जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का वीडियो कान्फ्रेसिग के माध्यम से सीएम ने किया उद्घाटन
मधुबनी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत मधुबनी सहित आठ जिले में चलाया जा रहा जलवायु के अनुकुल कृषि
मधुबनी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत मधुबनी सहित आठ जिले में चलाया जा रहा जलवायु के अनुकुल कृषि कार्यक्रम ने सोमबार को विस्तार पाया। अब यह कार्यक्रम इस वर्ष से पूरे बिहार में चलाया जाएगा। जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का उद़्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से वीडियो कान्फ्रेसिग के माध्यम से की। इस हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजन किया गया। उपविकास आयुक्त अजय कुमार सिंह एवं एसडीओ शैलेश कुमार चौधरी भी पहुंचे थे। स-समय प्रोजेक्टर के काम न करने, हॉल में रोशनी का समुचित प्रबंधन नहीं होने, शौचालय की बेहतरीन व्यवस्था नहीं होने से खिन्न डीडीसी ने कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी को फटकार तक लगाई और कार्यक्रम समापन से पूर्व ही चले गए। इस संबंध में मीडिया से भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। क्या है कार्यक्रम : जल जीवन हरियाली के अन्तर्गत सरकार कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम सूबे के आठ जिलों में चला रही है। इसमें मौसम के अनुकूल फसलों की बुआई और कटाई तथा वैज्ञानिक तरीके यथा जीरो टीलेज से खेती कराई जाती है। कृषि विभाग अपने प्रखंड के अधीन कुछ किसानों की जमीन पर अनुदानित दर पर बीज देकर कृषि की उत्पादकता देखती है। इसी तरह कृषि विज्ञान केन्द्र सुखेत झंझारपुर प्रखंड के पांच गांव को गोद लेकर उनकी जमीन पर खुद बुआई कराती है जिसमें बुआई का खर्च तक केन्द्र ही उठाता है। पहले यह कार्यक्रम आठ जिलों तक सीमित था। किसानों को फायदा होते देख सरकार ने इसका विस्तारीकरण पूरे सूबे के अड़तीस जिलों में सोमवार से कर दिया है। सूबे के तीस जिलों में यह कार्यक्रम प्रथम वर्ष एवं आठ जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया है।
फसल अवशेष का संरक्षण : इस कार्यक्रम में पराली जलाने की मनाही है। फसल अवशेष का संरक्षण करने की विधि भी विस्तार से बताई जाती है ताकि जलवायु को खतरा न हो।
क्या कहा मुख्यमंत्री ने : मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी वर्षा ज्यादा कभी कम या फिर सुखाड़ की स्थिति आती रहती है। अब वैज्ञानिक मौसम के हिसाब से खेती के गुर किसान को सिखा रहे हैं। दोहरी खेती भी सिखाया जा रहा है। इससे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी और जीरो टीलेज जैसे विधि से उनका खर्च भी कम आएगा। उन्होंने कहा कि बिहार में 76 प्रतिशत लोग किसानी पर निर्भर हैं इसलिए नए तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है तथा फसल अवशेष को संरक्षण की आवश्यकता है।
कौन कौन थे इसमें : समारोह स्थल सुखेत विज्ञान केन्द्र पर डीडीसी, एसडीओ, डा. सुधीर दास, डा. सर्वेश कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण प्रमोद सहनी, सहायक निदेशक उद्यान राकेश कुमार, किसान अशोक कुमार ठाकुर, भोलाराम भुवन, गोपाल ठाकुर, इन्द्रानंद पांडेय, राजेन्द्र महतो, श्यामलाल यादव, योगेन्द्र यादव, बिनोद शर्मा, सुखेत की मुखिया रेणु देवी सहित सैकड़ों किसान उपस्थित थे।