कविता में लयात्मकता जरूरी : डॉ जगदीश
मधुबनी। कविता में लयात्मकता का होना परम आवश्यक है, जो काव्यात्मकता भी है। आज कविता लयात्मक इसलिए नही
मधुबनी। कविता में लयात्मकता का होना परम आवश्यक है, जो काव्यात्मकता भी है। आज कविता लयात्मक इसलिए नहीं हो रहा। क्योंकि, कविता का सम्बन्ध हृदय से टूटकर मस्तिष्क में स्थापित हो गया है। उक्त बातें मैथिली विद्वान वरीय कवि डॉ. जगदीश मिश्र ने कही। वे झंझारपुर स्टेडियम में कवि नारायण झा की नव पुस्तक अविरल अविराम पुस्तक के विमोचन समारोह को बतौर अध्यक्ष सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कविता के आवश्यक तत्व अर्थ तत्व, प्रसाद तत्व, कल्पना तत्व और विचार तत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कवि नारायणजी को उनकी पुस्तक को लेकर ढेरों शुभकामनाएं दीं। आयोजन साहित्यांगन के बैनर तले हो रहा था। रचनाकार पीसी झा सारस्वत ने माना कि कवि ने समाज के भीतर घटित हो रहे विभिन्न घटनाओं को लेकर अच्छा सा पुस्तक तैयार करने का प्रयास किया है। समारोह को बतौर मुख्य अतिथि वरीय कथाकार डॉ. शिवशंकर श्रीनिवास ने भी संबोधित किया।
उक्त अतिथियों के अलावा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. खुशी लाल झा और विशिष्ट अतिथि डॉ. अजीत मिश्र, कुमकुम झा, दुखमोचन झा, साहित्यांगन के संस्थापक अध्यक्ष मलय नाथ मण्डन, कवि अमर नाथ झा अमर और लेखक नारायण झा ने पुस्तक का विमोचन किया।
इस मौके पर प्रसिद्ध लोक गायिका कुमकुम झा के लोक गीतों का भी लोगों ने आनन्द लिया। समारोह में प्रो. ईशनाथ झा, डॉ. कन्हैया झा, डॉ. संजीव शमा, अनिल ठाकुर, प्रदीप पुष्प, रामविलास साहु, सतीश साजन, वीरेन्द्र नारायण झा, शिव कुमार मिश्र, डॉ. सुरेन्द्र भारद्वाज, नीतीश कुमार, आनन्द मोहन झा, अवधेश कुमार मिश्र, डॉ. अतुलेश्वर झा, कुंज बिहारी झा, रामप्रीत पासवान, विद्याचन्द्र झा बमबम, संतोष कुमार झा, शंकर कुमार झा, आनन्द कुमार झा आदि उपस्थित थे।