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    अल्जाइमर के लक्षण की ना करें अनदेखी

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:10 AM (IST)

    मधुबनी। बढ़ते उम्र के साथ कई रोगों का खतरा भी सामने आने लगता है। ऐसे ही रोग में अल्जाइमर

    अल्जाइमर के लक्षण की ना करें अनदेखी

    मधुबनी। बढ़ते उम्र के साथ कई रोगों का खतरा भी सामने आने लगता है। ऐसे ही रोग में अल्जाइमर की अनदेखी नहीं की जा सकती है। इसके पीड़ित लोगों को रोजमर्रा के कामकाज में कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन्हें भूलने की शिकायत झेलना पड़ता है। बढ़ते उम्र के साथ घर के बुजुर्गों को जब बार-बार भूलने की शिकायत आने लगे तो निश्चित रूप से चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए। माना गया है कि तनाव या अवसाद अल्जाइमर का प्राथमिक लक्षण हो सकते हैं। अल्जाइमर एक न्यूरोडिजनरेटिव डिसीज होता है। जिसमें संज्ञानात्मक क्षमता और दैनिक जीवन की तमाम प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। अल्जाइमर रोग में मस्तिष्क में कोशिकाएं खुद ही बनती हैं और खत्म होने लगती हैं। इससे याद्दाश्त और मानसिक कार्यों में गिरावट आती है।

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    आदत बन जाती भूलने की बिमारी :

    अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को फोन मिलाने, किसी काम में ध्यान लगाने, कोई फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है। सामानों को कहीं रखकर भूल जाते हैं। वहीं, घर के आसपास की गलियों, रास्तों को भूल जाते हैं। उनके व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है। अल्जाइमर पीड़ित अपने संबंधियों, मित्रों को पहचानने से भूलने लगते हैं। वहीं, अपनी गतिविधियों को नियंत्रण की क्षमता खो देता है। अपने दर्द के बारे में भी नहीं बता पाते हैं।

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    ''अल्जाइमर अक्सर उम्र बढ़ने के साथ हो सकता है। मगर, खान-पान, जीवनशैली में बदलाव से यह समस्या युवाओं में भी सामने आने लगी है। इससे बचाव के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए। किसी रोग की जानकारी प्रथम बचाव होता है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन का सेवन के साथ अवसाद से बचने की कोशिश होनी चाहिए। इसके पीड़ितों को तंबाकू, मद्यपान से परहेज करना चाहिए।''

    - डॉ. सुभाषचंद्र राय

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    ''अल्जाइमर रोग से पीड़ित बुजुर्गों की समुचित देखभाल के लिए परिवार के अन्य लोगों को पूरी तरह जागरूक रहना चाहिए। बुजुर्गों की किसी भी तरह की समस्याओं को दूर करना परिवार के सभी सज्जनों का धर्म बनता है। बुजुर्गों की देखभाल और उनकी खुशियों का ख्याल रखना ही परिवार के विकास का लक्ष्य होना चाहिए। बुजुर्गों की खुशियों से ही परिवार हरा-भरा रहता है।''

    - ई. कमलेश, समाजसेवी

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