - जिला स्तर पर जिला पंचायत राज कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित कर प्रतिदिन प्रत्येक अपूर्ण वार्ड में कार्य की समीक्षा कराई जाए, ताकि अविलंब कार्य पूर्ण हो सके। पंचायती राज विभाग के नियंत्रणाधीन जो भी कर्मी अपने दायित्व के निर्वहन में चूक करते हैं, उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाए। - जिस ग्राम पंचायत के मुखिया अपने दायित्वों के निर्वहन में चूक कर रहे हैं, उनके विरुद्ध बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा-18(5) के तहत कार्रवाई अविलंब शुरू की जाए, ताकि अगले पंचायत चुनाव में उन्हें भाग लेने से वंचित किया जा सके। - कोई मुखिया जानबूझकर अपने दायित्वों एवं कर्तव्यों को करने से इंकार या उपेक्षा करे तो उन्हें बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा-18(5) के अंतर्गत पदच्युत करने का स्पष्ट प्रावधान है। उक्त धारा के तहत पदच्युत किए गए मुखिया या उप-मुखिया को पदच्युति की तिथि से अगले पांच वर्षों तक पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
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