Updated: Sun, 25 May 2025 09:47 AM (IST)
लखीसराय जिले में कृषि रोडमैप के तहत किसानों की आय बढ़ाने के लिए खरीफ मौसम 2025-26 में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा इन फसलों पर अनुदान भी दिया जाएगा। मक्का की खेती की तरह ही इसकी खेती की जाती है और इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है। बाजार में भी इसकी काफी मांग है।
संवाद सहयोगी, लखीसराय। कृषि रोडमैप के तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने और मौसम अनुकूल खेती करने के साथ फसल विविधीकरण और मूल्य वर्धित खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
खरीफ मौसम 2025-26 में पहली बार जिले के किसानों को स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। यह खेती किसानों के लिए लाभकारी और आत्मनिर्भर बन सकती है।
मक्का की खेती के तर्ज पर ही इसकी खेती की जाती है। कृषि विभाग ने बेबी कार्न पर 50 फीसदी 750 रुपये प्रति किलोग्राम और स्वीट कार्न पर 50 फीसदी 2250 रुपये प्रति किलोग्राम अनुदान प्रदान किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार कृषि विभाग द्वारा मक्का, बेबी कार्न और स्वीट कार्न की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान दे रही है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत जिले में मक्का, बेबी कार्न और स्वीट कार्न के लिए अनुदान योजनाएं स्वीकृत की गई है।
जिले में बेबी कार्न के लिए आठ क्विंटल और स्वीट कार्न के लिए दो क्विंटल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए करीब 1000 किसानों के बीच बीज वितरण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका बीज काफी महंगा होता है।
विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बाजार में भी इसकी काफी मांग है। बेबी कार्न से सब्जी, सूप, पकौड़ा आदि व्यंजन तैयार किए जाते हैं। बाजार में इसकी कीमत 100 से 200 रुपये किलो है। जबकि स्वीट कार्न की कीमत 20 से 50 रुपये प्रति पीस है।
लाभकारी है स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती
कृषि विशेषज्ञ के अनुसार जिन इलाकों में मक्का की खेती काफी होती है स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती आसानी से की जा सकती है।
बेबी कार्न की फसल 50 से 60 दिन में और स्वीट कार्न की फसल 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान उस खेत में दूसरी फसल भी लगा सकते हैं।
खेत को जोतकर और मेड बनाकर बीज की बोआई करने से फसल अच्छी होती है। पहली सिंचाई बोआई से पहले और फिर 15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।
बीज बोआई से पहले खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का छिड़काव जरूर करें। बेबी कार्न की खेती से किसानों को दोहरा लाभ भी मिलता है।
क्योंकि, इसके पौधे का इस्तेमाल पशु चारे के लिए भी किया जा सकता है। 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में सालों भर इस फसल को उगाया जा सकता है लेकिन अगस्त से नवंबर के बीच की गई बोआई अधिक उपज देती है।
पहली बार जिले में मक्का के साथ स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती खरीफ मौसम में शामिल की गई है। इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी है। कम समय में अधिक उपज होती है और बाजार में भी काफी मांग है। हमने पिछले रबी सीजन में प्रयोग के तौर पर साबिकपुर में स्वीट कार्न की खेती का प्रयोग कराया था। किसान शशि रंजन द्वारा इसकी खेती की गई जो काफी सफल रही। अब जिले के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्हें अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराया जाएगा।- सुबोध कुमार सुधांशु, जिला कृषि पदाधिकारी, लखीसराय
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।