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    यादव लैंड में NDA की लहर थाम चुके चंद्रशेखर का RJD में बढ़ेगा कद, तेजस्वी देंगे बड़ी जिम्मेदारी?

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 05:29 PM (IST)

    2010 में राजग की लहर के बावजूद चंद्रशेखर मधेपुरा से राजद विधायक बने और लगातार जीतते रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी में उनका कद बढ़ेगा। एनडीए के गैर-यादव फॉर्मूले को ध्वस्त करते हुए उन्होंने 2020 में भी जीत दर्ज की। उनकी इस सफलता को देखते हुए उन्हें पार्टी में बड़ा दायित्व मिलने की संभावना है।

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    अमितेष, मधेपुरा। 2010 में राजग को बिहार में बड़ी कामयाबी मिली थी। भाजपा-जदयू को 206 सीटें व राजद को महज 22 सीटें मिली थीं। उस चुनाव में भी जदयू की सिटिंग मधेपुरा सीट पर जीत दर्ज करने वाले चंद्रशेखर जिले के इकलौते राजद विधायक बने थे। 2010 से चंद्रशेखर लगातार जीत रहे हैं।

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    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चंद्रेशखर को इसका इनाम भी मिलेगा और पार्टी में कद भी बढ़ेगा। सबकी नजरें सोमवार को तेजस्वी यादव द्वारा बुलाई गई बैठक पर टिकी रही।

    हालांकि, उक्त बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं हो सका, लेकिन भविष्य की राजनीति को देखकर पार्टी में चंद्रशेखर का कद बढ़ने की पुरजोर संभावना जताई जा रही है।

    मधेपुरा में एनडीए के गैर-यादव के फॉर्मूले को भी चंद्रशेखर ने किया ध्वस्त:

    राजद के एमवाई समीकरण के खिलाफ एनडीए का पचपनिया समीकरण इस इलाके में हमेशा कारगर रहा है। यही वजह है कि मधेपुरा सीट पर भी फरवरी 2005 व नवंबर 2005 के चुनाव में राजद के गढ़ में जदयू ने अपना पताका लहराया। इसके बाद 2010 के चुनाव में बिहार की एनडीए की सुनामी में भी चंद्रेशखर ने मधेपुरा में राजद की वापसी कराई थी।

    इसके बाद से वे लगतार जीत दर्ज कर रहे हैं। इस चुनाव में पचपनिया की राजनीति को धार देने के लिए एनडीए ने यादव बहुल इस सीट पर गैर यादव यानी अति पिछड़ा जाति से आने वाली नगर परिषद अध्यक्ष कविता कुमारी साहा को प्रत्याशी बनाया। बावजूद परिणाम राजद के ही पक्ष में रहा।

    खास बात यह रही कि इस सीट पर एमवाई समीकरण के हिसाब से महज 39% वोट है। परिणाम पर गौर करें तो चंद्रशेखर को 45.27 % वोट मिले और कविता कुमारी साहा को 42 प्रतिशत। यादव बहुल इस सीट पर एनडीए का गैर यादव समीकरण भी नहीं चल पाया।

    राजनीतिक जानकार बताते हैं कि 2010 में चंद्रेशखर की मिली जीत को शीर्ष नेतृत्व ने भी सराहा था। 2010 में उन्होंने दिग्गज नेता डॉ. आर के रवि को शिकस्त देने में कामयाब रहे थे।

    इसके बाद 2015 में जब वे दूसरी बार विधायक चुने गए तो महागठबंधन सरकार में कैबिनेट में शामिल किए गए। 2015 में भाजपा के विजय विमल और 2020 में निखिल मंडल को हराकर विधानसभा पहुंचे।

    इसके बाद दूसरी बार 2022 में जब महागठबंधन की सरकार बनी तो चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री का दायित्व दिया गया। अब जबकि वे फिर से एनडीए की बंपर जीत के बाद भी मधेपुरा सीट बचाने में कामयाब रहे हैं तो उनका पार्टी अथवा संगठन में बड़ा दायित्व दिए जाने की संभावना बढ़ी है।