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    मधवापुर पीएचसी में चिकित्सक व संसाधनों की कमी, मरीजों को समुचित लाभ नहीं

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2022 12:08 AM (IST)

    मधवापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सेवा का हाल बेहाल है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था से स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह चरमरा गई है। चिकित्सक व संसाधन की कमी के कारण लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है।

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    मधवापुर पीएचसी में चिकित्सक व संसाधनों की कमी, मरीजों को समुचित लाभ नहीं

    मधुबनी । मधवापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सेवा का हाल बेहाल है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था से स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह चरमरा गई है। चिकित्सक व संसाधन की कमी के कारण लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा पीएचसी को सीएचसी में उत्क्रमित किए जाने के बाद भी समुचित बुनियादी सुविधाएं बहाल नहीं हो सकीं। डाक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों की अभी तक नई नियुक्ति नहीं की जा सकी है। पीएचसी से सीएचसी में उत्क्रमित करने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इस सीएचसी में दस के बदले 30 बेड लगाने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो सका है, जबकि भारत-नेपाल सीमा पर अस्पताल होने के कारण बड़ी संख्या में नेपाल के मरीज भी यहां इलाज कराने पहुंचते हैं।

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    डेढ़ लाख की आबादी पर अस्पताल :

    मधवापुर प्रखंड में कुल 13 पंचायतों की डेढ़ लाख की आबादी पर मात्र एक सीएचसी अस्पताल है। पूरे प्रखंड क्षेत्र व सीमावर्ती नेपाल क्षेत्र के मरीज भी यहां अपना इलाज कराने आते हैं। संसाधन एवं समुचित इलाज के अभाव में मरीजों का सही इलाज नहीं मिल पाता है, जबकि ऐसा नहीं है कि यहां चिकित्सक व चिकित्सा कर्मियों की पदस्थापना नहीं है, लेकिन लचर प्रशासनिक व्यवस्था के कारण लोगों को समुचित इलाज नहीं मिल पाता है।

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    पदस्थापित चिकित्सक व चिकित्सा कर्मी :

    इस सीएचसी में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित पांच एमबीबीएस के अलावा होमियोपैथिक, डेंटल, आयुष एवं यूनानी समेत कुल नौ चिकित्सक यहां पदस्थापित हैं, जबकि विभाग के द्वारा कुल 12 चिकित्सक का पद पूर्व से स्वीकृत है। एएनएम के 18 पद के बदले 15 नर्स पदस्थापित हैं। प्रखंड में सीएचसी के अलावा तीन अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व 11 उप स्वास्थ्य केंद्र है। रोगियों के लिए 35 प्रकार की दवाओं में 30 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। सीएचसी में डॉग बाइट व स्नैक बाइट की दवा भी उपलब्ध हैं।

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    चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों का आवास क्षतिग्रस्त :

    सीएचसी में परिसर में डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के रहने के लिए वर्षो पूर्व निर्मित आवास जर्जर व क्षतिग्रस्त है। एएनएम, डाटा आपरेटर, प्रयोगशाला प्रावैधिकी, ममता, आशा पंजीकरण कर्मी, फार्मासिस्ट रोस्टर के अनुसार यहां ड्यूटी पर आते हैं। खासकर रात के समय नियमित रूप से आयुष व यूनानी चिकित्सक की ड्यूटी रहती हैं। यहां प्रतिदिन 60 से 70 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। सीएचसी में एनजीओ का सफाई कर्मी रहने के बावजूद जगह-जगह अस्पताल परिसर में गंदगी फैली रहती है। जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। नियमित साफ-सफाई नहीं की जाती है।

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    कहते हैं ग्रामीण :

    पूर्व उपमुखिया नीलांबर मिश्र ने कहा कि सीएचसी में नियमित रूप से ससमय चिकित्सक व चिकित्साकर्मी नहीं आते हैं। डाक्टर व संसाधन का अभाव रहने के कारण लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है। रोगी कल्याण समिति के वरिष्ठ सदस्य दयानंद मिश्र ने बताया कि चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का आवास जर्जर व क्षतिग्रस्त है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

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    कोट ::: सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों के अनुरूप हरसंभव सुविधा यहां रोगियों को प्रदान की जाती है। लोगों की शिकायत जल्द दूर की जाएगी।

    - डा. कामेश्वर महतो, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, मधवापुर।

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