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    विज्ञान का दूसरा रुप है जादू

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    Updated: Sat, 11 Feb 2012 07:06 PM (IST)

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    मधेपुरा, जागरण प्रतिनिधि : विज्ञान जहां खत्म होता, जादू वहीं से शुरु होता है। यह स्वस्थ्य मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम है। जो आदि काल से ही चला आ रहा है। विज्ञान चाहे जितनी प्रगति कर ले जादू के अस्तित्व को समाप्त नहीं किया जा सकता। वैसे भी 21 वीं सदी को विज्ञान की सदी माना जाता है। तनाव भरी इस जिंदगी में जादू से सुंदर मनोरंजन और कोई दूसरा माध्यम नहीं सकता। यह बातें शनिवार को शहर के टाउनहाल में आयोजित प्रेस वार्ता में मशहूर जादूगर गोगिया सरकार ने कही। टाउन हाल में चलने वाले जादूगर गोगिया के शो का शुभारंभ रविवार को डीडीसी श्रवण पंसारी करेंगे। असली नाम आंनद कुमार गोयल बताते हुए जादूगर गोगिया ने कहा कि जादू की दुनियां में उन्होंने कदम 1997 में रखा था। तीन बार विदेश जाने का मौका मिला लेकिन जा नहीं सका। बच्चों की मानसिकता को ध्यान में रखकर ही जादू दिखाया जाएगा। भारत में जादू का इतिहास काफी पुराना है। इसका उल्लेख अथर्ववेद में भी मिलता है। तंत्र विद्या और जादू में अंतर होता है। मधेपुरा में दूसरी बार आया हूं। पहली बार वर्ष 2006 में आया था। इस बार भी अनेक प्रकार के जादू दिखाए जाएंगे। किसी भी विद्यालय के शिक्षक और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था होगी। ----------------

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    संपादन - दिनेश

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