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    औपचारिक रूप से मनाई गई रासबिहारी मंडल की पुण्यतिथि

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    Updated: Mon, 26 Aug 2013 06:51 PM (IST)

    मधेपुरा, निज प्रतिनिधि : भारत छोड़ो आंदोलन तथा नमक आंदोलन में महती भूमिका निभाने वाले रास बिहारी लाल मंडल की पुण्य तिथि औपचारिक रूप से सोमवार को रास बिहारी विद्यालय में मनाई गई। इस अवसर पर मौजूद चिकित्सक डा. अरूण कुमार मंडल, प्रभाष मंडल, डा. भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी, शिक्षक राजेन्द्र प्रसाद यादव, खेल प्रशिक्षक संत कुमार तथा जिला कबड्डी संघ के सचिव अरूण कुमार ने स्व.रासबिहारी मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। डा.मंडल ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के साथ-साथ रास बिहारी बाबू ने मधेपुरा को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अंग्रेज कीे गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष किया, किन्तु दु:ख की बात तो यह है कि वर्तमान में मधेपुरा के लोग ही नहीं बल्कि विद्यालय प्रशासन भी उनके योगदान को भूल गया है। पुण्य तिथि के मौके पर कोई खास कार्यक्रम भी नहीं किया गया और विद्यालय को सैकड़ों एकड़ जमीन देने वाले रास बिहारी बाबू की याद किन्हीं को नहीं आई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह मंडल आयोग के अध्यक्ष स्व. बीपी मंडल के पिता का जन्म जमींदार परिवार में मुरहो में हुआ था। उनका लालन-पालन राजसी ठाठ-बाट से हुआ। स्व.रघुवर बाबू के एकलौते पुत्र रास बिहारी बाबू की शिक्षा हालांकि प्रवेशिका तक हीे हुई थी। किन्तु उनमें समाजवादी तथा सांस्कृतिक सोच कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह कांग्रेस के पदाधिकारी भी रहे तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में अपना एक अलग पहचान दर्ज कराई। कांग्रेस के अधिवेशनों में उनकी तूती बोलती थी। उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था। वे भागलपुर जिला परिषद के सदस्य के साथ-साथ अवैतनिक मजिस्ट्रेट भी रहे। सुखासन गांव में आयोजित नमक आंदोलन में उसने अंग्रेजों के खिलाफ बढ़-चढ़कर भाग लिया। किन्तु ऐसे महामानव के प्रति कृतज्ञ लोगों में न तो श्रद्धा ही रही और न उन्हें याद करने की जरूरत ही महसूस करते हैं। उनका जन्म 1866 में हुआ था। किन्तु बीमारी के कारण उनकीे मौत 26 अगस्त 1918 में काशी में हो गया।

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