(सावन विशेष): यहां सवा पहर विराजते बाबा बैद्यनाथ
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जागरण संवाददाता, मधुबनी : पंडौल प्रखंड के नाहर गांव स्थित बाबा भुवनेश्वर नाथ की दूर-दूर तक मनोकामना पूर्ण करने वाले के रूप में प्रसिद्धि है। जनश्रुति के अनुसार यहां महाशिवरात्रि के दिन सवा पहर वे विराजते हैं।
अयाची मिश्र ने की थी स्थापना
भुवनेश्वर नाथ के स्थापना सोदरपूरिए मूल के महामहोपाध्याय पं. अयाची मिश्र द्वारा स्थापित है। कहा जाता है कि जब अयाची मिश्र को पुत्र नहीं हुआ तो वे देवघर में बैद्यनाथ बाबा के सामने धरना पर बैठ गए। एक दिन स्वप्न हुआ कि तुम घर जाओ और वहीं शिवलिंग की स्थापना कर पूजा करो पुत्र होगा। हां शिव ने यह चेतावनी भी दी कि आज से कभी भी तुम्हारे मूल के लोग देवघर नहीं आएं। मै महाशिवरात्रि को सवाप्रहर इसी लिंग में समाहित रहूंगा। तबसे इस मूल के लोग देवघर नहंी जाते। शिव की कृपा से अयाची को शंकर जैसा पुत्र प्राप्त हुआ। जो बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था व दरभंगा महाराज को स्वरचित श्लोक बालोहं जगदानंद नमे वाला सरस्वती, अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्रयम सुना कर चकित कर दिया था।
सावन में आते हजारों कांवरिए
सावन में समीप के कमला नदी से हजारों की संख्या में कांवरिए कमला जल से जलाभिषेक करते हैं। स्थानीय समाजसेवी संतोष कुमार मिश्र चुन्नु ने बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा इस अवसर पर जलाभिषेक को लेकर व्यवस्था की जाती है। लेकिन जिस प्रकार प्रसिद्धि है उस प्रकार इसका विकास नहीं हो पा रहा है।
कैसे पहुंचें
यहा पहुंचने को लेकर मधुबनी से मेंहथ जाने वाली एसएच से बस व अन्य वाहनों से पहुंच सकते है। यहां पूजा के लिए फुल व अन्य सामग्री मिलती है। यह मधुबनी से 14 किलोमीटर पूरब है।

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