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    विभागीय कार्यवाही मामले में सरकारी सेवकों को राहत

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 17 Jul 2017 01:17 AM (IST)

    मधुबनी। (राम प्रकाश चौरसिया ) सरकारी सेवकों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने सरकारी सेवकों

    विभागीय कार्यवाही मामले में सरकारी सेवकों को राहत

    मधुबनी। (राम प्रकाश चौरसिया ) सरकारी सेवकों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने सरकारी सेवकों को एक बड़ा राहत प्रदान किया है। अब सरकारी सेवकों पर बेवजह विभागीय कार्यवाही प्रारंभ नहीं किया जाएगा। अब आरोप की प्रकृति एवं गंभीरता का आकलन करने के बाद ही विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किए जाने या फिर नहीं किए जाने का निर्णय लिया जाएगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने सरकार के संयुक्त सचिव भीम प्रसाद के हस्ताक्षर से सूबे के सभी प्रधान सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों व प्रमंडलीय आयुक्तों से लेकर जिलाधिकारी तक को पत्र जारी कर दिया है। इस पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि सरकारी सेवकों पर लगे आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता का आकलन करने के बाद ही विभागीय कार्यवाही संचालित किए जाने का निर्णय लिया जाए। विभाग ने इस निदेश का दृढ़ता से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।

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    क्या है प्रावधान :

    बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 (समय-समय पर यथा संशोधित) के नियम-19 में लघु शास्तियों (दंड) के अधिरोपण की प्रक्रिया तथा नियम-17 में वृहद शास्ति (दंड) अधिरोपित करने हेतु विभागीय कार्यवाही के संचालन की प्रक्रिया का प्रावधान है। इस संबंध में समान्य प्रशासन विभाग द्वारा विस्तृत मार्गदर्शिका भी निर्गत किया जा चुका है।

    विभागीय कार्यवाहियों की संख्या में हो रही अनावश्यक वृद्धि :

    सामान्य प्रशासन विभाग को समीक्षा के क्रम में यह ज्ञात हुआ है कि विभागीय कार्यवाहियों की संख्या में अनावश्यक वृद्धि हो रही है। अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा किसी सरकारी सेवक के विरूद्ध प्रतिवेदित आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता का आकलन किए बगैर उसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित किए जाने का निर्णय ले लिए जाने के कारण ही ऐसी स्थिति बन गई है।

    जब बृहद दंड दिए जाने की संभावना हो तब प्रारंभ करें विभागीय कार्यवाही :

    सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुदेश जारी कर अनुरोध किया है कि किसी भी सरकारी सेवक के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही के संचालन का निर्णय लिए जाने के पूर्व अनुशासनिक प्राधिकार आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता का आकलन करना सुनिश्चित करें। यदि प्रतिवेदित आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हो और लघु शास्तियां (दंड) अधिरोपित किए जाने योग्य हो तो बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 (समय-समय पर यथा संशोधित) के नियम-19 के प्रावधानों का अनुसरण करते हुए आरोप प्रकरण का अंतिम निष्पादन किया जाए। जबकि प्रतिवेदित आरोपों की प्रकृति एवं गंभीरता को ध्यान में रखते हुए विभागीय कार्यवाही उन्हीं मामलों में प्रारंभ किया जाए, जिसमें अनुशासनिक प्राधिकार की राय में आरोपित सरकारी सेवक को वृहद दंड दिए जाने की संभावना हो। सामान्य प्रशासन विभाग ने उक्त अनुदेश का दृढ़ता से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।

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