मधुबनी के लोगों की हो गई बल्ले-बल्ले! नीतीश सरकार ने दी बड़ी खुशखबरी, पौने 6 करोड़ की लागत से बनेगा नया अस्पताल
मधेपुर में तीस शय्या वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। इसके लिए पांच करोड़ पचहत्तर लाख रुपये की मंजूरी दी गई है। राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड पटना के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है।
संवाद सूत्र, मधेपुर। मधेपुर में तीस शय्या वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनेगा। इस निर्माण के लिए पांच करोड़ पचहत्तर लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
इस आशय का एक पत्र राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड पटना के प्रबंध निदेशक को लिखा है।
इसमें राज्य स्वास्थ्य सेवा पटना के कार्यालय पत्रांक 2497 तथा बीएमएसआईसीएल पटना के पत्रांक 4969 का हवाला देते हुए कहा है कि यह निर्माण बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड से कराया जाना है।
इस निर्माण कार्य पर व्यय भारत सरकार द्वारा 15 वीं वित्त आयोग योजना के अन्तर्गत संबंधित मद में राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार को उपलब्ध कराए गए निधि पर भारित होगा।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय को लिखा गया था पत्र
बताते चलें कि इस नए भवन के निर्माण हेतु झंझारपुर के विधायक सह उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्र ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय को पत्र लिखा था। वे सदा से इस कार्य को लेकर प्रयत्नशील रहे हैं। एक तरफ जहां वर्षों से बना मधेपुर रेफरल अब जीर्ण-शीर्ण हो गया है।
वहीं, पीएचसी भवन मरीजों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। मधेपुर पीएचसी में लगभग प्रतिदिन दो से ढ़ाई सौ से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं।
ऑक्समिक वार्ड में भी दर्जनों मरीजों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन भवन के अभाव में चिकित्सक सहित रोगियों को परेशानियां झेलनी पड़ती है, लेकिन अबतक इन कमियों को लेकर स्थानीय स्तर पर कोई सकारात्मक प्रयास नहीं दिखाई दिया था।
तीस शय्या वाले भवन निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति की जानकारी सोमवार को झंझारपुर विधायक सह उद्योग एवं पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्र ने दी है।
अनुमंडलीय अस्पताल का ओपीडी इलाज केंद्र बना वाहन स्टैंड
उधर, झंझारपुर मे अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था इन दिनों रसातल में जा रही है। यहां का ओपीडी एवं इमरजेंसी इलाज केंद्र का वाहन स्टैंड के रूप में उपयोग हो रहा है।
अस्पताल को व्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी संभाल रहे यहां का गार्ड भी मात्र अस्पताल परिसर में ही वाहनों को संभालने और वाहन मालिकों को नसीहत देने को ही अपनी ड्यूटी समझते हैं। अस्पताल के अंदर लगाए गए वाहन को हटाना मुनासिब नहीं समझते।
अस्पताल के अंदर रखे गए वाहन के कारण इलाज के लिए आने वाले मरीजों एवं स्वजनों को काफी परेशानी का सामना करना पर रहा है।
स्थानीय लोगों में दीपक कुमार, राजू राम, अरुण झा आदि बताते हैं कि जब अस्पताल परिसर में अफरात जगह उपलब्ध है तो वाहन या बाइक को अस्पताल के भीतरी भाग में रखने की इजाजत क्यों दी जाती है। आखिर अस्पताल प्रशासन या यहां मौजूद गार्ड क्या कर रहा होता है।
इस संबंध में अस्पताल के प्रबंधक पिंटू खां ने पूछने पर कहा कि यहां के गार्ड सहित सभी कर्मी को कहा गया है कि वे अपना वाहन परिसर में ही लगाया करें। किंतु सख्त निर्देश के बाबजूद वाहन को अस्पताल के अंदर लगा दिया जाता है। अस्पताल के डीएस डॉ. रमण पासवान को कार्रवाई के लिए सूचित किया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।