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    भक्तों की हर इच्छा को पूरा करती हैं भद्रकाली

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    Updated: Fri, 28 Oct 2011 06:53 PM (IST)

    कोयला भंवर में प्राप्त

    हुई थी मां की प्रतिमा

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    राजनगर (मधुबनी), निप्र : मधुबनी जिला मुख्यालय से महज 13 किमी की दूरी पर राजनगर प्रखंड अन्तर्गत कोईलख गांव स्थित अंकुरित भद्रकाली मंदिर काली पूजनोत्सव के अवसर पर भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बन जाता है।

    ऐसी मान्यता है कि जीवाइका नदी से सटे कोयला भंवर में मां भद्रकाली की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। इस प्रतिमा को लोग सिद्ध पुरुष स्वर्गीय पंडित वासुदेव झा की कुलदेवी के रूप में मानते हैं।

    11वीं शताब्दी में कर्नाट वंशीय सेनापति नान्यदेव ने पालवंशीय तत्कालीन मिथिला के राजा पर आक्रमण के क्रम में सिद्ध पुरुष पंडित वासुदेव की सिद्ध भूमि वासुदेवपुर (वर्तमान में कोइलख) के दक्षिण-पश्चिम जंगली भाग में वासुदेवपुर की देवी के सामने कलश स्थापना व विधि पूर्वक पूजन कर विजयश्री का आशीर्वाद लिया था।

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    सिद्धभूमि वासुदेवपुर के लोग कोकिलाक्षी के कोयला भंवर में प्रकट होने के कारण इस स्थान को कोइलख के रूप में जानने लगे। भगवती की स्थापना बैशाख माह की कृष्णपक्ष के दिन षष्ठी तिथि को हुई थी। इसलिए इन्हें कोकिलाक्षी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धापूर्वक मां भद्रकाली के दरबार में आते हैं उनकी हर इच्छा अवश्य पूरी करती हैं।

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