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    अंधराठाढ़ी दो हजार साल पुराने संग्रहित हैं अवशेष

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 03 Jan 2019 11:41 PM (IST)

    मिथिला का मधुबनी क्षेत्र प्राचीन समय से ही मंदिरों, गढ़ों व पुरातात्विक स्थानों के लिए प्रसिद्ध रहा है।

    अंधराठाढ़ी दो हजार साल पुराने संग्रहित हैं अवशेष

    मधुबनी। मिथिला का मधुबनी क्षेत्र प्राचीन समय से ही मंदिरों, गढ़ों व पुरातात्विक स्थानों के लिए प्रसिद्ध रहा है। खास कर जिले का अंधराठाढ़ी प्रखंड क्षेत्र विभिन्न कालों में विभिन्न राजाओं की राजधानी के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसका प्रमाण यहां से मिल रहे पुरावशेष सामग्री है, जिन्हें यहां के वाचस्पति संग्रहालय में रखा गया है। आज भी खेतों व डीहों की खुदाई-जुताई के क्रम में विभिन्न देव प्रतिमाएं व अन्य पुरा सामग्री का मिलना जारी है। सात साल पूर्व इस संग्रहालय की विशिष्टता देखते हुए बिहार सरकार ने अधिग्रहण कर लिया। लेकिन तब से इसका उचित संरक्षण नहीं होने से दुर्लभ पुरा सामग्री नष्ट होने के कगार पर है। कई राजाओं की रही राजधानी अंधराठाढ़ी के कमलादित्य स्थान में प्राप्त सूर्य प्रतिमा में मिथिला के प्रथम राजा नान्यदेव का नाम उल्लेखित है। जिनकी यह राजधानी रही। यहां बाद में सेन राजा मदनपाल का भी शासन रहा। यहां दक्षिराज्य के राजाओं के शासन के दौरान अंधराठाढ़ी राजधानी रही। जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है। महान दार्शनिक व टीकाकार पं. वाचस्पति मिश्र का भी निवास स्थान यहीं है। जिन्होंने अपनी विद्वता से पूरे विश्व को प्रभावित किया। इन राजाओं और विद्वान के काल का पुरावस्तु आज भी वहां स्थापित वाचस्पति संग्रहालय में संरक्षित है। लेकिन उचित देखभाल के अभाव में यह नष्ट होने के कगार पर है। संग्रहालय की स्थापना अंधराठाढ़ी के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त हो रहे पुरावस्तु को यहां के स्थानीय निवासी व पुराप्रेमी पं. सहदेव झा ने सहेजते हुए 1985 ई. में वाचस्पति संग्रहालय की स्थापना की। इसमें कुल 72 प्रकार के दुर्लभ पुरासामग्री संग्रहित है। संग्रहालय में ईसापूर्व से लेकर मध्ययुग तक की कई दुर्लभ पत्थर व धातुनिर्मित कलाकृतियां, शिलालेख तथा स्थापत्य शिल्प के नमूने उपलब्ध है। इनमें प्रमुख यक्षिणी, बोधित्सव, बालगोपाल, ¨सहवाहिनी दुर्गा, अष्टदल कमलासीन भगवान बुद्ध, श्री विष्णु, श्री लक्ष्मी, श्रीमंत्र, जीवाष्म, सिक्के, पांडुलिपि, चौखट आदि संग्रहित है। वर्तमान में इनके पुत्र पुरासामग्री के नष्ट या चोरी चले जाने के भय से सुरक्षित रखे हुए हैं। संग्रहालय भवन जर्जर हो चुका है। जिसके संरक्षण की आवश्यकता है।

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    ------------ वाचस्पति संग्रहालय में संग्रहित पुरा सामग्रियों का उचित संरक्षण नहीं हो रहा है। जिस कारण इसके नष्ट हो जाने की संभावना बन गई है। इसमें कई ऐसे पुरा सामग्री है। जो मिथिला के प्राचीन इतिहास का खुलासा कर सकते हैं। इसका संरक्षण जरूरी है।

    --शिवकुमार मिश्र, सहायक क्यूरेटर, लक्ष्मेश्वर ¨सह म्यूजियम, दरभंगा।

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