Vijay Sinha: ननिहाल की गलियों से बिहार के डिप्टी CM तक, विजय सिन्हा की अनस्टॉपेबल कहानी
भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा का जन्म लखीसराय में हुआ। छात्र राजनीति से शुरुआत करते हुए, वे बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और एबीवीपी व आरएसएस से जुड़े रहे। 2005 में पहली बार लखीसराय से विधायक बने और 2017 में मंत्री बने। 2020 में विधानसभा अध्यक्ष बने और 2024 में उपमुख्यमंत्री बने। वे पथ निर्माण और कृषि जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

विजय कुमार सिन्हा की कहानी
मृत्युंजय मिश्रा, लखीसराय। लखीसराय के चानन प्रखंड अंतर्गत तिलकपुर गांव स्थित अपने ननिहाल में 5 जून 1967 को जन्मे भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा आज बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में शामिल हैं। छात्र राजनीति से बिहार के उपमुख्यमंत्री पद दोबारा हासिल करने वाले विजय कुमार सिन्हा साधारण परिवार से जुड़े हैं।
पिता शारदा रमण सिंह एक शिक्षक और माता सुरमा देवी गृहिणी के घर में जन्म लिए विजय कुमार सिन्हा बचपन से ही शिक्षा, अनुशासन और सामाजिक जीवन के प्रति संवेदनशील रहे। यही वजह रही कि छात्र जीवन में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और संगठनात्मक राजनीति में सक्रिय हुए।
सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
सिन्हा ने बेगूसराय के बरौनी स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही वे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में गहरी रुचि लेने लगे।
दूसरे चुनाव में 80 वोट से हार
एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ाव ने उनके राजनीतिक मूल्यों और नेतृत्व शैली को आकार दिया। राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा के संगठन से हुई। लंबे समय तक संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद पार्टी ने 2005 में उन्हें लखीसराय विधानसभा से टिकट दिया, जहां उन्होंने पहली ही बार में जीत हासिल की। हालांकि उसी वर्ष हुए दोबारा चुनाव में वे मात्र 80 मत से हार गए।
इसे उन्होंने चुनौती के रूप में लिया और इसके बाद 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत की। जनता से सीधा संवाद, विकास कार्यों में सक्रियता और सरल व्यवहार ने उन्हें लोकप्रिय नेताओं में शामिल किया।
2017 में बिहार सरकार में मंत्री
2017 में बिहार सरकार में उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया। यहां उन्होंने कौशल विकास और श्रमिक हितों से जुड़ी योजनाओं पर काम किया।
2020 में वे बिहार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए। इस पद पर रहते हुए उनकी छवि एक सख्त, अनुशासित और प्रक्रियाओं को महत्व देने वाले नेता की रही। उनके कार्यकाल में विधानसभा कार्य संचालन में कई सुधार लागू हुए।
हालांकि राजनीतिक परिस्थितियों के कारण 2022 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा, जिसके बाद वे नेता प्रतिपक्ष बनकर विधानसभा में सक्रिय रहे।
2024 में बने बिहार के उपमुख्यमंत्री
राज्य की राजनीति ने एक नया मोड़ तब लिया जब जनवरी 2024 में सरकार के पुनर्गठन में भाजपा की ओर से विजय कुमार सिन्हा को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पथ निर्माण, युवा एवं संस्कृति, कृषि और खनन समेत कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। प्रशासनिक दक्षता और निर्णय क्षमता के कारण वे राज्य सरकार के तेज-तर्रार कार्यकर्ताओं में गिने जाने लगे।
उनकी नेतृत्व शैली संयमित, अनुशासित और साफ-सुथरी मानी जाती है। हालांकि जिद्दी प्रवृत्ति के कारण राजनीतिक विवादों से वे कभी पूरी तरह बचे नहीं। बावजूद लोकप्रियता पर बड़ा असर नहीं पड़ा।
पारिवारिक रूप से राजनीति में वे पहली पीढ़ी के नेता हैं, लेकिन संगठन और जनता से मजबूत जुड़ाव ने उन्हें बिहार भाजपा का एक केंद्रीय चेहरा बना दिया है। यही वजह रही कि विजय कुमार सिन्हा को पार्टी ने फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में चयनित किया। वे पूरे बिहार में मजबूत जनाधार वाले नेताओं में शामिल हैं।

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