पौधरोपण: जमीं पर वीरानगी, फाइलों में हरियाली
कपिलेश्वर साह, मधुबनी: इस स्लोगन 'पौधरोपण कार्य महान, एक वृक्ष सौ पुत्र समान' को जमीं पर उतारने के लिए हमें संकल्पित होकर आगे बढ़ना होगा। आयुर्वेद में भगवान शिव को वृक्षों का स्वामी कहा गया है। वट सावित्री व्रत पर वृक्षों की पूजा का धार्मिक महत्ता रहा है। सत्यवान- सावित्री की पौराणिक कथा वृक्षों की रक्षा का संदेश भी देता है। वृक्ष ही प्राणों को संचालित करते हैं। प्रकृति की अनमोल देन पेड़-पौधों का सीधा संबंध हमारे जीवन से जुड़ा है। पेड़ों से प्राप्त होने वाले ऑक्सीजन पर हमारा जीवन निर्भर होता है। चिलचिलाती धूप में घने पेड़ों की छाया मां की ममता के समान सुकून देता है। सोचिए, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई नहीं रोकी गई तो इससे प्राप्त होने वाले फल हमें नसीब नहीं होगा। पूजा के फूल हम कहां से लाएंगे। याद कीजिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को डूबने से बचाने में सहायक साबित होने वाले पेड़ नहीं रहेंगे तो पक्षी अपना घोंसला कहां बनाएंगे। वैज्ञानिकों की माने तो पेड़-पौधे आपस में बातें करते हैं। हंसते हैं, गुनगुनाते हैं। वैसे भी ग्लेशियर को पिघलने जैसी समस्या से पर्यावरण संकट को लेकर विश्व समुदाय चिंतित है।
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पार्को में खटक रहा हरियाली का अभाव
मधुबनी, संस : हरियाली व रंग-बिरंगे फूलों के बीच झूलों वाले पार्क में सुकून का पल दो पल गुजारने का शहरवासियों का सपना आखिर कब पूरा होगा। शहरी क्षेत्र में पौधरोपण कार्य दो दशक से बाधित रहा है। वन विभाग व नप प्रशासन का फिसड्डी साबित हुआ है। शहरी विकास अभिकरण द्वारा गंगासागर तालाब स्थित काली मंदिर के नजदीक रामेश्वरी लता उद्यान को फव्वारायुक्त आकर्षक स्वरूप देने के लिए वर्ष 2013 में पचास लाख की राशि स्वीकृति दी गई थी। उद्यान के सुसज्जित करने की बड़ी योजना में पौधरोपण भी शामिल था।
-थाना चौक पर वर्ष 2011 में विद्यापति टावर पार्क का निर्माण कराया गया, वर्ष 2012 में इस पार्क के तकरीबन 20 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण की योजना का शिलान्यास विधान परिषद के पूर्व सभापति पं. ताराकांत झा द्वारा किया गया। इसके तहत पार्क में पौधरोपण की योजना बनाई गई थी लेकिन रखरखाव के कारण पार्क में जंगल-झाड़ उग आए हैं। कई पौधे सूख गए हैं।
-धार्मिक व रमणीय स्थल के रूप में प्रसिद्ध काली मंदिर गंगासागर तालाब परिसर में दो दशक पूर्व बच्चों के लिए 'रामेश्वरी लता शिशु उद्यान' का निर्माण कराया गया। उद्यान में रंग-बिरंगे फूल के पौधे लगाए गए। देखभाल के अभाव में सभी पौधे सूख गए। दो दशक से उद्यान में पौधरोपण कार्य नहीं चलाया जा सका है।
-नप कार्यालय परिसर में सत्येन्द्र प्रमोद वन के जीर्णोद्धार व हरियाली कार्य के लिए तत्कालीन विधान पार्षद संजय झा के ऐच्छिक कोष 10 लाख की लागत से उक्त पार्क का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया। जीर्णोद्धार कार्य बाधित रहने से यहां भी हरियाली का अभाव खटक रहा है।
-रेलवे स्टेशन परिसर में वर्षो पूर्व निर्मित पार्क को पार्किग स्थल में तब्दील कर दिया गया। अब यहां पार्क नहीं होने से हरे-भरे वृक्षों की छाया नहीं रहती। जबकि पार्किग स्थल पर अवैध रूप से वाहनों का ठहराव देखा जाता है।
-महिला कॉलेज, जेएन कॉलेज सहित कई शिक्षण संस्थान के अलावा सरकारी, गैर सरकारी कार्यालय परिसर में हरियाली का अभाव बना है। यहां पौधरोपण कार्य नहीं चलाए जा रहे हैं।
-शहर के बीचोबीच टाउन क्लब मैदान के सौन्दर्यीयकरण की योजना बनाई गई। योजना में मैदान के चारों ओर पौधरोपण किया जाना शामिल था लेकिन यहां पौधरोपण कार्यक्रम अब तक शुरू नहीं किया जा सका है।
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पंचायतों में पौधरोपण अभियान बना कामधेनु
मधुबनी, संस : मनरेगा द्वारा वृक्षारोपण अभियान में गति लाने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत पंचायतों में पौधा लगाने तथा पूर्व से लगाए गए वृक्षों की संरक्षण की दिशा में पहल का निर्देश यहां बेअसर साबित होता रहा है। मुखिया द्वारा सगे संबंधियों को वनपोषक के रूप में रखने के आरोप लगते रहे हैं। कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा पंचायतों में रोजगार सेवक के साथ पौधरोपण स्थल का निरीक्षण करने का विभागीय निर्देश का भी पालन होता नहीं दिख रहा। मृत पौधों की सूची तैयार कर मुख्यालय भेजने में उदासीनता बरती जाती रही है। वृक्षों की संरक्षण, खाद डालने, फलदार वृक्ष ज्यादा लगाने, नियमित पटवन करने के निर्देश पर अमल होता नजर नहीं आता। यहां पौधरोपण अभियान में मनरेगा में सिर्फ खानापूरी हो रही है। मनरेगा में इस दिशा में संतोषजनक कार्य नहीं दिखता है। वर्ष 2013 में जिले के सभी 399 पंचायतों में 20 यूनिट अर्थात 2000 के बजाय मात्र 10 यूनिट 1000 पौधे लगाने का ही विभागीय निर्देश प्राप्त हुआ था। वर्ष 2009-10 में 74 यूनिट (16402 पौधे) लगाए गए जिसमें 7914 जीवित हैं। 52 फीसदी पौधे मर गए। 2009-10 में 72 लाख 15 हजार 959 रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2010-11 में 82 यूनिट (19391) पौधरोपण हुए। 67 फीसदी वृक्ष जीवित दर्शाया गया तथा 86 लाख 17862 रुपये खर्च हुए। वर्ष 2011-12 में 3 करोड़ 39 लाख 99106 रुपया खर्च से 1004 यूनिट वृक्ष लगे। 84 फीसदी जीवित की सूचना है। वर्ष 2012-13 में सर्वाधिक 1031 यूनिट पौधे लगाने पर विभाग ने एक करोड़ 56 लाख 132000 रुपये खर्च किये एवं 97 फीसदी वृक्ष जीवित रहने का दावा विभाग का है। चार वित्तीय वर्ष में पोधरोपण पर विभाग द्वारा 6 करोड़ 54 लाख 46129 रुपया खर्च किया। इसके तहत 3 लाख 98 हजार वृक्ष लगाने की दावा किया है। जिसमें आधे से अधिक पौधे नजर नहीं आता। पंचायतों में पौधरोपण अभियान कामधेनु बन चुका है। प्रति यूनिट 200 पौधों पर चापाकल मिलने का प्रावधान है, जिसे निजी जमीन पर गड़वा लिया जाता है। जिला मुख्यालय से सटी सप्ता पंचायत के कंजर टोल के निकट चार सौ पौधे सूख गए। कल्याणपुर से पछिमा पुल तक सड़क किनारे पौधे सूख रहे हैं। बसौली हाट, सुगौना तालाब, पुरनदही तालाब मुहाने पर 600 पौधे नष्ट हो गए। पंडौल प्रखंड के कई सार्वजनिक स्थानों पर पौधे निरंतर सूख रहे हैं। मधुबनी-सकरी सड़क में भी यही स्थिति है। वनपोषक का कार्य कागज पर पूरा हो यहां अर्जुन, सफेते इक्यूलीप्ट्स एवं वनकठ लगाए जाते हैं जो यहां की मिंट्टी पर नहीं टिक पाते।
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एसबीआइ द्वारा लगाए गए पौधों की देखभाल नहीं
मधुबनी, संस : पौधरोपण के दिशा में आमजन एवं स्वयंसेवी संस्थाएं जागरुक हुई हैं, जबकि सरकारी स्तर पर पौधरोपण कार्यक्रम लचर रहा है। वर्ष 2013 में एसबीआइ द्वारा जिले के विभिन्न हिस्सों में पौधरोपण कार्यक्रम चलाए गए लेकिन पौधों की देखभाल का अभाव बना रहा। रखरखाव में कमी के कारण अनेक पौधे सूखते चले गए। जिसे देखने वाला कोई नहीं होता। वर्ष 2013 में एसबीआइ के क्षेत्रीय व्यवसायी कार्यालय एवं कृषि विकास शाखा के संयुक्त तत्वावधान में शहर के सूड़ी विद्यालय परिसर में 40 पौधे रोपे गए। राजनगर के राजकीय लक्ष्मी नारायण गुप्ता रामसखी बालिका उवि. परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जयनगर के पिठवा टोला स्थित राजकीयकृत मवि. प्रांगण में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन कर दर्जनों विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे लगाए गए। झंझारपुर नगर पंचायत स्थित पार्वती लक्ष्मी महिला महाविद्यालय के प्रांगण में 15 आम के पौधे लगाए गए। मवि. निर्मली में फलदार पौधा लगाया गया। बाबूबरही के प्लस 2 ज.न. उवि. बाबूबरही में 15 फलदार आम का वृक्ष लगाए गए थे। इनमें से अनेक पौधे अब नजर नहीं आते। 34 बिहार बटालियन एनसीसी के तत्वावधान में स्थानीय आरके कालेज परिसर में पौधरोपण अभियान के तहत कालेज परिसर में सितंबर 2013 में 800 पौधे लगाने का कार्य शुरू किया गया। श्री सत्य साईं सेवा समिति के अलावा युवाओं के एक दल द्वारा चलाए गए पौधदान कार्यक्रम के तहत दो वर्षो में दो हजार से अधिक पौधे दान किए गए। समिति द्वारा पौधरोपण कार्यक्रम के तहत सदर एसडीओ कार्यालय तथा शिव गंगा बालिका उच्च विद्यालय परिसर सहित अन्य हिस्सों में प्रति माह पौधरोपण किया जाता रहा है। पौधों की देखभाल भी समिति के सदस्यों द्वारा की जाती है। नि:शुल्क रूप से वितरण होने वाले पौधों में गुलाब, गेंदा, अरहुल, जूही, बेली, चमेली, रात की रानी, सिंगार फूल के पौधा के अलावा आम, कटहल, अमरूद, मौसमी, अशोक सहित अन्य पौधे शामिल होता है।
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'यहां की जलवायु से मेल खाते पौधे को ही लगाना चाहिए। यहां आम, कटहल, जामुन इत्यादि फलदार वृक्ष कम मरते हैं। ऐसे फलदार पौधे ही यहां लगने चाहिए।'
- समरनाथ झा
फोटो 6 एमडीबी 28
'संतुलित पर्यावरण लोगों के लिए प्राण रक्षक साबित माना गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण के प्रति सजग रहने की जरूरत है।'
- डॉ. विनय कुमार दास
फोटो 6 एमडीबी 29
'नप क्षेत्र के सार्वजनिक स्थल के अलावा रामेश्वरी लता शिशु उद्यान, विद्यापति टावर पार्क में पौधरोपण की योजना बनाई गई है। जिस पर जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा।'
- खालिद अनवर
मुख्य पार्षद, नप
फोटो 6 एमडीबी 30
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'वन विभाग द्वारा शहरी क्षेत्र में पौधरोपण योजना नहीं चलाई गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इस वर्ष 14 हजार पौधे लगाए गए हैं। जिसमें भगवानपुर से पिपराघाट के बीच सड़क किनारे चार हजार, पिपराघाट से भूपंट्टी के बीच पांच हजार तथा कलुआही से बेलाही तक पांच हजार पौधे शामिल हैं।'
- अजय कुमार सिंह
रेंजर, वन विभाग, मधुबनी
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