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    धूमधाम से मना मिथिला का लोकपर्व कोजागरा

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:22 PM (IST)

    मधुबनी। मिथिला का लोकपर्व कोजागरा शुक्रवार को धूम-धाम के साथ मनाया गया। ...और पढ़ें

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    धूमधाम से मना मिथिला का लोकपर्व कोजागरा

    मधुबनी। मिथिला का लोकपर्व कोजागरा शुक्रवार को धूम-धाम के साथ मनाया गया। नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर सुबह से ही उत्सवी माहौल था। दूल्हे के ससुराल से आए भाड़ को देखने के लिए पूरे दिन आस-पड़ोस के लोगों का तांता लगा रहा। रिश्तेदार और मेहमान भी जुटे रहे। शाम में ससुराल से भेजे गए नए वस्त्र पहनाकर मंगलगीतों के बीच परिवार की महिलाओं ने नवविवाहित दूल्हों का चुमावन किया गया। चुमाउन के बाद दुर्वाक्षत देकर बुजुर्गों ने उनके स्वस्थ व दीर्घ जीवन की कामना की और आशीर्वाद दिया। 'आजु सुदिन दिन निर्मल बनल सोना ओ चांदी समान की रघुबर के झूमि झूमि करियौन चुमाउन' आदि मिथिला के पारंपरिक लोक गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान होता रहा। चुमावन के बाद दूल्हों ने अपने साला और भाभी के साथ इस मौके पर खेले जाने वाले पारंपरिक पचीसी खेल का आनंद लिया। इस दौरान महिलाओं की हुल्लड़बाजी और ठहाकों से घर-आंगना गूंजता रहा।

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    खूब बंटे मखाना-बताशा व पान :

    चुमावन के बाद समाज के लोगों के बीच मखाना-बतासा और पान बांटे गए। मिथिला में सामाजिक समरसता के प्रतीक इस कोजागरा पर्व में समाज के सभी वर्ग के लोग मखाना-बतासा लेने के लिए देर रात तक पहुंचते रहे। सामान्यतया बदलते परिवेश का असर कोजागरा पर भी देखने को मिल रहा है। कोजागरा में वधु के घर से भाड़ भेजने की परंपरा अब दिनानुदिन खत्म होने के कगार पर है। लोग नवविवाहित दूल्हा एवं उनके परिजनों को वस्त्र, मखाना आदि भेजकर नकद रुपए ही दे देते हैं। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बड़ा डाला में चुमावन संबंधी सामान को सजाकर भेजने की परंपरा बहुत हद तक कायम है।