गैस और मधुमेह की जड़ है दूषित पेयजल : डा. मनीष मंडल
मधेपुरा,प्रवीण कुमार वर्मा : आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में गैस और मधुमेह की बीमारी लोगों को अपनी गिरफ्त में तेजी से लेती चली जा रही है।
कोसी में बड़ी संख्या में लोग इन दोनों रोगों की चपेट में आने लगे हैं। इसका मुख्य कारण दूषित पेयजल है। यह बातें आईजीर्आएमएस के जीआई सर्जरी विभाग पटना के विभागाध्यक्ष सह-सहायक प्राध्यापक डा. मनीष कुमार मंडल ने गुरुवार को जागरण के साथ बातचीत के दौरान अपने आवास पर कही। डा. मंडल की माने तो पेट संबंधी जितनी भी बीमारियां है। उनका सीधा संबंध पेयजल से होता है। चूंकि कोसी में जल दूषित है। इसलिए ये दोनों बीमारियां इन दिनों तेजी के साथ फैल रही है। पेट में गैस का बनना, कब्ज रहन, पेट फूलना, पेट में तनाव आदि अब आम बातें हो चली हैं। इसके साथ ही इन दिनों गाल ब्लाडर, शौच के रास्ते का कैंसर और मधुमेह का फैलाना चिंता की बात है। उन्होंने कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोसी कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहां के किसान जानकारी के अभाव में खेती में नकली खाद का प्रयोग कर बैठते हैं। यही खाद में भू-गर्भ जल में मिल जाता है और पेयजल को दूषित कर बैठता। बाद में इसी जल का सेवन लोग
चापाकल, कुआं और बोरिंग के माध्यम से करते हैं। इतना ही नहीं प्यूरीफायर के माध्यम से भी पेयजल शुद्ध नहीं हो पाता। उस जल में भी नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे पदार्थ की सफाई नहीं हो पाती। इस बात पर कुछ दिनों पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की थी। मधेपुरा के मूल निवासी डा.मंडल ने बताया कि दूसरा कारण चायनीज फूड का सेवन करना भी है। युवा अधिक शिकार हो रहे हैं। वैसे यह रोग युवाओं में मांसाहारी भोजन का सेवन करने से अधिक होता है। इतना ही नहीं मधुमेह इस समय सबसे अधिक युवाओं और बुजुर्गो में पाया जा रहा है। चीनी बढ़ने से आंत शिथिल पड़ जाती है। जिससे पाचन शक्ति प्रभावित होती है। इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिए बाजार में इस समय लीवोस्प्राइड नामक एक नई दवा आ गई है। इसके साथ ही नया पेसमेकर गैस्ट्रो इलेक्ट्रिकल स्टीमूलस भी आ गया है। इसे इंडोस्कोपी के माध्यम से भोजन की थैली में फीट कर दिया जाता है। दूसरा इलेक्ट्रो मशीन पेट का चाम काट कर फीट कर दिया जाता है। जिसे दबाने पर किरण पैदा होती है। यही किरण आंत की स्पीड को बढ़ा देती है। जिसके चलते गैस पास होने लगती है। जीईएस नामक यह यंत्र देश के चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध है। इसी प्रकार हेपेटाइटिस रोग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह पीलिया के पुराना पड़ जाने के चलते होता है। जिसके चलते गैस, जोड़ों में दर्द और पेट का बराबर झड़ना माना जाता है। इसे हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस की पहचान अब एक कीट के माध्यम से की जाती है। साथ ही एलीजा जांच भी किया जाता है। इसका इलाज संभव है। साधारण हेपेटाइटिस रोगियों को एंटी वायरल गोली कम से कम पांच साल तक खानी पड़ती है। पीलिया से होने वाले हेपेटाइटिस के रोगी को शरीर के किसी भी भाग कटाव हो जाने पर उसे बैंडेज से ढक कर रखें। दाढ़ी घर पर ही बनाएं। कारण परिवार के किसी एक सदस्य को यह रोग होने जाने पर दूसरे के ग्रसित हो जाने की संभावना अधिक हो जाती है। क्योंकि यह रोग कीटाणु से फैलता है। गैसे से बचाव के लिए खान पान में सुधार लाते हुए कद्दू, नेनुआ और पत्ता गोभी की सब्जी को अधिक महत्व देना चाहिए। सिगरेट और शराब से दूरी जरुरी है।
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