अशिक्षा से समाज प्रभावित : झा
मधुबनी। हम एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहां अशिक्षा के लिए कोई जगह नहीं होगी। आज भी हमारे समाज
मधुबनी। हम एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहां अशिक्षा के लिए कोई जगह नहीं होगी। आज भी हमारे समाज के लोग अशिक्षा के मकड़जाल में बुरी तरह जकडे़ हुए है। खासकर बच्चे व्यस्क और महिलाओं की हालत तो आज भी काफी खराब है। इसका एक कारण आधुनिकता के कारण संस्कृत भाषा से दूर होना भी है। संस्कृत का मतलब होता है संस्कार। अशिक्षा से केवल व्यक्ति ही नहीं सारा समाज प्रभावित होता है। यह कहना था कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलानुशासक डा. गोविन्द झा का। वे परमेश्वरी वीना संस्कृत महाविद्यालय परिसर में यूजीसी द्वारा संपोषित और कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद दर्शन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एक्सटेंशन एक्टिविटी कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उनका कहना था बालिका शिक्षा भी लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त है। महिला के शिक्षित होने से दो परिवारों के लोग शिक्षित और संस्कारित होते हैं। श्री झा ने प्रधानाचार्य और शिक्षकों को हिदायत देते हुए कहा कि वे लोग मात्र नामांकण पर नहीं बल्कि नियमित वर्ग संचालन और पठन-पाठन पर भी ध्यान केन्द्रित करे। समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक रामवतार पासवान ने कहा कि समाज के सहयोग के बिना न तो शिक्षा का प्रसार हो सकता है और न शिक्षण संस्थाओं का विकास। भाषा और ज्ञान किसी जाति व धर्म विशेष का न होकर देश और समाज का होता है। संस्कृत की महत्ता बताते हुए श्री पासवान ने कहा कि संस्कृत एक अति प्राचीन और महत्वपूर्ण भाषा हैं। भारतीय सभ्यता सम्पूर्ण रूप से संस्कृत में समाहित है। इसके अध्ययन से लोग सभ्य और सुसंस्कृत बन सकते हैं। उपस्थित विद्वानों में कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. विनय कुमार मिश्र डा. सत्यवान कुमार डा. विद्येश्वर झा, डा. दिलीप कुमार झा, डा. चौथी सदाय, डा. श्रवण कुमार चौधरी ने भी उपयुक्त विषय पर अपनी विद्वतापूर्ण तथा सारगर्भित व्याख्यान देकर लोगों से अशिक्षा को दूर करने और स्त्री और वयस्क शिक्षा के प्रति जागरूक होने की वकालत की।
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