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    बिहार में पीढ़ी दर पीढ़ी दहेज के खिलाफ जंग लड़ता एक परिवार, जानिए

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Mon, 27 Nov 2017 11:41 PM (IST)

    बिहार के मधुबनी में एक परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी दहेज के खिलाफ जंग लड़ रहा है। उसने खुद तो दहेज का बहिष्‍कार किया ही है, समाज को भी इसके लिए प्रेरित कर रह ...और पढ़ें

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    बिहार में पीढ़ी दर पीढ़ी दहेज के खिलाफ जंग लड़ता एक परिवार, जानिए

    मधुबनी [सुनील कुमार मिश्र]। न तो खुद की शादी में दहेज लिया और न ही इंजीनियर बेटे की शादी में। बेटी की शादी भी दहेज रहित की। तभी तो, उनकी मिसाल आज क्षेत्र के लोग देते हैं। ये हैं मधुबनी जिला के पंडौल प्रखंड के सरहद गांव निवासी और डॉ. इंद्रमोहन झा। दहेज के विरुद्ध उनका नजरिया बिल्कुल साफ है। इस सामाजिक कुरीति को वे जड़ से खत्म करना चाहते हैं। इसके  लिए लोगों को जागरूक भी करते हैं। वैवाहिक निर्णय स्थल सौराठ सभा में लोगों से दहेज नहीं लेने की अपील करते हैं।
    इंद्रमोहन कहते हैं कि शिक्षक पिता विष्णुकांत झा ने बिना दहेज शादी की थी। बड़े भाई ब्रजमोहन झा की शादी भी दहेज रहित हुई। उन्‍होंने कहा, ''25 साल पहले जब मेरी शादी की बात चली तो घर वालों से साफ कह दिया कि दहेज नहीं चाहिए। घर वालों ने सराहना करते हुए स्वीकार किया।''
    करते हैं दहेज न लेने की अपील

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    इंद्रमोहन कहते हैं कि अपने इंजीनियर बेटे अभिनव की शादी बीते 24 नवंबर को सौराठ गांव में बीएमपी में कार्यरत एक कर्मी की पुत्री सौम्या प्रिया से बिना एक पैसा लिए की। विवाह मंच से उपस्थित बरातियों और सैकड़ों ग्रामीणों से बिना दहेज शादी की भावनात्मक अपील भी की।
    दहेज से नहीं मिलता सुख

    एकमात्र पुत्री आकांक्षा की शादी साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता (मैथिली) देवेंद्र झा के बेटे से चार साल पहले दहेज रहित की। उसे घर में काफी सम्मान मिलता है। वे कहते हैं, जो लोग ये सोचते हैं कि दहेज नहीं देंगे तो बेटी को प्रताडि़त किया जाएगा या ससुराल में सुख नहीं मिलेगा, उनके लिए यह उदाहरण है।

    इंद्रमोहन कहते हैं, ''दहेज के कारण कई घर बर्बाद हो चुके हैं। दहेज ने समाज को इस कदर ग्रसित कर रखा है कि बेटियां असुरक्षित हो गई हैं। जिस प्रकार आप बेटी का सम्मान करते हैं, अपनी बहू की भी करें। तभी घर में खुशियां रहेंगी।'' उन्‍होंने 'दैनिक जागरण' के दहेज विरोधी अभियान की सराहना करते हुए इसे एक एक सार्थक प्रयास बताया।

    कई हुए प्रेरित

    इंद्रमोहन के परिवार की सामाजिक कुरीति के खिलाफ यह पहल कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। उनसे प्रेरित होकर गांव सरहद के पवन कुमार झा ने दहेज रहित शादी की। मनोज कुमार ने भी अपने बेटे की शादी में दहेज नहीं लिया। ऐसे और भी उदाहरण हैं।