मधुबनी के लोगों की बढ़ने लगी है इनकम, कई राज्यों से आ रहे हैं इस प्रोडक्ट के ऑर्डर; यहां जानें सब कुछ
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को आम बजट पेश किया। इस दौरान निर्मला सीतारमण बिहार के मधुबनी की प्रिंटेड साड़ी पहनकर संसद पहुंची। उनकी इस साड़ी की काफी चर्चा हो रही है। उनके द्वारा साड़ी पहनने के बाद अब मधुबनी की प्रिंटेड साड़ियों की मांग बढ़ी है। इससे जुड़े कलाकारों के लिए अब रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।
कपिलेश्वर साह, मधुबनी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मधुबनी पेंटिंग से सजी जिस साड़ी को पहनकर बजट पेश किया, उससे करीब पांच सौ कलाकार जुड़े हैं। अब इन कलाकारों की किस्मत और चमक सकती है। वित्तमंत्री द्वारा मधुबनी साड़ी पहनने के बाद इस साड़ी की मांग बढ़ गई है।
8 से 25 हजार तक की कीमत वाली इन साड़ियों का सालाना कारोबार करीब 10 करोड़ रुपये का है। मधुबनी पेंटिंग से सजी साड़ी वित्त मंत्री के पहनने के बाद इसकी खूब ब्रांडिंग हुई है। इसकी बिक्री बढ़ने का अनुमान कलाकारों को है। इससे आय के साथ रोजगार में बढ़ोतरी होगी।
वित्त मंत्री को मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी उपहार स्वरूप भेंट करने वाली रांटी की पद्मश्री कलाकार दुलारी देवी ने बताया कि बजट के बाद उनके पास देशभर से 100 से अधिक लोगों ने पेंटिंग वाली साड़ी की मांग की है।
उन्होंने बताया कि साड़ी के अलावा मधुबनी पेंटिंग वाले सूट, पाग, दुपट्टे की भी मांग है। पर्व-त्योहार और लगन में मांग ज्यादा रहती है।
दुलारी देवी ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में राधा-कृष्ण रास, विवाह पंचमी पर श्रीराम-सीता स्वयंवर, दुर्गापूजा पर माता दुर्गा, डांडिया नृत्य आदि पेंटिंग वाली साड़ियों की मांग रहती है। दुर्गा पूजा पर कोलकाता से ऐसी साड़ियों के अधिक ऑर्डर मिलते हैं।
कलाकारों की होती है आमदनी
उन्होंने बताया कि इस तरह एक कलाकार को सालाना दो से तीन लाख की आमदनी हो जाती है। जिले के कलाकार विभिन्न सामान के अलावा सूट और साड़ी पर भी मुधबनी पेंटिंग बनाते हैं। यह भागलपुर की सिल्क साड़ी के अलावा सूती साड़ी पर की जाती है।
दुलारी देवी ने कहा कि पूरी तरह सादा साड़ी खरीदकर मंगाई जाती है। फिर कलाकार इस पर पेंटिंग करते हैं। इसके अलावा तमिलनाडु की कांजीवरम सिल्क साड़ी पर भी मधुबनी पेंटिंग होती है। इस पर पेंटिंग मांग के अनुसार होती है।
कई राज्यों से आ रहे ऑर्डर
उन्होंने बताया कि साड़ियों के अधिकतर ऑर्डर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु और भुवनेश्वर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आते हैं। विदेश से भी ऐसी साड़ियों की अच्छी-खासी मांग है।
जितवारपुर में साड़ी पर पेंटिंग कर रहे कलाकार अमित कुमार झा और सुधीरा देवी ने बताया कि दिल्ली से एक दर्जन से अधिक साड़ियों की मांग आई है।
रामनगर की कलाकार विनीता झा ने बताया कि मुंबई, बेंगलुरु से तीन दर्जन से अधिक साड़ियों की मांग है। इसकी आपूर्ति फरवरी के अंत तक की जानी है। विनीता झा ने बताया कि एक साड़ी पर पेंटिंग करने में करीब एक सप्ताह का समय लगता है।
मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ियों की मांग बढ़ने से इसके कलाकारों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इसका ऑनलाइन कारोबार कलाकारों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है। कलाकारों को देशभर में प्रदर्शनी और स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। - बीके झा, सहायक निदेशक हस्तशिल्प
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