नरक निवारण चतुर्दशी पर मंदिरों में भीड़
--व्रत रख की शिव की पूजा अर्चना
-शिवालयों में उमड़ी शिव भक्तों की भीड़
मधुबनी, निज संवाददाता: माघ कृष्ण चतुर्दशी शनिवार को नरक निवारण चतुर्दशी के अवसर पर महादेव की आराधना को शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। जिसमें सर्वाधिक संख्या महिलाओं की थी।
जिले के प्रसिद्ध एकादश रुद्र महादेव मंदिर,बाबा दतेश्वर नाथ महादेव मंदिर, कपिलेश्वर स्थान, भवानीपुर के बाबा उग्रनाथ महादेव मंदिर, बिस्फी के भैरवस्थान महादेव मंदिर, बिदेश्वरनाथ महादेव मंदिर सहित सैंकड़ों शिवालयों में सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ जुटने लगी और हर हर महादेव के जयकारे से शिवालय गूंजने लगे। आज के दिन भगवान शिव की पूजा की विशेष महत्ता है। मंगरौनी गांव स्थित प्रसिद्ध एकादश रूद्र शिवालय में इस अवसर पर विशेष पूजा का विधान है। यहां भी सुबह से शिव आराधना जारी है। बाबा आत्माराम शिव भक्तों की सहायता में देखे गए। वे बताते हैं कि महादेव का मंत्र ऊं नम: शिवाय है लेकिन इस मंदिर के संस्थापक तांत्रिक पंडित मुनीश्वर झा ने इस पांच अक्षर के मंत्र के स्थान पर ग्यारह अक्षर का मंत्र ऊं नम: शिवाय, ऊं एकादाश रुदाय तैयार किया। बाबा ने बताया कि इस मंदिर में भक्त जिस कामना के साथ आते हैं भोलेनाथ उनकी कामना पूरा करते हैं। बगल स्थित बाबा दत्तेश्वर नाथ गोमुखी शिवलिंग पर भी सुबह से ही जलाभिषेक शुरू हो गया। साधक पंडित विमलकांत झा ने बताया कि नरक निवारण चतुर्दशी के दिन जो श्रद्धालु इस महादेव की पूजा अर्चना करते हैं बाबा उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वहीं जिले के शिव नगर स्थित गांडिवेश्वर, बाणेश्वर, झंझारपुर स्थित विदेश्वर,मैवी गांव स्थित तपनेश्वर नाथ, मधेपुर स्थित बूढ़ा महादेव, लखनौर के अकुसी शिव, द्वालख गांव स्थित हरेश्वर नाथ, हररी स्थित चंडेश्वर नाथ, रहुआ संग्राम स्थित पारसनाथ,हुलासपट्टी स्थित जागेश्वर नाथ, ब्रह्मापुर स्थित पंचेश्वर नाथ,अंधराठाढ़ी स्थित मदनेश्वर नाथ, जमुथरि के गौरीशंकर, भीठ भगवानपुर स्थित वीरेश्वर नाथ,नील कंठेश्वर नाथ खुटौना में शिव भक्त पूजा अर्चना को पहुंचे।
इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि रात में चारों प्रहर पूजा का विशेष विधान है। इस व्रत को करने से सहस्त्र अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। साथ ही मनुष्य के जितने भी पाप होते है सब नष्ट हो जाते हैं। पूजा विधान के अनुसार आज के दिन निराहार रहकर संध्याकाल स्नान कर मिट्टी से महादेव बनाकर गणपत्यादि पंचदेवता, विष्णु व शिव का पंचोपचार पूजा कर आरती करना होता है। शिव को बैर, अंकुरी, भांग, ईख आदि सामग्री नैवेद्य में दिए जाते हैं। शाम में व्रती बैर से व्रत तोड़कर रात में अन्न ग्रहण करते हैं।
विभिन्न शिव मंदिरों में शाम में शिव भक्त आरती में शामिल हुए व शिव से सारे पाप नष्ट करने का अनुग्रह किये।
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