पशुपालकों के भगवान बाबा भुइया स्थान: मन्नत मांगने से दूर होती है मवेशियों की पीड़ा, दूध अर्पित करते हैं भक्त
Bihar News मधुबनी का 300 साल पुराना बाबा भुईया स्थान लाखों पशुपालकों की आस्था का केंद्र है। दरभंगा मधुबनी सीतामढ़ी समेत नेपाल देश के पशुपालकों के मन में भुईया स्थान में विशेष श्रद्धा है। मन्नतों के पूरा होने पर सैंकड़ों पशुपालक भक्त हर सोमवार-शुक्रवार को भुईया दूध का चढ़ावा चढ़ाने आते हैं। आसपास के कई जिलों समेत पड़ोसी देश नेपाल के किसान बाबा भुईया स्थान में दूध चढ़ाने पहुंचते हैं।
अमोद कुमार झा, जागरण: मधुबनी के बेनीपट्टी प्रखंड के बसैठ गांव में 300 साल पुराना बाबा भुईया स्थान लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी सहित पड़ोसी देश नेपाल के पशुपालकों के मन में भुईया स्थान में विशेष विश्वास है। मन्नत पूरी होने पर सैंकड़ों पशुपालक भक्त हर सोमवार और शुक्रवार को यहां दूध का चढ़ावा चढ़ाने आते हैं।
पशुपालकों के लिए आस्था व विश्वास का केन्द्र बन गया है। मन्नत पूरी होने पर किसान व पशुपालक बाबा भुईया स्थान में श्रद्धा व निष्ठा के साथ दूध चढ़ाते हैं। दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी जिला सहित पड़ोसी देश नेपाल के किसान व पशुपालक मन्नत पूरी होने पर बाबा भुईया स्थान में दूध चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं।
चढ़ाए गये दूध के बारे में खास बात
खास बात यह है कि चढ़ाये गये दूध को एक पात्र में एकत्रित किया जाता है। उसे बेचकर मंदिर का विकास किया जाता है। एक सप्ताह में करीब 400 लीटर दूध एकत्रित होता है। 50 लीटर सामाजिक स्तर पर बांट दिया जा है।
350 लीटर दूध को बेचकर उससे आने वाली राशि से मंदिर का विकास कार्य होता है। पहले छोटा सा मंदिर था। लेकिन दूध से हुई कमाई से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। भविष्य में धर्मशाला बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
तीन सौ सालों से चली आ रही है परंपरा
अपने पशुओं स्वाथ्य के लिए दूध अर्पण करते हैं किसान
क्या कहते हैं पुजारी
घर से निकलने के बाद सीधे मंदिर पहुंचते हैं भक्त
क्या कहते हैं पशुपालक
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