प्रकृति की गोद में बसा है सपरदह पंचायत
मधेपुरा। प्रकृति की गोद में बसा पुरैनी प्रखंड के सपरदह पंचायत का इतिहास काफी गौरवशाली ह

मधेपुरा। प्रकृति की गोद में बसा पुरैनी प्रखंड के सपरदह पंचायत का इतिहास काफी गौरवशाली है। पंचायत क्षेत्र का कड़ामा गांव की पहचान दूर-दूर तक है। एनएच 106 व ड्रेनेज किनारे बसे इस पंचायत की छटा देखते ही बनती है। सपरदह से लेकर कुरसंडी पंचायत की सीमा तक एनएच 106 के दोनों किनारे लगे शीशम, जिलेबी सहित अन्य इमारती लकड़ी के मोटे-मोटे पेड़ जहां पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। वहीं पंचायत की खुबसूरती को भी चार चांद लगा लगा रहा है। पंचायत में मंद गति से ही सही विकास कार्य दिखने लगा है। पंचायत में इस पंचवर्षीय में विकास से संबंधित अनेकों कार्य होने के बावजूद पंचायत क्षेत्र में कई कार्य बाकी है। पंचायत पक्की सड़क से जुड़ी हुई हुई है। पंचायत क्षेत्र में गरीबी और बेरोजगारी भी कम नहीं है। अधिकतर लोग रोजी-रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों की ओर पलायन कर गए हैं। वर्तमान मुखिया कंचन देवी के पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में विकास का काफी काम हुआ है। मनरेगा से मजदूरों को भी काम मिला है। 13 वार्डों वाली इस पंचायत को अपना पंचायत सरकार भवन है। जहां ग्रामीणों के पंचायत स्तरीय कार्यों को सुलभ तरीके से निष्पादित किया जाता है। 14 वीं वित्त आयोग मद से विभिन्न वार्डों में एक हजार सात सौ फीट व पंचम वित्त आयोग मद से दो हजार चार सौ फीट पीसीसी ढलाई सड़क का निर्माण कार्य कराया गया है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अंतर्गत गली-नाली योजना से 12 हजार फीट पीसीसी ढलाई सड़क, 350 फीट नाली व तीन हजार एक सौ फीट पेवर ब्लॉक सड़क का निर्माण किया गया है। पंचायत में 2,634 राशन कार्डधारी परिवार हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में 392 योग्य लाभार्थियों को लाभ दिया गया है। स्वच्छता योजना अंतर्गत 1400 शौचालय, 1247 वृद्ध, विधवा, दिव्यांगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ दिया गया है। वहीं पंचायत के विभिन्न वार्डों में लाखों की राशि खर्च कर मानव दिवस का सृजन किया गया है। वार्ड सदस्य जयंती देवी, पिकी देवी, भुलिया देवी, किरण देवी, बैंकुठ झा, बबलू यादव, मु.जमशेद, मु.तैयब, सिकंदर ऋषिदेव, बीबी सुबेदा खातून, सोनी देवी, श्रीचंद महतो, आनंद कुमार आनंद आदि ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में जो पंचायत क्षेत्र में विकास कार्य हुआ है।
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1957 में अस्तित्व में आया है सपरदह
1957 में बलवंत राय मेहता समिति के गठन के पश्चात तत्कालीन राज्य सरकार के प्रयास से सपरदह पंचायत अस्तित्व में आया। 1994 के पूर्व सपरदह पंचायत जहां आलमनगर प्रखंड में शामिल था। वहीं 1994 में पुरैनी प्रखंड स्थापना के उपरांत इस पंचायत को पुरैनी प्रखंड में शामिल किया गया।
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ऐतिहासिक पहचान है जगन्नाथ मंदिर
पंचायत के कड़ामा गांव स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर यहां की विशेष पहचान है। जगन्नाथपुरी के बाद एकमात्र कड़ामा में जगन्नाथ मंदिर होने से इसकी काफी प्रसिद्धि है। हर वर्ष यहां कृष्णाष्टमी के मौके पर प्रतिमा का निर्माण कर पूजा-अर्चना की जाती है। यहां नेपाल, बंगाल, उत्तरप्रदेश, झारखंड सहित बिहार के कई जिलों के श्रृद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि कृष्णाष्टमी के दिन जगन्नाथपुरी में मंदिर का पट बंद होने के उपरांत भगवान जगन्नाथ कड़ामा स्थित मंदिर में ही वास करते हैं।
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विद्वतजनों का गांव रहा है कड़ामा
विद्वतजनों की वजह से कड़ामा गांव की अब तक पहचान बनी हुई है। कई एमबीबीएस डॉक्टर, सैनिक सहित दर्जनों प्रोफेसर, इंजीनियर व विद्वान शिक्षकों ने पंचायत का मान बढ़ाया है। इतना ही नहीं कड़ामा निवासी स्वर्गीय परमेश्वर झा जहां शिक्षा विभाग में डीईओ के पद पर कार्यरत थे। वहीं शिवकुमार झा बीईओ व रघुनाथ झा जिला मत्स्य पदाधिकारी के पद पर कार्यरत थे।
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स्वतंत्रता सेनानियों की शरणस्थली थी कड़ामा
स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अंग्रेजों के खौफ व यातनाओं के डर से भागे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कड़ामा गांव शरणस्थली हुआ करती थी। यहां शरण लिए स्वतंत्रता सेनानी एकजुट होकर नई-नई रणनीति बनाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत कर अपने कार्यों को अंजाम दिया करते थे।
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विकास कार्यों को मुंह चिढ़ा रहा रेलिग विहीन पुल
एनएच 106 से कड़ामा गांव को जोड़ने वाली ड्रेनेज पर रेलिग विहीन पुल पंचायत में किए गए अन्य विकास कार्यों को मुंह चिढ़ा रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बने पुल जो वर्षों से रेलिग विहीन होकर कई हादसे का गवाह बन चुका है। इसकी सुधी लेने वाला कोई नहीं है। साथ ही एनएच 106 मुख्य मार्ग पर सपरदह के समीप वर्ष 2008 के प्रलंयकारी बाढ़ में ध्वस्त हुए में पुल का जहां अबतक निर्माण नहीं हो पाया है। वहीं मध्य विद्यालय कड़ामा के समीप ड्रेनेज पर पुल निर्माण की मांग लोग वर्षों से कर रहे हैं।
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पशु चिकित्सालय का मिल रहा लाभ
पंचायत अंतर्गत कड़ामा गांव के मध्य में भाड़े के मकान में पशु चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है। पशु चिकित्सालय में तिथिवार चिकित्सक बैठते हैं। इसका लाभ पंचायत व आसपास के क्षेत्र के पशुपालकों को मिलता है।
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चार सामुदायिक शौचालय का कराया गया है निर्माण
पंचायत क्षेत्र में स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से चार अनुसूचित जाति टोले रामटोला व मेहतर टोला, कड़ामा व बड़ी मुसहरी सपरदह में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। इसका शत-प्रतिशत लाभ संबंधित टोले के ग्रामीणों को मिल रहा है।
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नामकरण के रहस्यों का पता नहीं
गांव का इतिहास करीब चार सौ साल पुराना बताया गया है। लेकिन पंचायत के नामकरण के रहस्यों का किसी को पता नहीं है। सरकारी अभिलेख में अब भी यह गांव सपर्दा के नाम से जाना जाता है। लेकिन बोलचाल की भाषा में सपरदह कहलाने लगा है।
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पंचायत की भौगोलिक स्थिति
पंचायत के उत्तर में कुरसंडी पंचायत, दक्षिण में आलमनगर प्रखंड का कुंजौड़ी पंचायत, पुरब में औराय पंचायत व पश्चिम में आलमनगर प्रखंड का नरथुआ भागीपुर पंचायत अवस्थित है।
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प्रखंड मुख्यालय को जोड़ने वाली सभी सड़क है जर्जर
सपरदह पंचायत को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली दो मुख्य सड़कें हैं। जो काफी जर्जर अवस्था में है। स्थिति यह है कि इन सड़कों पर वाहन तो क्या पैदल चलने वाले लोगों को भी परेशानी होती है। पंचायत को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली कड़ामा व सपरदह से पुरैनी तक पक्की सड़क काफी जर्जर अवस्था में है। यद्यपि सपरदह उच्च विद्यालय से औराय तक जाने वाली सड़क का छह माह पूर्व लाखों की लागत से मरम्मत कराया गया था।
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सिचाई की नहीं है समुचित व्यवस्था
इस पंचायत में मक्का, धान, गेहूं के अलावा विभिन्न प्रकार के सब्जी की खेती व्यापक पैमाने पर की जा रही है। आजादी के बाद से यहां सिचाई समस्या का कोई भी समाधान नहीं हो पाया है। किसान अपनी गाढ़ी कमाई से अधिक खर्च कर सिचाई करने को विवश हैं।
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उप स्वास्थ्य केंद्र का नहीं मिल रहा लाभ
स्वास्थ्य सेवा की बात करें तो यहां तिरासी व नयाटोला कड़ामा में दो उप स्वास्थ्य केंद्र प्रस्तावित है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता व लापरवाही से दोनों केंद्र का संचालन शुरू नहीं किए जाने से आमलोगों को स्वास्थ्य सेवा का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही गरीब व असहाय तबके के लोग आज भी ग्रामीण चिकित्सक के सहारे इलाज कराने को बाध्य है।
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कृषि, पशुपालन व मजदूरी है रोजगार के साधन
पंचायत के अधिकांश लोग कृषि पर आधारित हैं। खेती के अलावे पशुपालन व मजदूरी अधिकांश लोगों के जीविका का मुख्य साधन है। क्षेत्र में कृषि आधारित खासकर मक्का उद्योग नहीं होने से मक्का उत्पादक किसानों को काफी परेशानी हो रही है।
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पर्यटन स्थल का भेजा गया है प्रस्ताव
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के पहल पर सभ्यता व संस्कृति धरोहर को संरक्षित करने के उद्देश्य से वर्षों पूर्व पौराणिक व दर्शनीय स्थल के रूप में कड़ामा स्थित मां भगवती स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में चिह्नित कर विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।
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हर घर नल-जल योजना की कार्य प्रगति पर
पंचायत वासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पंचायत में हर घर नल-जल योजना का कार्य प्रगति पर है। लिहाजा अभी तक ग्रामीणों को शुद्व पेयजल नसीब नहीं हो पाया है। पंचायतवासी आजादी के सात दशक बाद भी लौहयुक्त पानी पीने को विवश है।
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पक्की सड़कों का हुआ है निर्माण
2001 में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के पूर्व पंचायत में एनएच 106 को छोड़कर एक भी सड़क पक्की नहीं थी। आज पंचायत की लगभग सभी मुख्य व ग्रामीण सड़क का पक्कीकरण किया जा चुका है। यद्यपि पंचायत के कई सड़कें आज भी कच्ची है। जहां मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से वार्ड क्रियान्वयन प्रबंधन समिति की देखरेख में टोले की कच्ची सड़कों को पेवर ब्लॉक व पीसीसी ढलाई सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
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मनरेगा से हुए हैं कई निर्माण कार्य
पंचायत के विभिन्न वार्डों में मनरेगा योजना से 15 पशु शेड, एक नीजी पोखर की खुदाई, 10 सोख्ता का निर्माण, वार्ड नंबर एक व तीन में दो सौ परिवार के घर मिट्टी भराई, पांच सौ फीट लंबी दो सड़क का निर्माण, 15 परिवारों के निजी जमीन पर पौधरोपण कार्य किया गया है।
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पंचायत में जल निकासी की है व्यवस्था
ड्रेनेज किनारे बसे इस पंचायत में वर्तमान पंचवर्षीय में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना से विभिन्न वार्डों में नाला का निर्माण किया गया है। वहीं जगह-जगह ड्रेनेज में जल निकासी की व्यवस्था की गई है।
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पंचायत सरकार भवन से मिल रहा है लाभ
पंचायत के कड़ामा नयाटोला स्थित पंचायत सरकार भवन में प्रतिदिन ग्रामीण अपनी पंचायत स्तरीय कार्यों के लिए आरटीपीएस काउंटर पर पहुंचते हैं। संबंधित कर्मी व जनप्रतिनिधियों के द्वारा पंचायतवासियों की समस्याओं का निदान हाथोंहाथ कराया जाता है। गांव से बाहर निर्माण कराए गए पंचायत सरकार भवन में रात्रि प्रहरी व सुरक्षा गार्ड का जहां अभाव है। वहीं चारदीवारी का भी अबतक निर्माण नहीं कराया गया है।
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राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुई है मुखिया
पंचायत के विकास कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाकर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पहली बार जहां वर्ष 2014 में मुखिया कंचन देवी को जिला स्तर पर सम्मानित किया गया था। वहीं वर्ष 2019 में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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दो टोले को पक्की सड़क से जोड़ने में विफल रहे मुखिया
स्थानीय ग्रामीणों के जमीन संबंधी विवाद को लेकर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर 10 जयलाल टोला व वार्ड नंबर 13 बैसा वासा टोला को अपने दस वर्ष के कार्यकाल के दौरान पक्की सड़क से जोड़ने में नाकामयाब रहे।
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सपरदह पंचायत एक नजर में
जनसंख्या : 13 हजार
मतदाता : 7,477
पुरूष मतदाता : 3,806
महिला मतदाता : 3,670
अन्य मतदाता : 01
विद्यालय : एक कॉलेज, दो उच्च विद्यालय (एक संस्कृत सहित), तीन मध्य व चार प्राथमिक।
पीडीएस दुकान : 06
आंगनबाड़ी केंद्र : 12
स्वास्थ्य उपकेंद्र : दो।
बाढ़ आश्रय स्थल : नहीं
निजी तालाब : 11
कुआं : 15
विकास भवन : 02
कला मंच : 04
राजस्व गांव : सपरदह व कड़ामा
सड़क की स्थिति : लगभग पक्की
पुल-पुलिया की स्थिति : एक रैलिग विहीन व दो पुल के निर्माण की मांग।
साक्षरता दर : 65 प्रतिशत।
मुख्य रोजगार : कृषि, पशुपालन व मजदूरी।
मुख्य समस्या : बाढ़।
पंचायत की पहचान : पंचायत क्षेत्र के कड़ामा गांव निवासी स्वर्गीय परमेश्वर झा, सिंहेश्वर झा स्वतंत्र, उमाकांत झा, सत्यदेव मिश्र, रामेश्वर झा आदि ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
पर्यटन स्थल : भगवती स्थान कड़ामा (प्रस्तावित)।
पौराणिक धार्मिक स्थल : मां भगवती मंदिर, काली मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, भोला स्थान कड़ामा, नाथ बाबा स्थान व भोला मंदिर सपरदह, भगवती स्थान तिरासी व छठ मैया मंदिर फुलो वासा (सभी डेढ़ से दो सौ साल पुराना)।
पंचायत सरकार भवन : है
पशु चिकित्सालय : है
राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा : नहीं
पेट्रोल पंप की संख्या : एक
रसोई गैस वितरण केंद्र : नहीं
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कब और कौन बने जनप्रतिनिधि
वर्ष : मुखिया : सरपंच
1961 : भुवनेश्वरी प्रसाद यादव : सूर्यनारायण यादव
1971 : सुबोध यादव : रामस्वरूप महतो
1978 : निर्देव मिश्र : मांगेश्वर मंडल
1992 : महावीर यादव : मांगेश्वर मंडल
1995 : सिद्धिनाथ आचार्य (मनोनीत) : मांगेश्वर मंडल
2001 : अभिनंदन महतो : चुनाव नहीं
2006 : प्रीति देवी : मुन्नी देवी
2011 : कंचन देवी : मुन्नी देवी
2016 : कंचन देवी : मु.निहाल
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मुखिया का दावा
मुखिया कंचन देवी का कहना है कि बीते दस वर्षों में पंचायत क्षेत्र का काफी विकास हुआ है। पंचायत चहुंमुखी विकास के साथ-साथ आदर्श पंचायत की ओर अग्रसर है। यहां सबके प्रति सम्मान का भाव रखते हुए बिना किसी भेदभाव के भ्रष्टाचार से परे हटकर विकास कार्य किया गया है। मुख्यमंत्री सात निश्चय से हर वार्ड के गली-गली में सड़क निर्माण किया गया है। जनता के हक-हकूक के लिए वे हर लड़ाई लड़ने के लिए तत्पर है। पंचायत की जनता ने जो लगातार भरोसा उन पर जताया है, उस पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया गया है।
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ग्रामीणों की राय
पंचायत विकास की ओर अग्रसर है। मुखिया सहित अन्य सभी जनप्रतिनिधि विकास कार्यों में विशेष रूचि रखते हैं। सात निश्चय से सभी वार्डो में कार्य किए गए हैं। टोले-मुहल्ले में सड़कें बनी है। पंचायत में सरकारी स्तर से जो संसाधन उपलब्ध हुआ है उससे काफी विकास किया गया है। पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए वे पूरी तरह प्रयासरत है। एक पंचायत से दूसरे पंचायत को जोड़ने वाली एक सड़क जहां निर्माणाधीन है। वहीं दूसरे सड़क के निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
बैकुंठ झा
उपमुखिया सह मुखिया प्रतिनिधि
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एनएच 106 से सटा यह पंचायत उद्योग विहीन है। जबकि यहां उद्योग की अपार संभावनाएं देखी जा रही है। अगर सरकारी स्तर से कृषि पर आधारित कोई बड़ा उद्योग लगाया जाय तो इस पंचायत के बेरोजगार युवाओं को जहां रोजगार के अवसर प्रदान होंगे। वहीं आसपास के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। साथ ही इलाके की समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी होगी।
वैद्यनाथ आचार्य
सेवानिवृत्त शिक्षक
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पंचायत क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से आबंटित राशि से कार्य की उपयोगिता व प्राथमिकता को देखते हुए किया गया है। पंचायत क्षेत्र में बाढ़ की समस्याओं का स्थायी समाधान सहित किसानों की सिंचाई व्यवस्था व ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मुहैया कराने के लिए जनप्रतिनिधियों को अपने स्तर से साकारात्मक प्रयास किया जाना चाहिए।
शिवकुमार यादव
सेवानिवृत्त शिक्षक
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पंचायत का बेहतर विकास हुआ है। पंचायत के किनारे एनएच 106 के गुजरने से काफी फायदा मिल रहा है। लेकिन यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। इससे आम लोगों को काफी परेशानी होती है। इसके लिए लंबी दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय स्थित सीएचसी जाने की वेवशी बनी हुई है।
उपेंद्र यादव
पूर्व सरपंच
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पंचायत के विकास मामले में वर्तमान मुखिया लोगों के भरोसे पर खरे उतरे हैं। बिना किसी भेद भाव से यहां कार्य किया गया है। स्वच्छता अभियान एवं मनरेगा में मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के प्रति मुखिया काफी जागरूक है।
कृष्णनंदन झा
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शिक्षा के क्षेत्र में पंचायत क्षेत्र लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि व आमलोगों की मदद से पंचायत क्षेत्र में नए सिरे से प्रचार-प्रसार कर पंचायत क्षेत्र में आधुनिक शिक्षा का अलख जगाया जा सकता है।
ब्रह्मदेव मिश्र, शिक्षाविद
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