बंदरों के आतंक से परेशान लोगों ने बुलाया शिकारी
मधुबनी। झंझारपुर नगर पंचायत क्षेत्र के अधिकांश निवासी दशकों से बंदरों के आतंक से परेशान हैं। यहां के
मधुबनी। झंझारपुर नगर पंचायत क्षेत्र के अधिकांश निवासी दशकों से बंदरों के आतंक से परेशान हैं। यहां के एक से लेकर 13 वार्ड तक के निवासी न केवल बंदरों के उत्पात के कारण अपने सोना उगलने वाले उपजाऊ भूमि पर लागत लगाना छोड़ दिया है। बल्कि इसके आतंक के कारण अपने खुद के जीवन को बचाने में लग गए हैं। इसके आतंक और हमला करने के कारण आए दिन यहां लोग अपना हाथ पांव तुरवा कर जख्मी होते रहे हैं। स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि कई बार यहां के निवासियों ने स्थानीय एवं नगर पंचायत प्रशासन को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की गई। किन्तु समस्या का निदान नहीं हो पाया। अब यहां के परतापुर गांव निवासी ग्रामीणों से सहयोग राशि का इंतजाम कर अपने को बंदरों के आतंक से बचाव करने का प्रयास प्रारंभ कर दिया है। परतापुर गांव निवासी व वार्ड पार्षद गंगा प्रसाद यादव, गणेश यादव, वैद्यनाथ झा, वेदानन्द ठाकुर आदि ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीणों का अधिकांश उपजाऊ भूमि कमला नदी के उस पार है। जिसे बंदरों ने अपने कब्जे में कर लिया है। उसी से निजात पाने के लिए संपूर्ण ग्रामीणों से सहयोग राशि लेकर शिकारी को बुला कर बंदरों को पकड़ने का कार्य किया जा रहा है। बताया जाता है कि इस अभियान की सफलता तक तकरीबन 50 से 60 हजार रुपये खर्च होगा। शिकारी दल का नेतृत्व कर रहे मुख्तार खान ने जानकारी दी कि दो दिनों में तकरीवन दो दर्जन बंदरों को ¨पजरा में कैद किया गया है। बंदरों को कैद करने की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि स्थलों के चारों ओर जाल का घेरा बिछा कर दाना डाल दिया जाता है। फिर उस घेरे में जो भी बंदर आता है। उसे कैद कर लिया जाता है। वे लोग आम तौर पर उक्त घेरे में जब बंदरों का झुंड आता है। तब ही जाल को खींच कर बंदरों को पकड़ते हैं।
यह शिकारी दल सकरी से बलाया गया है। जिसमें मुख्तार खान के अलावा सवीर खान, उमर फारुख, सलमान, इरशाद, सराज, शमशाद एवं रमजान हैं।
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