मिथिला और मैथिली साहित्य के क्षेत्र में चंदा झा का अहम योगदान
मधुबनी। अंधराठाढी स्थित चन्दा झा स्मारक स्थल पर शनिवार को चन्दा झा स्मृति पर्व समारोह का आयो

मधुबनी। अंधराठाढी स्थित चन्दा झा स्मारक स्थल पर शनिवार को चन्दा झा स्मृति पर्व समारोह का आयोजन किया गया। चन्दा झा स्मारक संरक्षण समिति इसके आयोजक थे। कवीश्वर चन्दा झा की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम आरम्भ हुआ। हर वर्ष माघी सप्तमी के दिन चन्दा झा स्मृति समारोह का आयोजन किया जाता है। ठाढ़ी दुर्गास्थान में आयोजित विशेष समारोह में कविश्वर चंदा के कृतित्व व व्यक्तित्व पर चर्चा हुई। उनके मैथिली साहित्य के योगदान उनकी रचना कौशलता की विलक्षणता तथा उनके आदर्श व्यक्तित्व पर विद्वानों ने अपना पक्ष रखा। तीन सत्र मे आयोजित कार्यक्रम के पहले सत्र में कविश्वर चंदा झा के साहित्य पर चर्चा की गयी। द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी तथा तृतीय व अंतिम सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अपने संबोधन में अतिथियों ने कहा कि कवि विद्यापति के पश्चात् मैथिली साहित्य के आकाश पर सर्वाधिक उज्जवल नक्षत्र चन्दा झा ही हुए है। चन्दा झा रचित मैथिली रामायण मैथिली साहित्य का गौरव है। चन्दा झा ने मिथिला मैथिली व मैथिली साहित्य को अपने अत्युत्तम कृति से संसार में अमर कर दिया। चंदा झा के वैदुष्य और उनकी विलक्षण प्रतिभा की अनेकों कहानियां और जनश्रुतियां प्रचलित हैं। दूसरे सत्र कवि गोष्ठी में आमंत्रित कवियों वंशीधर मिश्र, आनन्द मोहन झा, कमलेश प्रेमेन्द्र, हरिदेव झा, संजीत झा, राघव रमण, माधव झा, कवियित्री माला कुमारी ने अपने-अपने गीत, ़ग•ाल और कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मन्नू और काजल ने स्वागत गान और अपनी कविताओं से श्रोताओं के मध्य अपनी विशेष छाप छोड़ी। कार्यक्रम का तीसरा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम विक्रम बिहारी ग्रुप ने प्रस्तुत किया। विशेष भाषण परमानंद झा और धन्यवाद ज्ञापन चंदा झा स्मारक निर्माण सह जयंती समारोह के संयोजक संबोध नारायण मिश्र ने किया।
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