करेह नदी में विलीन हो खो देती हूं अस्तित्व
सुनील कुमार मिश्र, मधुबनी : मैं
जीववत्सा नदी हूं। लोग मुझे जीवछ के नाम से पुकारते हैं। कमला के वर्तमान बहाव से पूर्व जयनगर से पांच मुखोंवाली थी। जो जयनगर से दक्षिण की ओर चलती थी। बलान के साथ कमला का समावेश हो जाने के बाद अब मै मधुबनी जिले के बरदेपुर से दक्षिणामुख हो स्वतंत्र बहाव करती हूं। मैं मध्य मुख वाली मूल जीवछ कहलाती हूं। जो मधुबनी के पश्चिम होकर बहती हूं। ककरौल वाली दूसरी धारा मुझसे मलंगिया गांव के पास मुझसे मिलती है। मधुबनी से सटे पश्चिम होकर बहने वाली धारा सौराठ गांव के पास बलरवा कहलाती है। नाम जो भी लोग रख लें मैं जीवछ नाम से ही लोगों का सदा कल्याण करती आई हूं।
वर्ष 1900 ई. तक कमला की बरसाती बाढ़ मुझसे मधुबनी की पश्चिमी धाराओं से मिलकर बहती थी। तब मेरी प्रधानता थी। जिसे लोग जीवछ-कमला कहते थे। इस मायने में मैं कमला की बड़ी बहन लगती हूं। लेकिन 1902 में मधुबनी जयनगर रेल मार्ग के पूर्वी भाग से गुजरने के कारण मेरी प्रधानता खत्म हो गई।
ये अब इतिहास की बात हो गई है। वर्तमान में वर्षो से मैं जिले के उत्तरी क्षेत्र बदरेपुर के चौर से प्रवाह पथ पर चलती हूं। यहां नरार गांव से आने वाली बकिया व अन्य गेना व चिकना नदी संगम करती है। यही मेरा वर्तमान उद्गम स्थल है। यहां से चलकर रममढ़वा आती हूं। जहा से प्रसिद्ध गांव कालिकापुर स्थित काली मंदिर के बगल से गुजरती हुई कलुआही में दक्षिण से पूर्वाभिमुख हो जाती हूं। हरिपुर बक्सी टोल होते हुए शुभंकरपुर गांव से बहाव करती एनएच 105 के सट कर बहते हुए आगे चल पड़ती हूं। मैं पहले की कह चुकी हूं कि मैं सदा अपनी संतानों को अपनी जलराशि से सुख देने वाली हूं। मुझ पर बरसात के समय में छोटे अस्थाई बांध बनाकर लोग मुझे अपनी खेतों तक ले जाते हैं। जिससे में सुख का अनुभव करती हूं। यहां से चलकर में विश्वप्रसिद्ध सौराठ गांव के पूरब से होकर निश्चिंत भाव अपनी धारा में जलराशि लिए स्वच्छंद बहाव करती हूं। जहां से मैं अनेक चौर व गांवों का भ्रमण करती हुई ककरौल वाली धारा से खजुरी गांव के पास संगम करती हूं। यहां से संपन्न जलराशि को लेकर गौसा घाट में आती हूं। यहां मेरा मिलन दुधैल गांव से आने वाली पुरानी कमला धारा से मिलन होता है। यहां से चलकर दरभंगा जिले के कई गांवों का भ्रमण करती पिपराही, कौराही, निरपा होते हुए सुधरैन गांव पहुंचती हूं। कौराही गांव से अपने संगम स्थल तक मैं रोसड़ा व सिधिंया थाने की सीमा रेखा बनाकर चलती हैं। यहां से चलकर में फुहिया गांव के पास करेह नदी में विलीन हो अपना अस्तित्व खो देती हूं।
मेरे प्रति लोगों की आस्था अगाह है। मान्यता है कि मुझमें स्नान करने से महिलाएं संतानवती होती हैं। इसलिए मेरे किनारे संतानहीन महिलाएं स्नान कर कपड़ा वहीं छोड़ देती हैं। संतान होने पर मेरी पूजा करते हैं। मेरे तट के किनारे मुंडन कराने की परंपरा है। लेकिन मैं अपने ही संतानों द्वारा प्रदूषित की जा रही हूं। मधुबनी से पश्चिम मेरे तट के किनारे व अन्य जगहों पर श्मशान घाट बना दिया गया है। जिस कारण मैं संस्कारित अवशिष्ट से प्रदूषित हो जाती हूं। दरभंगा के गौसा घाट में मेला के समय भोजन सामग्री का अवशिष्ट फेंक दिया जाता है। पुराने फटे कपड़ों के फेंके जाने से भी मै प्रदूषित हो रही हूं। जिसका समय रहते निराकरण नहीं किया गया तो मेरी पवित्रता चले जाने का खतरा है।
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बाक्स(पार्ट 2: मै शपथ लेता हूं)
(फोटो 19एमडीबी 14)
शपथ लेता हूं कि नदियों को साफ रखने का प्रयास करूंगा
'नदिया संस्कृति की वाहक हैं। इन्हें हम माता कहते हैं। लेकिन जिस तरह गंगा हो या अन्य छोटी नदी को हम प्रदूषित कर रहे हैं मानवों के लिए संकट पैदा कर रहा है। हाल के वर्षाें में हमने जिस प्रकार नदियों को प्रदूषित करने का काम किया है उससे विभत्स स्थिति पैदा हो गई है। जिस कारण हमें गंगा जैसी पवित्र नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए प्रयास करना पड़ रहा है।। नदी हमारे धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र तो है ही आर्थिक संसाधन भी है। मै शपथ लेता हूं कि नदियों को स्वच्छ व प्रदूषणमुक्त रखने के लिए एक राजनेता व आम आदमी की हैसियत से जो भी बन पडे़गा करूंगा'
-रामलखन राम रमण
विधान पार्षद सह मंत्री
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बाक्स(पार्ट 3: गणमान्य लोगों की राय)
'नदियों का संरक्षण मानव का काम है। जिससे वे सदा निर्मल जल देती रहें। नदी को बचाने व प्रदूषणमुक्त करने का काम हम सभी को मिलकर करना चाहिए'
अनामिका झा
(फोटो 19 एमडीबी 5)
' जिस प्रकार नदियों में प्रदूषण फैल रहा है। वह मानवों के लिए हितकारी नहीं है। हम सभी नदी को साफ रखने का संकल्प लें।'
रूना बनर्जी
(फोटो 19 एमडीबी 6)
'नदियों को साफ रखने के काम में अब विलंब करना हमारे लिए घातक हो सकता है। गंगा सहित सभी छोटी नदियां भी इतनी प्रदूषित हो गई हैं कि उनका पानी हितकारी नहीं। नदी स्वच्छता के प्रति हम सभी संकल्पित होना होगा। '
-मोहन केपी
(फोटो 19 एमडीबी 7)
'जिस प्रकार हम मां समान नदी का आदर करना चाहिए वैसा नहंी कर रहे हैं। दुर्भाग्य की बात है। हमारे व्यवहार से प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। इसके लिए लोगों को जागरूक होना होगा।'
हर्ष नारायण लाल
(फोटो 19 एमडीबी 8)
'नदियां हमारी विकास की प्रमुख सहयोगी हैं। इसे प्रदूषणमुक्त रखने के लिए हम सभी को प्रयासरत होना होगा।'
-वसी अहमद
(फोटो 19 एमडीबी 9)
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बाक्स(पार्ट 4: विशेषज्ञ की राय)
नदियों के अस्तित्व को बचा के रखना होगा
(फोटो 19एमडीबी 4 )
स्थानीय इंडियन पब्लिक स्कूल के प्राचार्य एम चांद नदियों के अस्तित्व को बचाने की वकालत करते हुए कहा कि नदियां हमारी आर्थिक पहलू की रीढ़ है। यदि मानव इसी तरह इस अनिवार्य कारक को प्रदूषित करता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी को तरसेंगे। नदियां यदि रूठ गई तो उसके बाद की स्थिति कितनी भयावह होगी यह सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाता है। हमें नदियों के अस्तित्व को बचाने व उसमें सदा निर्मल जल का बहाव होते रहने के लिए साथ मिलकर प्रयास करना होगा।
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बाक्स(पार्ट 5: पेंटिंग का आयोजन)
कैनवास पर नदियों की दास्तान
(फोटो 19एमडीबी 3)
नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के विषय पर बच्चों के बीच शनिवार को इंडियन पब्लिक स्कूल में छात्रों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। भाग लेने वाले बच्चों ने अपनी कल्पनाशीलता का सहारा लेते हुए बेहतर पेंटिंग बनाकर नदियों की व्यथा को उकेरा।
इस प्रतियोगिता में शांभवी गीता, स्नेहिल सृष्टि, श्रेया कुमारी, निती सिन्हा, निशा कुमारी, प्रीति कुमारी, सुस्मिता, अदिति ठाकुर, शिद्रा फातमा, आदिति रंजन, वली उल्लाह, सफा हुसैन, अनुनय आर्यन, जया अहमद, अभिनव कुसाद्र, प्रकाश कुमार, शिवम शेखर, कुमार प्रणव, आदर्श कुमार, मुस्कान राज, एन्द्री सिया, प्रगति तिवारी व प्रीति चौधरी आदि ने भाग लिया।
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बाक्स(पार्ट 6: छात्रों का संकल्प)
नदी को स्वच्छ रखना जरूरी
मधुबनी, संस: नदी के बगैर मानव जाति के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती। प्राकृतिक का अनुपम उपहार नदी मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षियों के जीवन दायक रहा है। नदी की उपेक्षा किसी भी समाज के लिए पीड़ादायक होता रहा है। इसके जल से खेतों को नई जिंदगी मिलती है। पशु-पक्षी अपने प्यास बुझाते हैं। न जाने कितने प्रकार के प्रदूषण को अपने कोख में समेटे हमें स्वच्छ जल व वातावरण प्रदान करता है। जल ही जीवन है। इसे कैसे भुलाया जा सकता। नदी की पवित्रता, इसके संरक्षण व इसकी देखभाल की नैतिक जिम्मेवारी से हम मुकर नहीं सकते। दैनिक जागरण द्वारा नदियों के संरक्षण से जुड़ी अभियान ने लोगों को नदियों के रक्षार्थ आगे आने पर विवश कर दिया है। अभियान से प्रभावित होकर कई छात्रों ने भी नदी की रक्षा का संकल्प लिया।
'नदी को मां समान होती है। इसकी रक्षा का संकल्प लेता हूं।'
- मनीष कुमार
फोटो 19 एमडीबी 15
'नदी हमें स्वच्छ पर्यावरण मुहैया कराती है। इसकी स्वच्छता का संकल्प लेता हूं।'
- सफदर अली
फोटो 19 एमडीबी 16
'वरुण देवता के रूप में नदी की पूजा की मान्यता रही है। इसकी पवित्रता का संकल्प लेता हूं।'
- आशीष कुमार
फोटो 19 एमडीबी 17
'प्रदूषित करने वाले वस्तुओं को नदी में नहीं फेंकने का संकल्प लेता हूं।'
- मयंक कुमार
फोटो 19 एमडीबी 18
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बाक्स(पार्ट 7: भजन)
(फोटो 19एमडीबी 19)
ईश्वर दें हम सबको सदबुद्धि
मधुबनी, संस : विश्व शांति व विश्व कल्याणार्थ भजन-कीर्तन की प्राचीन परम्परा रही है। वहीं इन दिनों नदी की रक्षा की कामना को लेकर यहां प्रतिदिन भजन-कीर्तन का आयोजन से भक्तिमय माहौल बन गया है। नदी संरक्षण को लेकर दैनिक जागरण द्वारा जारी अभियान से प्रभावित होकर शहर के अनेक श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन के माध्यम से नदी की रक्षा की प्रार्थना की। गणेश वंदना से प्रारंभ भजन कार्यक्रम में माता गंगा, जमुना, सरस्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं की स्तुति कर महाआरती की गई। भजन में प्रशांत कुमार, ओम प्रकाश सिंह, राजकुमार प्रसाद, विजय कुमार ठाकुर, शिवेश झा, प्रफूल्ल चंद्र झा, अजय यश, चांदनी झा, आशा कुमारी , दिनेश राम, सांई प्रिया, गणेश मंडल, ममता कुमारी, सुबोध मंडल सहित अन्य ने भाग लिया। भजन के जरिए सबने कामना की कि ईश्वर हम सबको सदबुद्धि दें ताकि हम मैली हो रही नदियों की रक्षा को सचेष्ट हों।
------------------------इस अभियान पर आप अपनी राय हमें मो. नं. 9470740029 पर दें।
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