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मुक्तेश्वर नाथ शिव

जले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के देवहार में बाबा मुक्तेश्वरनाथ शिव विराजमान हो लोगों को सर्व कष्ट से मुक्ति करते हैं। इनपर लोगों की गहरी आस्था है।

By Edited By: Published: Tue, 09 Aug 2016 10:21 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2016 10:21 PM (IST)
मुक्तेश्वर नाथ शिव

जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के देवहार में बाबा मुक्तेश्वरनाथ शिव विराजमान हो लोगों को सर्व कष्ट से मुक्ति करते हैं। इनपर लोगों की गहरी आस्था है।

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इतिहास : यह शिवालय अति प्राचीन है। आज से छह सौ वर्ष महाराजा हरि¨सहदेव ने पंजी प्रथा का शुभारंभ इसी मंदिर में घटी एक घटना के बाद किया था। जिससे पता चलता है कि यह शिवालय कितना प्राचीन है। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजन करने वाले को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यहां का शिव¨लग अछ्वुत है। शिव¨लग पीठाकार है। मंदिर भी काफी पुराना है।

तैयारियां: सावन के प्रत्येक सोमवारी को यहां कमला जल से जलाभिषेक करने हजारों की संख्या में कांवरियां पहुंचते हैं। कांवरियों के ठहराव व जलाभिषेक में सहयोग स्थानीय स्तर पर य वाओं की टोली करती है। जिसका प्रबंधन मंदिर प्रबंधक व स्थानीय लोग कर रहे हैं।

'यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। यहां सालों भर सैकड़ों की संख्या में शिवभक्त पुरूष व महिलाएं आती रहती है। शिव विग्रह भी अनोखा है। '- शिवजी साह

जलाभिषेक से पूर्ण होती मनोकामनाएं

समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव द्वारा विष ग्रहण के कारण उनका गला नीला पड़ गया। इसीलिए विष के ताप को कम करने के लिए पवित्र जलाशयों का जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। श्रावण माह की आध्यात्मिक महत्ता पर चर्चा करते हुए शिव भक्त लक्ष्मण प्रसाद राउत कहते हैं कि श्रावण माह में सोमवार को भगवान शिव पर जलाभिषेक से श्रद्धालुओं के मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरा होता है। चाहे साल भर भगवान शिव की पूजा-अर्चना से वंचित रहने पर भी सावन माह में प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक से अमिष्ट फल प्राप्ति होती है। सावन के सोमवार को भगवान शिव पृथ्वी लोक पर भ्रमण को निकलते हैं। सोमवारी पर उपवास का आध्यात्मिक महत्ता रही है। हरेक लोगों को सप्ताह में एक दिन उपवास रखकर अपने इष्ट का पूजा-अर्चना करना चाहिए। उपवास से कई प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है। प्रत्येक सोमवारी को स्थानीय शिवालयों की बेहतर ढंग से सजावट कर सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन निश्चित रूप से होना चाहिए।


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