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    याज्ञवल्क्य आश्रम के विकास की जरूरत

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    Updated: Sun, 26 Feb 2012 09:27 PM (IST)

    बिस्फी (मधुबनी), निज प्रतिनिधि : प्रखंड क्षेत्र के जगवन गांव स्थित याज्ञवल्क्य मुनि आश्रम में फाल्गुन शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय लोगों के द्वारा विजय यादव के नेतृत्व में किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ पं. भोलानाथ मिश्र के स्वस्तिवाचन से हुआ। पूर्व विधायक सह प्रदेश जदयू महासचिव हरिभूषण ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि मिथिला ऋषिमुनियों की भूमि रही है। याज्ञवल्क्य मुनि का इन ऋषि मुनियों में अग्रणी स्थान रहा। राजा जनक, जिनकी पुत्री सीता हुई इनके ही शिष्य थे।

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    उन्होंने कहा कि त्रेता युग में भारत के लोक जीवन में संगठन, आचरण एवं अनुशासन की याज्ञवल्क्य स्मृति ही निर्देशक नियमावली थी परन्तु यह दुर्भाग्य है कि लोगों ने आज इन्हें भुला दिया। उन्होंने इनके आश्रम की उपेक्षा पर दुख प्रकट करते हुए विकास का वादा किया। पूर्व विधायक रामचन्द्र यादव ने इस भूमि को तपोभूमि कहते हुए नमन किया। उन्होंने इस तपोभूमि के विकास हेतु आपसी लोगों को तालमेल पर आगे बढ़ने की बात कही। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष झा ने इस भूमि की अध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की विशद चर्चा की। कार्यक्रम को डा. जय नारायण गिरि, मुखिया कुलेश सिंह, रामदेव ठाकुर, जोगेन्द्र मिश्र, मोद नारायण मिश्र, विष्णुदेव यादव ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डा. मोहन मिश्र ने किया।

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