औषधीय गुणों से भरपूर तिलकोर, कोरोना काल में बढ़ा सेवन
मधुबनी। औषधीय गुणों के साथ सहजता से उपलब्ध तिलकोर (वनस्पति नाम मोमोरेडिका मोनाडेल्फा) आज डिमांड में है।
मधुबनी। औषधीय गुणों के साथ सहजता से उपलब्ध तिलकोर (वनस्पति नाम मोमोरेडिका मोनाडेल्फा) आज डिमांड में है। कोरोना में इसका सेवन बढ़ गया है। कई बीमारियों में तो इसे रामबाण माना जाता है। आयुर्वेद के जानकार भी इसके सेवन की सलाह दे रहे हैं।
झाड़ियों और अन्य जगहों पर स्वत: उगने वाला तिलकोर मिथिला की सांस्कृतिक पहचान है। पर्व-त्योहार के समय या अतिथियों के आगमन पर तिलकोर के बने पकौड़े (तरूआ) थाली में सजाने की पुरानी परंपरा रही है। अतिथियों का भोजन इसके बिना अधूरा माना जाता है। बेसन के साथ इसे तलने पर इसका कुरकुरा स्वाद लोगों को काफी पसंद आता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद : तिलकोर डायबिटीज के लिए बेहद कारगर माना जाता रहा है। इसके पत्तों का रस रक्त में शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सक्षम है। डायबिटीज के रोगियों के लिए यह रामबाण है। इसकी चटनी बनाकर भी इसका सेवन किया जाता है। डायबिटीज में तिलकोर की उपयोगिता की पुष्टि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेद रिसर्च में भी मिलती है। इसके नियमित सेवन से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर्बल मेडिसीन के लिए वनस्पति की कुल 2500 प्रजातियों में इसे भी शामिल किया है।
तिलकोर पर लगातार हो रहे शोध : तिलकोर पर शोध करने वाले डॉ. प्रांशु ने बताया कि इसमें कई प्रकार के फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। इसमें एलके लाइडस, फ्लेवोनॉयडस, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स आदि प्रमुख हैं। मिथिला रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी एंड योगा, मधुबनी के चिकित्सक डॉ. उमेश कुमार उषाकर बताते हैं कि तिलकोर के औषधीय गुणों से अधिकतर लोग अनभिज्ञ हैं। इसका सेवन रक्त को शुद्ध करता है। कई बीमारियों की वजह रक्त की अशुद्धि होती है। नीम के पत्तों की तरह तिलकोर के पत्ते भी मानव शरीर के लिए फायदेमंद हैं। कोरोना काल में इसका सेवन काफी लाभकारी है।
कृषि विभाग को करनी चाहिए पहल : जेएमडीपीएल महिला कॉलेज, मधुबनी की बॉटनी की विभागाध्यक्ष डॉ. सविता वर्मा ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा के दृष्टिकोण से तिलकोर को देश-विदेश में भी जाना और समझा जाने लगा है। लोग इसके महत्व को समझने लगे हैं। जरूरी है कि इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। सरकार व कृषि विभाग को इसकी महत्ता समझाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
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