Thai Mangur Fish: मधेपुरा में खुलेआम बिक रही 'कैंसर' वाली प्रतिबंधित मछली, सस्ती होने से ग्राहकों की भीड़
बिहार के मधेपुरा में थाई मांगुर मछली खुलेआम बेची जा रही है, जबकि यह प्रतिबंधित है और इसे कैंसरकारी माना जाता है। Thai Mangur Fish सस्ती होने के कारण ग ...और पढ़ें

थाई मांगुर मछली। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, मुरलीगंज (मधेपुरा)। सरकार द्वारा पूरी तरह प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद मुरलीगंज प्रखंड के बाजारों में थाई मांगुर मछली खुलेआम बिक रही है। सस्ती कीमत के कारण निम्न आय वर्ग के लोग इसका सेवन बड़ी संख्या में कर रहे हैं।
शाम होते ही मुरलीगंज हाट बाजार, गौशाला चौक, मीरगंज बाजार, बलुआहा घाट, प्रसादी चौक, नवटोल, जीतापुर बाजार समेत लगभग हर चौक - चौराहे पर यह Thai Mangur Fish आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
थाई मांगुर लोकल देशी मछलियों की तुलना में बहुत सस्ती मिल जाती है। जहां देशी मछलियां 250-600 रुपये प्रति किलोग्राम मिलती है, तो थाई मांगुर 100–150 रुपये में उपलब्ध होती है।
कम कीमत होने के कारण गरीब परिवारों को यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन उन्हें इसके गंभीर स्वास्थ्य दुष्प्रभाव का अंदाजा नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रतिबंध लागू होने के बावजूद मत्स्य विभाग द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है, न ही नियमित निगरानी की व्यवस्था है।
कैंसर जैसे बीमारी होने का रहता है खतरा
सरकार ने थाई मांगुर मछली पर कई कारणों से प्रतिबंध लगाया है। ये स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। बताया जाता है कि थाई मांगुर को तेजी से बड़ा करने के लिए कई जगहों पर नालों, सीवर और गंदे पानी में पाला जाता है। कई स्थानों पर इनके वजन बढ़ाने के लिए हार्मोन और केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।
इससे कैंसर, लिवर व किडनी नुकसान, त्वचा रोग और हार्मोन असंतुलन जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट व एनबीएफजीआर ने सख्त चेतावनी जारी की थी। राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर) ने इसे भारत के लिए खतरनाक प्रजाति घोषित किया था। कई राज्यों जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र ने इसके पालन, बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगाया है।
स्थानीय बाजारों में धड़ल्ले से बिक्री
मुरलीगंज से लेकर मीरगंज, बलुआहा घाट, जीतपुर, प्रसादी चौक और ग्रामीण बाजारों में शाम होते ही बड़ी मात्रा में थाई मांगुर की बिक्री शुरू हो जाती है। स्थानीय दुकानदारों से पूछने पर वे बताते हैं कि यह मछली सस्ती मिलती है, इसलिए फुटकर खरीदार ज्यादा मांगते हैं। वहीं लोगों का कहना है कि मत्स्य विभाग के अधिकारी कभी जांच करने नहीं आते। बैन मछली बिक रही है, लेकिन किसी को चिंता नहीं है।
मुरलीगंज में भी जल्द कार्रवाई होगी। जिला के हर प्रखंड प्रभारी को कार्रवाई करने हेतु निर्देशित कर दिया गया है। - शिवशंकर चौधरी, डीएफओ मधेपुरा।

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