क्या NDA अपना प्रदर्शन दोहरा पाएगा? मधुबनी की इस सीट पर हमेशा रहा रोचक मुकाबला
Bihar Assembly Election 2025: मधुबनी लोकसभा सीट पर एनडीए के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है, जहाँ मुकाबला हमेशा रोचक रहा है। सभी पार्टियाँ चुनावों के लिए तैयार हैं और रणनीतियाँ बना रही हैं। पिछले चुनावों के नतीजों का विश्लेषण किया जा रहा है, और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
मनोज झा, हरलाखी(मधुबनी)। Bihar Assembly Election 2025: आजादी के बाद हरलाखी विधानसभा सीट पर 1952 से बीते 2020 के विधानसभा चुनाव तक यहां वर्तमान महागठबंधन के घटक दलों ने अलग अलग चुनाव लड़कर 14 बार विजय हुए हैं।
जबकि तीन बार यहां एनडीए के प्रत्याशियों ने बाजी मारी हैं। बता दें कि आजादी के बाद 1952 यहां पहला विधानसभा चुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी जानकी किशोरी देवी विजय हुई।
इसके बाद 1957 में हरलाखी व जयनगर को मिलाकर एक सुरक्षित सीट बना दिया गया। जिसमें एक सुरक्षित व एक सामान्य उम्मीदवार के लिए चुनाव हुआ। इसमे एक यूनिट अर्थात हरलाखी से देवनारायण यादव व दूसरे यूनिट जयनगर से रामकृष्ण महतो विजय हुए थे।
ये दोनों उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी से थे। इसके बाद 1962 से 2010 के बीच हरलाखी के 17 व बासोपट्टी के 15 वार्ड को जोड़कर कुल 32 पंचायत का हरलाखी विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया।
दोनो परिसीमन के बीच यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमे कांग्रेस के सात बार, सीपीआई के छह बार व राजद के प्रत्याशी एक विजय हुए थे।
2010 में बासोपट्टी के 15 पंचायत को खजौली विधानसभा में जोड़ दिया गया और हरलाखी विधानसभा में मधवापुर के 13 व बेनीपट्टी के सात पंचायत को जोड़कर हरलाखी को 37 पंचायत का विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया।
इस परिसीमन के बाद 2010 के चुनाव में पहली बार एनडीए के घटक दल का खाता खुला। यहां से जदयू के प्रत्याशी शालिग्राम यादव विजय होकर कांग्रेस, सीपीआई व राजद के दबदबे को समाप्त कर दिया।
इसके बाद से लगातार यहां से एनडीए के प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं। इस बीच 1969, 1980 व 2005 में सूबे की सरकार में उथलपुथल विधानसभा भंग होने के कारण अवधि से पूर्व दुबारा चुनाव कराए गए।
वहीं 2015 में विजय हुए रालोसपा के प्रत्याशी बसंत कुशवाहा का शपथग्रहण से पूर्व निधन हो जाने के कारण 2016 में उपचुनाव कराया गया। जिसमे स्व कुशवाहा के पुत्र सुधांशु शेखर पहली बार विधायक बने।
विधायक बनने के बाद श्री शेखर विकास के मुद्दों के साथ दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार भी श्री शेखर विकास के मुद्दों को लेकर ही लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं।
हालांकि विपक्षी दलों के द्वारा उन्हें उच्च शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार व किसानों को हर खेत पानी नही के मुद्दों पर घेरा जा रहा है। बहरहाल आमजनता अभी खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है।
अब तक यह रही स्थिति
- 1952- जानकी किशोरी देवी-कांग्रेस
- 1957- देवनारायण यादव-कांग्रेस
- 1962- बैद्यनाथ यादव-सीपीआई
- 1967-बैद्यनाथ यादव-सीपीआई
- 1969-शकूर अहमद-कांग्रेस
- 1972-शकूर अहमद-कांग्रेस
- 1977-बैद्यनाथ यादव-सीपीआई
- 1980-मिथिलेश पांडेय-कांग्रेस
- 1985-मिथिलेश पांडेय-कांग्रेस
- 1990-वीणा वादिनी-कांग्रेस
- 1995-रामनरेश पांडेय-सीपीआई
- 2000- सीताराम यादव-राजद
- 2005 के फरवरी में-रामनरेश पांडेय-सीपीआई
- 2005 के अक्टूबर में-रामनरेश पांडेय-सीपीआई
- 2010- शालिग्राम यादव-जदयू
- 2015-बसंत कुशवाहा-रालोसपा
- 2016 उपचुनाव-सुधांशु शेखर-रालोसपा
- 2020-सुधांशु शेखर-जदयू
2016 में
- सुधांशु शेखर-जीते-रालोसपा-62434
- शब्बीर अहमद-हारे-कांग्रेस-43484
- अंतर-18949
2020 में
- सुधांशु शेखर-जीते-जदयू-58212
- रामनरेश पांडेय-हारे-सीपीआई-41227
- अंतर-16986
प्रमुख जानकारियां
- कुल मतदाता-274847
- पुरुष-146929
- महिला-127901
- तृतीय लिंग-17
- कुल मतदान केंद्र-350

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