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    करोड़ों कद्रदानों को छोड़ ब्रह्मालीन हो गई स्वर कोकिला लता दीदी, कलाकारों में शोक की लहर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 06 Feb 2022 06:10 PM (IST)

    संवाद सूत्र मधेपुरा भारत रत्न लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रविवार को

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    करोड़ों कद्रदानों को छोड़ ब्रह्मालीन हो गई स्वर कोकिला लता दीदी, कलाकारों में शोक की लहर

    संवाद सूत्र, मधेपुरा : भारत रत्न लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रविवार को अंतिम सांस ली। मां सरस्वती की आराघना के बीच उनके निधन की खबर के बाद शोक की लहर है। कोरोना पाजिटिव होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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    लगभग 70 साल तक संगीत इंडस्ट्री में 20 भाषाओं में लगभग 30 हजार गाना गाने वाली लता दीदी के कद्रदान युवा पीढ़ी से लेकर बुजुर्ग तक हैं, जिन्हे उनके निधन ने स्तब्ध कर दिया। उनके निधन पर कलाकारों ने शोक जाहिर करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।

    कोट लता दीदी संगीत के दुनिया के चमकते सितारा थी। उनके निधन से संगीत जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है। उनके द्वारा गाए गए गीत महानगर से लेकर देहातों की गलियों में गूंजती रहती है। हर वर्ग के लोग उनके कद्रदान हैं। देश ही नहीं विदेशों में रहने वाले लोग भी उनके मुरीद थे। -पंडित रामस्वरूप यादव

    वह एक महान कलाकार ही नहीं लोकप्रिय व विनोदप्रिय इंसान थीं। वह सुरीली आवाज की मल्लिका थी। उनकी सुरीली आवाज को पीढि़यां सदा याद रखेगी। भले ही भौतिक रूप से लता दीदी हमसे बिछुड़ गई लेकिन उनकी आवाज हर कदम पर हमें याद आएंगी। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अपने चरणों में जगह दें। -रानी मिश्रा

    लता मंगेशकर के कंठ में सरस्वती का निवास था। यहीं कारण था कि 70 साल के उनके कैरियर में कभी भी आवाज पर उम्र का कोई असर नहीं दिखा। यह संयोग ही था कि जिनके गले में सरस्वती निवास करती थी। उनकी विदाई मां सरस्वती के प्रतिमा के विदाई के दिन ही हुई। वे भले ही दुनिया छोड़कर परलोक सिधार गई है। लेकिन उनकी यादें सदा लोगों के दिल में बसी रहेंगी। -प्रमिला प्रभा

    महिला सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण लता दीदी की आवाजा कोयल से भी बेहतर था। यही कारण था कि उन्हें स्वर कोकिला की उपाधि दी गई थी। आज उनके निधन के साथ ही वह अतुलनीय आवाज भी गुम हो गई। उनकी आवाज न केवल देश तक ही सीमित था। बल्कि विदेशों में भी भारत को पहचान दिलाई थी। उनके निधन ने हमें बहुत दुखी कर दिया। -रचना कृष्ण लता दीदी एक संघर्ष की प्रतिमूर्ति थी। उनका जन्म आठ सितंबर 1929 में भोपाल में हुआ था। उनके पिता दीननाथ मंगेशकर उन्हें राग और रागिनी का ज्ञान दी। संगीत के दुनिया में उन्होंने तहलका मचा दिया। संगीत इंडस्ट्री में प्रवेश करने के लिए भी उन्हें काफी मेहनत करना पड़ा, लेकिन कठिनाइयों के बाद भी वे हार नहीं मानी। -श्रृष्टि आर्या

    लता दीदी भारत की शान थी। भारत के करोड़ों लोग उन्हें बेइंतहा प्यार करते थे। यही कारण है कि सरकार ने उन्हें सर्वोच्च भारत सम्मान से सम्मानित किया था। उनके गाए गए गीत लोगों के जुबान पर है। -अनिल मिश्र आजादी की लड़ाई के दौरान तथा उसके बाद लता मंगेशकर द्वारा गया गया गीत पर आज भी देशवासियों को नाज है। भारत के आजादी के बाद प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू के अनुरोध पर ऐ मेरे वतन के लोगों जैसा गाना गाकर उन्होंने देश भक्तों के दिल में उत्साह भर दिया था। -बाल्मिकी यादव

    लता दीदी जैसे कलाकार हजारों साल में एक बार पैदा होते हैं। उनके निधन ने हमें आहत कर दिया है। वे सदा हमारे दिल में रहेंगी। भगवान उन्हें स्वर्ग में स्थान दें। ऐसा कोई भी कार्यक्रम नहीं होता है जिसमें लता दीदी की गीत नहीं गाई जाती है। -प्रिस कुमार

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