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बलिराजगढ़ की खुदाई को जिला प्रशासन गंभीर

जिले के बाबूबरही प्रखंड अंतर्गत स्थित राजा बली का गढ़ (बलिराजगढ़) की पुरातात्विक खुदाई कराने एवं इस क्षेत्र को पर्यटक क्षेत्र के रुप में विकसित करने को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 12:12 AM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2018 01:42 AM (IST)
बलिराजगढ़ की खुदाई को जिला प्रशासन गंभीर

मधुबनी। जिले के बाबूबरही प्रखंड अंतर्गत स्थित राजा बली का गढ़ (बलिराजगढ़) की पुरातात्विक खुदाई कराने एवं इस क्षेत्र को पर्यटक क्षेत्र के रुप में विकसित करने को लेकर जिला प्रशासन गंभीर है। जिला प्रशासन ने बलिराजगढ़ की खुदाई कराने एवं पर्यटक स्थल के रुप में विकसित करने की मुहिम तेज कर दी है। जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने बलिराजगढ़ की खुदाई कराने तथा इस स्थल को विकसित कर पर्यटक स्थल के रुप में घोषित करने को लेकर समुचित कार्रवाई करने हेतु सूबे के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव को अनुरोध पत्र भी भेज दिया है।

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कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एवं अधीक्षक, पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, अंचल बिहार को भेजे गए अनुरोध पत्र में डीएम ने उल्लेख किया है कि अधीक्षक- पुरातत्वविद् द्वारा पत्र भेजकर मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत स्थित ऐतिहासिक स्थल राजा बली का गढ़ (बलिराजगढ़) की पुरातात्विक खुदाई के अवसर पर सुरक्षात्मक व्यवस्था, विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया था।

इस आलोक में उन्होंने (डीएम) 28 जनवरी को राजा बली का गढ़ (बलिराजगढ़) का स्थल निरीक्षण किया। इस दौरान स्थानीय जानकार लोगों ने बताया कि वर्ष 1962-63 एवं 1972-73 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल की खुदाई की गई थी। लेकिन अल्प खनन में ही खाई से पानी निकलने के कारण खुदाई कार्य रोक दिया गया था। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री द्वारा इस स्थल का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान सीएम द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, अंचल-बिहार द्वारा पुन: वर्ष 2013-14 में इस स्थल की खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया। लेकिन इस खुदाई के फलाफल की सूचना जिला प्रशासन को नहीं है।

उक्त आला अधिकारियों को भेजे गए पत्र में डीएम ने यह भी उल्लेख किया है कि राजा बली का गढ़ (बलिराजगढ़) ऐतिहासिक महत्व का प्राचीन धरोहर एवं सेंट्रली प्रोटेक्टेड साइट है, जिसकी उचित देख-रेख एवं रख-रखाव नहीं होने के कारण दिन-प्रतिदिन इसकी क्षति हो रही है। चहारदीवारी से घिरा नहीं रहने के कारण असमाजिक तत्वों द्वारा ईंट, पत्थर आदि की चोरी की जा रही है। इस ऐतिहासिक स्थल की खुदाई कर, विकसित कर, म्यूजियम आदि का निर्माण कर पर्यटक स्थल के रुप में घोषित करने हेतु यहां अपार संभावनाएं हैं।


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