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    Digital Bribery: यूपीआइ से रिश्वत लेनदेन के मामले में आठ एएनएम सहित 10 कर्मियों पर प्राथमिकी

    By Pradeep Mandal Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 25 Oct 2025 01:33 PM (IST)

    पंडौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है, जिसमें आठ एएनएम समेत 10 कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोप है कि इन कर्मियों ने यूपीआई के माध्यम से रिश्वत का लेन-देन किया। शिकायत के बाद हुई जांच में मामला सही पाया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी लापरवाही के लिए दोषी पाया गया है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है। 

    संवाद सहयोगी जागरण, पंडौल (मधुबनी)। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंडौल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. मो. शकील अहमद ने रिश्वत लेन-देन मामले में आठ एएनएम सहित स्वास्थ्य विभाग के कुल 10 कर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है।

    जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा बीते 1 सितंबर को पारित अंतिम विनिश्चय एवं सिविल सर्जन डा. हरेन्द्र कुमार के निर्देशानुसार उक्त कार्रवाई की गई है। पंडौल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. शकील अहमद ने यूपीआई के माध्यम से रिश्वत लेन-देन मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंडौल में कार्यरत परिवार कल्याण परामर्शी मो. जावेद, सुरक्षा गार्ड रवि कुमार, एपीएचसी धौस सिसवा की एएनएम सोनम कुमारी, एपीएचसी भगवतीपुर की एएनएम रूपा कुमारी, एपीएचसी पचाढ़ी की एएनएम मुन्नी कुमारी, एपीएचसी विजय की एएनएम सुधा देवी, एपीएचसी मेघौल की एएनएम अर्चना कुमारी, एपीएचसी भवानीपुर की एएनएम मनोरमा कुमारी, एपीएचसी भौर की एएनएम संगीता कुमारी, एपीएचसी बटलोहिया की एएनएम श्वेता कुमारी, एपीएचसी नरपतिनगर की एएनएम विनीता गुड़िया, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भवानीपुर की एएनएम कामिनी कुमारी के विरुद्ध पंडौल थाना में मामला दर्ज कराया है।

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    उक्त सभी स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा रिश्वत के रूप में रुपए का यूपीआई के माध्यम से लेन-देन किया गया है। उक्त मामले की शिकायत होने के बाद सिविल सर्जन के द्वारा विशेष टीम गठित कर मामले की जांच कराई गई थी।

    विशेष टीम के द्वारा किए गए जांच रिपोर्ट में मामला सत्य पाए जाने पर उक्त कार्रवाई की गई है। करप्शन एक्ट के तहत दर्ज मामले का अनुसंधानकर्ता सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वन अमित कुमार को बनाया गया है।

    क्या है मामला

    प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंडौल के सेवानिवृत स्वास्थ्यकर्मी सुदिष्ट नारायण झा सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा विभागीय वरीय पदाधिकारी सहित जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर किया गया था।

    जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. शकील अहमद एवं प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक के द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभद्रपूर्ण एवं तानाशाही व्यवहार किया जाता है, तथा स्वास्थ्य कर्मियों से अवैध राशि की उगाही भी की जाती है। इसके अतिरिक्त अन्य कई आरोप लगाए गए थे।

    उक्त मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन के द्वारा जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. शंभू नारायण झा तथा जिला वेक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डा. दया शंकर सिंह के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी। उक्त गठित टीम को मामले की जांच कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

    जांच टीम की संयुक्त जांच प्रतिवेदन में यह पाया गया कि एएनएम के द्वारा सुरक्षा गार्ड रवि कुमार एवं परिवार कल्याण परामर्शी मो. जावेद के बीच रुपए के लेन-देन की बात सही है।

    रुपए के लेन-देन में संबंधित सभी एएनएम को भी दोषी पाया गया। इसके साथ ही पीएचसी के पुराने मकान के मलवे एवं फर्नीचर के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। सरकारी संपत्ति का सही उपयोग एवं रक्षा करना कार्यालय प्रधान का कर्तव्य होता है।

    मकान के मलवे के सही उपयोग के संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा किसी वरीय पदाधिकारी से मार्गदर्शन की भी मांग नहीं की गई थी। जिससे यह स्पष्ट हुआ कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. शकील अहमद अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरत रहे हैं।

    जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मधुबनी के द्वारा पारित अंतिम विनिश्चय के आलोक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी दोषी पाया गया है। फिलहाल उन्हें सभी स्वास्थ्य कर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया।

    इसके साथ ही पीएचसी के पुराने मकान का मलवा एवं फर्नीचर के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं देने, सरकारी संपत्ति के सही उपयोग एवं रक्षा नहीं करने तथा मलवे के सही उपयोग के संबंध में किसी वरीय पदाधिकारी से मार्गदर्शन की मांग नहीं किए जाने के मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा कर्तव्यों में लापरवाही स्पष्ट तौर पर सामने आई है।

    उक्त मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को पत्र प्राप्ति के दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है।