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    सूखने लगी भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली पौराणिक जमुनी नदी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 11 Jun 2019 06:31 AM (IST)

    कहा जाता है कि जल ही जीवन है। बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

    सूखने लगी भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली पौराणिक जमुनी नदी

    मधुबनी। कहा जाता है कि जल ही जीवन है। बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज पानी के लिए हम सभी को जद्दोजहद करना पड़ रहा है। इसके पीछे का कारण यह है कि हम पानी का एक बड़ा हिस्सा दैनिक जीवन में उपयोग करते समय बर्बाद कर देते हैं।

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    आज जलसंकट इस कदर बढ़ गया है कि जलस्त्रोत का प्राकृतिक साधन तालाब नहर नाला व नदियां भी सूखने लगी है। जबकि इस दरम्यान वर्षा भी हुई। बावजूद इलाके के अधिकांश तालाब नहर नाला व नदियां सूखी पड़ी हैं। गौरतलब है कि भारत नेपाल सीमा पर बहने वाली जमुनी नदी भी इन दिनों सूख गई है। यह नदी सीमावर्ती इलाके की सबसे प्राचीन नदी है। यह नदी रामायण काल से संबंधित पौराणिक व सबसे पुरानी नदी है जो भारत और नेपाल की सीमा रेखा भी निर्धारित करती है। यह नदी नेपाल से होकर सीमा क्षेत्र के हरिने नहरनियां महादेवपट्टी उमगांव पिपरौन राजघाट दिघीया बेला घाट व साहरघाट सहित दर्जनों गांवों के किसानों के खेतों के लिए सिचाई के मुख्य स्त्रोत है। लेकिन, आज नदी के सूख जाने से किसानों के खेत वीरान व बंजर हो रहे हैं। आज जलसंकट ने किसानों के आंखों में पानी ला दिया है। वहीं जयनगर कमला प्रोजेक्ट की ओर से बनाई गई कमला नहर भी सूखकर वीरान पड़ी हुई है। इससे इलाके के रामपुर, विशौल, मोहनपुर, हटवरिया, उमगांव, दुर्गापट्टी, पिपरौन, दिघीया टोला, फुलहर, गंगौर व साहरघाट समेत दर्जनों गांवों के खेतों की सिंचाई प्रभावित हुई है। निष्क्रिय व शिथिल बनी है प्रखंड प्रशासन व संबंधित विभाग

    उचित प्रबंधन से पानी बचाया जा सकता है। लेकिन जल संचय व इसके प्रबंधन को लेकर शासन-प्रशासन द्वारा आजतक पूर्व से कोई कवायद नहीं की गई। जबकि प्रखंड परिसर में 2011 ई. में ही पीएचईडी विभाग से बनी करोड़ों की जलमीनार से आजतक एक बूंद पानी नहीं टपका। जलमीनार बेकार हो चुकी है। वहीं प्रखंड परिसर में ही लघु सिचाई विभाग से की गई बोरिग से निकलने वाली पानी का आवश्यक रूप से दुरुपयोग हो रहा है। परिसर में जलजमाव व दलदल बन चुका है। इतना ही नहीं प्रखंड उमगांव, सोठगांव, पिपरौन, हिसार, मंगरहठा समेत दर्जनों गांवों में सरकारी नाला तालाबों का अतिक्रमण कर आस पास के लोग उसे भरकर घर बना रहे हैं। शिकायत के बावजूद प्रशासन मूक बनी है। जिससे जल संचय व जल संरक्षण पर खतरा उत्पन्न हो गया है।